‘सबका साथ, सबका विकास’ के नारे वाली भाजपा फिलहाल महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए शिव सेना के साथ को तरस रही है। अभी तक ५०-५० का राग अलाप रही शिव सेना ने हाजपा का हाथ पकड़ने की तो कोइ जल्दबाजी दिखाई ही नहीं है, अपने मुखपत्र ‘सामना’ में मोदी सरकार की नीतियों की तीखी निंदा कर उसकी नींद हराम कर दी है।
सत्ता हासिल करने के लिए जरूरी बहुमत मिल जाने के बावजूद भाजपा और शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर जबरदस्त पेंच फंस गया है। शिवसेना ने साफ़ कर दिया है कि हम कोइ मांग नहीं कर रहे, ५०-५० का हमारे बीच समझौता है। इसके बिना (पावर शेयरिंग) काम नहीं चलेगा। शिव सेना नेता संजय राउत ने सोमवार को कहा – ‘वो (भाजपा) राम का नाम जपते हैं। अब सत्य का पालन करते हुए ५०-५० का वादा पूरा करें।’
कुछ देर पहले सीएम देवेंद्र फडणवीस और शिव सेना नेता दिवाकर राउते अलग-अलग राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की। बाद में भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा – ”अभी तक कोई एजेंडा तय नहीं किया गया है। सरकार गठन को लेकर बातचीत होगी। मुख्यमंत्री राज्यपाल को राज्य की वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति के बारे में बताया, विशेष रूप से अगली सरकार बनाने के लिए दावा पेश किया जाएगा। शिवसेना नेता रोते भी अपनी पार्टी के विचार प्रस्तुत करेंगे खासतौर से जो शिवसेना विधायकों की बैठक में लिया गया निर्णय होगा।’
शिवसेना के टिकट पर सिल्लोड से जीत हासिल करने वाले विधायक अब्दुल सत्तार ने कहा – ‘हम आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं।” लेकिन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा – ‘हम राज्य में गठबंधन की एक स्थिर सरकार देंगे। अगले पांच साल राज्य में हम बीजेपी के नेतृत्व वाली एक स्थिर सरकार देंगे।’
संभावना है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ३० अक्टूबर को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मिल सकते हैं। शाह को मुंबई में विधायक दल के नेता का चुनाव करने के लिए होने वाली बैठक में आना है। बैठक में महाराष्ट्र भाजपा प्रभारी सरोज पांडे भी मौजूद रहेंगे।
भाजपा को २८८ सदस्यीय विधानसभा में १०५ सीटें मिली हैं जबकि शिवसेना ने ५६ सीटें हासिल की हैं। विधानसभा चुनाव में बीजेपी को पिछली बार के मुकाबले कम सीटें मिली है और शिवसेना इसी बहाने बीजेपी पर मुख्यमंत्री पद के लिए दबाव बना रही है। शिवसेना ने ‘सामना’ के नए अंक में लिखा है – ‘महाराष्ट्र में इस बार रिमोट कंट्रोल उद्धव ठाकरे के पास है।’
सामना के इस अंक में शिव सेना ने मोदी सरकार की जमकर धज्जियां उड़ाई हैं। बड़ा बड़ा हमला आर्थिक मंदी को लेकर किया है। शिव सेना ने सामन में लिखा है – ‘देश की जनता जिस भी परिस्थिति में है उसमें से रास्ता निकालकर दिवाली मना रही है। फिर भी देश के आर्थिक क्षेत्र में दिवाली मनाई जाए, ऐसा वातावरण कहीं नहीं दिख रहा। ऐन दिवाली के समय बाजारों में सन्नाटा है और ऑनलाइन शॉपिंग के माध्यम से देश के पैसे से विदेशी कंपनियां अपनी तिजोरी भर रही हैं। दिवाली के मुहाने पर हुए महाराष्ट्र के चुनाव में धूम-धड़ाका कम और सन्नाटा ज्यादा रहा। देश और महाराष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य के लिए हर स्तर पर छाए सन्नाटे को देखते हुए एक ही सवाल गूंज रहा है – इतना सन्नाटा क्यों है भाई?’
लेख में कहा गया है – ‘आज देश में मंदी है, रोजगार नहीं मिल रहे हैं। केंद्र की माई-बाप सरकार कहती है कि किसानों की आय दोगुनी करेंगे। किसान इसके लिए खूब मेहनत करते हैं लेकिन अचानक प्राकृतिक आपदा आती है और खेती पर खर्च की गई रकम जितनी भी आय नहीं हो पाती। इस पर कोई उपाय नहीं बताता। आज देश भर में आर्थिक मंदी है। नोटबंदी और जीएसटी से देश की आर्थिक हालत सुधरने की बजाय दिनों-दिन बदतर होती जा रही है।’
शिव सेना ने मोदी सरकार पर तीखे हमले में लिखा – ‘कारखाने खतरे में हैं। उद्योग-धंधे बंद हो रहे हैं। रोजगार निर्माण ठप है। रोज नई कंपनियां और प्रतिष्ठान खुद को दिवालिया घोषित कर रहे हैं। बैंकों का दिवाला निकलता दिख रहा है। जनता की जेब खाली है ही लेकिन सरकारी तिजोरी भी खाली दिख रही है। आपातकालीन परिस्थितियों के लिए रिजर्व बैंक ने जो राशि सुरक्षित रखी है उसमें से पौने दो लाख करोड़ रुपए निकालने की अमानवीयता सरकार को करनी पड़ी है।’