झारखण्ड में मई के पहले सप्ताह से ‘सेक्सटॉर्शन’, ‘हनीट्रैप’ जैसे शब्द ख़ूब चर्चा में हैं। कारण रहा राज्य के एक मंत्री का वीडियो वायरल होना और दूसरा, एक विधायक को अश्लील वीडियो कॉल आना। दोनों ही मामले माननीयों से जुड़े होने के कारण इन पर चर्चा ख़ूब हो रही है। दोनों नेता विरोधी दलों- भाजपा और कांग्रेस के हैं। हंगामे के बाद मामला राज्यपाल तक पहुँचा। जाँच शुरू हो गयी है। सच्चाई जो भी होगी, उम्मीद है सामने आ ही जाएगी।
दरअसल झारखण्ड में सेक्सटॉर्शन के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। आम से लेकर ख़ास लोग हर दिन इसके शिकार हो रहे हैं। इसका अफ़सोसजनक पहलू यह है कि शर्म और बदनामी के डर से कुछ ही मामले पुलिस तक पहुँचते हैं। जिस वजह से साइबर अपराधियों का हौसला बढ़ रहा है।
मंत्री के वीडियो से हंगामा
पिछले दिनों राज्य के कांग्रेसी विधायक और स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह किसी लडक़ी के साथ अश्लील बात करते नज़र आ रहे थे। बन्ना गुप्ता ने कहा कि यह विपक्ष की साज़िश है। वीडियो एडिट करके मुझे बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। जिस लडक़ी की तस्वीर वीडियो में थी, उसने भी दो दिन बाद कहा कि बन्ना गुप्ता को जानती नहीं, मुझे बदनाम किया जा रहा है।
फिर एक और लडक़ी सामने आ गयी, जिसने कहा कि उसका बन्ना गुप्ता के साथ पारिवारिक सम्बन्ध है। बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है। वीडियो में एक लडक़ी थी, सामने दो लड़कियाँ आ गयीं। इन मुद्दों को लेकर विपक्षी दल भाजपा ने ख़ूब निशाना साधा। निर्दलीय विधायक सरयू राय और बन्ना गुप्ता के बीच ख़ूब बयानबाज़ी हुई। सरयू राय ने राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन से मुलाक़ात कर मामले की जाँच की माँग की, जो स्वीकृत हुई। वीडियो सच है या कोई साज़िश इसकी अभी पड़ताल बाक़ी है। इस मामले में ब्लैकमेल करने की कोशिश नहीं हुई है। इसलिए इसे फ़िलहाल सेक्सटॉर्शन के रूप में नहीं देखा जा रहा। हालाँकि बन्ना गुप्ता विपक्षी दल के बारे में बोल रहे कि ‘उनके (भाजपा) के लिए हनीट्रैप और हमारे लिए फनीट्रैप।’
ट्रैप होने से बचे विधायक
भाजपा के वरिष्ठ विधायक सी.पी. सिंह की कहानी बन्ना गुप्ता से अलग है। बन्ना के वीडियो वायरल होने के दो दिन बाद सी.पी. सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हनीट्रैप के बारे में जानकारी दी। सी.पी. सिंह ने बताया कि आधी रात को उन्हें व्हाट्स ऐप पर वीडियो कॉल आया। कॉल पर सामने जो महिला थी, वह लगभग नग्न अवस्था में थी और अश्लील बात कर रही थी। कुछ ही सेकेंड में उन्होंने फोन काट दिया और मोबाइल को स्वीच ऑफ कर दिया। सी.पी. सिंह ने जिस नंबर से वीडियो कॉल आया था, वह नंबर देते हुए थाने में मामला दर्ज कराया। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है। इस मामले को पुलिस सेक्सटॉर्शन और हनी ट्रैप के रूप में देख रही है।
राज्य में साइबर क्राइम
देश में अगर साइबर क्राइम की चर्चा होती है, तो झारखण्ड का नाम ज़रूर आता है। राज्य का जामताड़ा ज़िला पूरे देश में मशहूर है। जिसे साइबर फ्रॉड का गढ़ कहा जाता है। साइबर फ्रॉड का ही हिस्सा है- हनी ट्रैप और सेक्सटॉर्शन। झारखण्ड के साथ-साथ देश के अन्य हिस्सों में यह अपराध काफ़ी तेज़ी से फैल रहा है।
पुलिस सूत्रों की मानें, तो झारखण्ड में हर दिन सेक्सटॉर्शन के 150-200 लोग शिकार हो रहे हैं। हालाँकि इन सभी के तार केवल जामताड़ा से ही नहीं जोड़े जा सकते, क्योंकि देश के अन्य हिस्सों में भी तेज़ी से साइबर अपराध बढ़ रहा है। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि पाँच में से एक मामले के तार झारखण्ड के जामताड़ा से ज़रूर जुड़े मिलते हैं।
क्या है सेक्सटॉर्शन?
कैम्ब्रिज डिक्शनरी के मुताबिक, सेक्सटॉर्शन का मतलब है किसी व्यक्ति के प्राइवेट कंटेंट को प्रकाशित या वायरल करने की धमकी देकर अपना हित साधना। वहीं क़ानून की दृष्टि में यह एक तरीक़े का अपराध है, जिसमें कोई व्यक्ति किसी की निजी और संवेदनशील सामग्री को वितरित करने की धमकी देकर पैसे की माँग करता है। आँकड़े बताते हैं कि इसके मामले झारखण्ड में लगातार बढ़ रहे हैं। वर्ष 2021 में सेक्सटॉर्शन के 12 मामले दर्ज हुए थे। वहीं 2022 में 14 मामले दर्ज हुए। पुलिस का कहना है कि लोग सेक्सटॉर्शन के मामले में सामने आने से हिचकते हैं। जब अपराधी की माँग बहुत बढ़ जाती है और पीडि़त व्यक्ति पूरा करने में असक्षम हो जाता है, तभी वह पुलिस के पास जाता है। राज्य में निश्चित ही सेक्सटॉर्शन के मामले आँकड़ों से अधिक होंगे।
अफ़सर से शिक्षक तक फँसे
डिजिटल युग में हर किसी के पास स्मार्टफोन है। साइबर अपराधियों के लिए यह स्मार्टफोन अब सेक्सटॉर्शन का अच्छा ज़रिया बन गया है। हाल के दिनों में कई ऐसे मामले आये हैं। रांची के एक 50 वर्षीय प्रोफेसर इसके शिकार हुए हैं। पहले फेसबुक पर एक लडक़ी ने दोस्ती की। फिर व्हाट्स ऐप पर वीडियो कॉल किया। प्रोफेसर का अश्लील वीडियो बना लिया। इसके बाद ब्लैकमेलिंग का खेल शुरू हुआ। प्रोफेसर साहब ने ऑनलाइन 10,000 रुपये का भुगतान किया। जब माँग बढ़ गयी, तो पुलिस के पास पहुँचे। धनबाद ज़िले के एक शिक्षक से भी इसी तरह से 12,00,000 रुपये वसूले गये। बाद में वह पुलिस के पास पहुँचे। इसी तरह इसमें अफ़सर भी फँस रहे हैं।
ख़तरनाक हो रहा खेल
साइबर क्राइम के लिए केवल झारखण्ड का जामताड़ा ही महशूर नहीं रह गया है। देश के अन्य हिस्सों से भी इसकी चर्चा आने लगी है। राजस्थान के भरतपुर ज़िले का मेवात क्षेत्र को मीनी जामताड़ा कहा जाने लगा है। इसी तरह महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों के नाम भी आने लगे हैं। देश में साइबर अपराध बढ़ रहे हैं और इसी का एक बाय-प्रोडक्ट सेक्सटॉर्शन भी है, जो इधर हर हदें पार करने लगा है। सेक्सटॉर्शन के मामलों में अप्रत्याशित हो रही है और यह खेल ख़तरनाक होता जा रहा है। बीते साल अक्टूबर में पुणे के पिंपरी चिंचवाड़ इलाक़े में एक युवक ने आत्महत्या कर ली। उसकी जेब से मिले सुसाइड नोट से सेक्सटॉर्शन का ख़ुलासा हुआ। इसी तरह बीते दिसंबर में गुरुग्राम के 38 साल के एक व्यक्ति ने ब्लैकमेलर को पैसे नहीं दे पाने के कारण आत्महत्या कर ली। वहीं झारखण्ड के रांची ज़िले का एक युवक सेक्सटॉर्शन के कारण अवसादग्रस्त हो गया है। इस तरह की कई आपबीती घटनाएँ हर दिन देखने और सुनने को मिलती हैं।
अपराधी बुनते हैं दोस्ती का जाल
साइबर एक्सपर्ट बताते हैं कि अब तक सामने आये मामलों के अध्ययन से यह निष्कर्ष सामने आया है कि सोशल मीडिया पर अनजान व्यक्ति से दोस्ती सेक्सटॉर्शन में फँसने की मुख्य वजह है। इसमें 54 प्रतिशत लोग सोशल नेटवर्क के ज़रिये ही साइबर अपराधी के संपर्क में आते हैं।
साइबर अपराधियों के ट्रेंड को देखा जाए, तो वह छ: प्रतिशत लोगों से सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर करके संपर्क करते हैं। 23 प्रतिशत से व्हाट्स ऐप के माध्यम से, 41 प्रतिशत को मैसेज या फोटो भेजकर, चार प्रतिशत गेमिंग प्लेटफॉर्म के ज़रिये, नौ प्रतिशत डेटिंग एप के माध्यम से और 12 प्रतिशत ईमेल के माध्यम से अपराधी के संपर्क में आते हैं।
क़ानून का नहीं डर
जानकारों का कहना है कि भारत में सेक्सटॉर्शन से निपटने में क़ानून पूरी तरह सक्षम नहीं है। सूचना प्रौद्योगिकी क़ानून-2000 की धारा-67 को ही सेक्सटॉर्शन पर लागू किया जाता है, जो नाकाफ़ी है। मामला कोर्ट में जाए तब भी शायद ज़्यादा राहत न मिले, क्योंकि कोर्ट में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य दिखाना होता है, जो बड़ी चुनौती है। ऐसे मामलों में पुलिस का रवैया भी बहुत ही ढीला होता है। ज़्यादातर मामलों में पुलिस केस दर्ज नहीं करती है। इसलिए अपराधियों के मन में कोई डर नहीं रहता है।
बचाव के रास्ते
एक समय था, जब ओटीपी माँगकर लोगों के साथ ऑनलाइन फ्रॉड होता था। इसे लेकर सरकार ने जागरूकता अभियान चलाया। अब ओटीपी फ्रॉड थोड़ा कम हुआ है। ऐसे ही सेक्सटॉर्शन में भी अभियान चलाने की ज़रूरत है। लोगों को जागरूक करके ही इससे बचाया जा सकता है। इसके लिए लोग भी सोशल मीडिया पर सावधान रहें। व्हाट्स ऐप पर अनजान वीडियो कॉल को रीसीव न करें। अनजान व्यक्ति के साथ अपने निजी बातों, फोटो व वीडियो शेयर न करें। अपरिचित आदमी द्वारा व्हाट्स ऐप, ईमेल आदि पर भेजे लिंक न खोलें। जो वेबसाइट सुरक्षित न हो, उस पर सर्च न करें।
ऐसी थोड़ी-थोड़ी सावधानियों से ट्रैप होने और सेक्सटॉर्शन से बचा जा सकता है। साथ ही अगर कभी फँस जाएँ, तो भूल से भी ब्लैकमेलर को पैसे न दें। एक बार पैसे देने पर अपराधी मानसिक और भावनात्मक रूप से प्रताडि़त करके जाल में फँसाकर पैसे ऐंठते रहते हैं। पहले तो अनजान वीडियो कॉल से बचें, अगर ग़लती से कॉल रिसीव कर लें, तो अपराधी की गंदी, मीठी बातों में न फँसें। कोई ब्लैकमेल करे, तो तत्काल पुलिस से शिकायत करें।
सरकार को भी साइबर अपराधियों पर नकेल कसने के लिए सख़्त क़ानून बनाने की भी ज़रूरत है, ताकि लोग इससे बच सकें। इस नये अपराध पर क़ाबू पाने के लिए आज हर स्तर पर गंभीरता विचार करने ज़रूरत है।