दिल्ली में मेयर के चुनाव को लेकर राज्य में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) की तरफ से डाली गयी याचिका पर आज सर्वोच्च न्यायालय सुनवाई करेगा। यह याचिका आप की मेयर पद की उम्मीदवार शैली ओबेरॉय ने दायर की है। याद रहे तीन दिन पहले ही सर्वोच्च अदालत मेयर चुनाव में मनोनीत सदस्यों (पार्षदों) के वोट डालने पर यह कहकर रोक लगा चुकी है कि संविधान में इसका प्रावधान नहीं है।
इससे पहले तीन बार यह चुनाव स्थगित हो चुका है। चुनाव में स्पष्ट बहुमत हासिल किया था, इसके बावजूद मेयर का मसला अभी फंसा हुआ है। अब दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के मेयर पद के लिए जल्द चुनाव कराने की मांग वाली आम आदमी पार्टी (आप) की मेयर पद की उम्मीदवार शैली ओबेरॉय की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज फिर से सुनवाई करेगा। सोमवार को पिछली सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने आप के दावे की पुष्टि करते हुए कहा कि मनोनीत सदस्य चुनाव में नहीं जा सकते। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संवैधानिक प्रावधान बहुत स्पष्ट हैं।
यह चुनाव 17 फरवरी के बाद की तारीख तक के लिए टाल दिया गया है। आप और भाजपा के बीच लंबे समय से चली आ रही खींचतान के बीच मेयर चुनने की तीन बार असफल कोशिश हुई है। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पार्टी द्वारा 16 फरवरी को चुनाव कराने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था।
उप राज्यपाल के मनोनीत 10 एमसीडी सदस्यों को वोट देने की अनुमति दिए जाने के बाद भाजपा और आप के विरोध के कारण 6 और 24 जनवरी और 6 फरवरी को पार्षदों की बैठक में मेयर का चुनाव नहीं हो सका। एमसीडी मेयर के चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में 250 निर्वाचित पार्षद, दिल्ली से सात लोकसभा और तीन राज्यसभा सांसद और 14 विधायक शामिल हैं। दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष ने आप के 13 विधायकों और भाजपा के एक सदस्य को नगर निकाय के लिए नामित किया था।
पिछले साल दिसंबर में निकाय चुनाव में आप ने 134 वार्ड और भाजपा ने 104 वार्ड जीते थे। निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले भाजपा के बागी मुंडका वार्ड से जीतने के बाद फिर से पार्टी में शामिल हो गए। महापौर चुनावों में कुल वोट 274 हैं। कांग्रेस ने 9 स्थानों पर जीत हासिल की थी। संख्या का आंकड़ा आप के पक्ष में है, जिसके पास भाजपा के 113 के मुकाबले 150 वोट हैं।