सर्वोच्च न्यायालय की कॉलेजियम ने सर्वोच्च अदालत में न्यायाधीश पद के लिए जिन नौ जजों के नाम की सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी है, उनमें तीन महिला न्यायाधीश के नाम शामिल हैं। इससे भविष्य में देश की सर्वोच्च अदालत को पहली महिला प्रधान न्यायाधीश मिलने की संभावना बनी है, हालांकि इसके लिए भी देश को छह साल (2027 तक) का इंतजार करना पड़ेगा।
वैसे सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम के नौ जजों की नियुक्ति के लिए केंद्र सरकार को भेजी सिफारिश में तीन महिला जजों के नाम शामिल करने से पहली महिला चीफ जस्टिस बनने की संभावना मजबूत हुई है। बता दें न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन के 12 अगस्त को सेवानिवृत्त होने के बाद 18 अगस्त को (आज) न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा भी सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इस तरह सर्वोच्च न्यायालय में जजों के 10 पद खाली हो जाएंगे।
याद रहे पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के नवंबर 2019 में सेवानिवृत्त होने के बाद कॉलेजियम ने केंद्र सरकार को नियुक्ति के लिए किसी भी नाम की सिफारिश नहीं भेजी थी। अब यह सिफारिश होने से 9 पद भरने की प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है। बस केंद्र की मंजूरी का इन्तजार रहेगा।
कॉलेजियम ने केंद्र सरकार को जजों की नियुक्ति के लिए जो नाम भेजे हैं उनमें कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना का नाम भी शामिल है। प्रोमोशन के बाद 2027 में उनके देश की पहली महिला चीफ जस्टिस बनने पूरी संभावना है। उनके अलावा तेलंगना हाईकोर्ट की हिमा कोहली और गुजरात हाईकोर्ट की बेला त्रिवेदी के साथ-साथ कॉलेजियम ने कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस अभय श्रीनिवास, गुजरात के विक्रम नाथ, सिक्किम के जितेंद्र कुमार माहेश्वरी, केरल के सीटी रविकुमार और एमएम सुंदरेश के नामों की सिफारिश की हैं।
सर्वोच्च न्यायालय में वर्तमान में सिर्फ एक महिला जज इंदिरा बनर्जी हैं, हालांकि जस्टिस बनर्जी भी सितंबर 2022 में सेवानिवृत्त हो जाएंगी। आज तक सुप्रीम कोर्ट में सिर्फ आठ महिला जज ही नियुक्ति हुई हैं। केंद्र सरकार कॉलेजियम की भेजी सिफारिश की पूरी सूचि पर मुहर लगा देती है तो सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या 33 हो जाएगी।