तहलका’ ने बड़े पैमाने पर एक दशक से अधिक समय से चल रहे गैर कानूनी खनन और उसके निर्यात को उजागर किया था। ‘तहलका’ ने केंद्र सरकार और आंध्र सरकार के विभिन्न विभागों – परमाणु ऊर्जा विभाग और केंद्रीय खनन मंत्रालय की मिलीभगत से चल रहे अवैध खनन को भी उजागर किया था। आखिरकार ट्राइमैक्स द्वारा 7.20 वर्ग किलोमीटर के विस्तृत समुद्र तट पर किए जा रहे खनिजों के खनन को वसतावालसा, थौनांगी गांव, गारा मंडल, श्रीकाकुलम जि़ले में निलंबित कर दिया गया है।
हमारी पहली जांचात्मक स्टोरी ”अवैध खनन का बड़ा घोटाला’’ (तहलका मई 15, 2018) ने खनन माफिया और सरकारी विभाग के बीच मिलीभगत (गठजोड़) का खुलासा किया। जबकि ”टाऊाइमैक्स की अलमारी से निकले कई और कंकाल’’ (तहलका जून 15, 2018) ने बताया कि कैसे पैसों का आदान प्रदान (लेन-देन) हुआ। इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने डा. ईएएस सरमा द्वारा दायर की गई जनहित याचिका में दर्ज गंभीर आरोपों पर संज्ञान लिया और नौ जुलाई 2018 को खनन मंत्रालय, पर्यावरण मंत्रालय और परमाणु ऊर्जा विभाग जो सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय के अधीन आते है, उन्हें नोटिस जारी किया। सरमा ने भारतीय खनन ब्यूरो (आईबीएम) और परमाणु खनिज निदेशालय (एएमडी) जो केंद्रीय खनन मंत्रालय के अंर्तगत आते हैं और परमाणु ऊर्जा विभाग जो सीधे प्रधानमंत्री के कार्य परिधि में आता है, उनके खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिकायत की।
सरकार जागी
दुर्भाग्यवश, जब सर्वोच्च न्यायालय ने नौ सितंबर 2018 को नोटिस जारी कर दिए तब खनन मंत्रालय के वे अधिकारी जो तीन महीने से आंध्र प्रदेश सरकार की एक्शन टेकन रिपोर्ट को अपने पास रखे बैठे थे, ने 25 जुलाई 2018 को एक बार फिर राज्य सरकार से एक्शन टेकन रिपोर्ट की मांग की। 20 अप्रैल 2019 से यह तीसरी बार था जब राज्य सरकार से यह रिपोर्ट मांगी गई। अब इस बात का जवाब तो खनन मंत्रालय के लोग ही दे सकते हैं कि जो रिपोर्ट तीन महीने से उनके पास पड़ी थी उसे फिर से क्यों मांगा गया?
21 अगस्त 2018 को नई दिल्ली शास्त्रीनगर स्थित भारत सरकार के खनन मंत्रालय के सयुक्त सचिव डा. निरंजन कुमार सिंह ने 03.8.2018 को तीसरी बार राज्य सरकार द्वारा की गई कार्रवाई की रिपोर्ट स्वीकार करने के बाद तत्काल ज़रूरी पत्र (न. 16/12/2013.ए.प्ट) आंध्र प्रदेश के सचिव और निदेशक (खनन) को श्रीकाकुलम में समुद्र तट पर अवैध खनिज खनन जो ट्राइमैक्स सैंड प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जा रहा था के बारे में लिखा। उन्होंने सुझाव दिया कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए ठोस कार्रवाई की जाए और इसकी रिपोर्ट मंत्रालय को दी जाए।
सितंबर 12, 2018 को न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायाधीश दीपक गुप्ता की एक डबल बेंच खंडपीठ ने रिट याचिका सिविल न. 500/2018 में निर्देश दिया कि-
”हमारा ध्यान भारत सरकार के खनन मंत्रालय द्वारा 21.08.2018 को जारी सूचना ने खींचा है। भारत सरकार ने पैरा 4 (ढ्ढङ्क) में कहा है कि पट्टेदार (ट्राइमैक्स समूह) ने अनधिकृत भूमि पर अवैध खनन और लीज़़ डीड की शर्तों का उल्लंघन किया है। राज्य सरकार (आंध्र प्र्रदेश सरकार) को निर्देश दिया कि एमएमडीआर एक्ट और इसके अधीन बने कानून के अनुसार पट्टेदार के सभी खनन कार्यों को निलंबित करे’’। ”हमारे द्वारा की गई जांच के बारे में आंध्र प्रदेश के अधिवक्ता ने कहा कि अभी इस संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन निश्चित रूप से आज से दो दिन के अंदर ही ले लिया जाएगा’’।
राज्य सरकार ने खनन निलंबित किया
आंध्र प्रदेश सरकार ने सरकार के सचिव आईएएस बी श्रीधर के दस्तखत के तहत 17.09.2018 को। मीमो न. आईएनसी04-11023(39)/1/2018 को ट्राइमैक्स सैंड प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा ईस्ट वेस्ट मिनरल सैंड प्राइवेट लिमिटेड को एक पत्र जारी किया। इसकी एक प्रतिलिपि विजयवाड़ा में स्थित खनन और भूगर्भीय विभाग के निदेशक को दी। जिसने लीज़़ डीड की शर्तों के उल्लंघन और अवैध खनन के लिए वासतवासला और थौनांगी गांव, गारा मंडल, श्री काकुलम जि़ले में 7.20 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में समुद्र तट पर खनिज के लिए खनन को निलंबित कर दिया। मीमो में जांचा कि ”खनन की लीज़ में विवादित भूमि भी शामिल थी इसमें राज्य सरकार को न तो लीज़ पर दस्तखत करने चाहिए थे और खनन की अनुमति देनी चाहिए थी’’।
आदेश में आगे कहा गया है कि ”चूंकि पट्टेदार ने लीज़़ डीड की शर्तों का उल्लंघन करके विवादित भूमि पर अवैध खनन किया है। राज्य को निर्देश दिया कि वे एमएडीआर एक्ट और इसके अधीन बने अन्य प्रावधानों के अनुसार पट्टेदार के पूरे खनन पट्टे में सभी खनन कार्यों को निलंबित करे’’।
सर्वोच्च न्यायालय ने डीएई का एफिडेविट मांगा
18.09.2018 को न्यायाधीश बी लोकुर और न्यायाधीश दीपक गुप्ता ने आदेश दिया ”आंध्र प्रदेश के अधिवक्ता ने 17 सितंबर 2018 को रिकार्ड में एक आदेश रखा कि जिसमें प्रतिवादी संख्या 5 द्वारा खनन कार्य को निलंबित कर दिया गया है। आदेश रिकॉर्ड पर लिया गया है। इस मामले को अदालत ने 27 सितंबर 2018 के लिए सूचीबद्ध कर दिया और इस तिथि से पहले परमाणु ऊर्जा विभाग को अपना ‘ऐफिडेविट ‘ दाखिल करने की हिदायत भी दी गई।’’
श्रीकाकुलम (आंध्र प्रदेश ) का समुद्र तटीय रेत इल्मेनाइट, रूटील, जिरकोन, ल्यूकॉक्सीन और मोनाजाइट जैसे दुर्लभ खनिजों का मिश्रण है। इनमें मोनाजा़इट एक ऐसा खनिज है जो परमाणु ईधन ‘थोरियम’ बनाने के काम आता है। ‘मोनाज़ाइट’ निजी कंपनियों द्वारा न तो बेचा जा सकता है और न निर्यात किया जा सकता है। परन्तु कुछ कंपनियों द्वारा यह बेचा और निर्यात किया जा रहा है। पब्लिक अकाउंटस कमेटी ने पाया कि ‘ट्राइमैक्स समूह ने केवल अवैध खनन में लगा है बल्कि ‘मोनाज़ाइट’ का अवैध निर्यात भी कर रहा है। आंध्र प्रदेश के राजनेता राजेंद्र कोनेरू और उसके दो बेटे मधु कोनेरू और प्रदीप कोनेरू और ट्राइमैक्स सैंडस प्राइवेट लिमिटेड परमाणु खनिजों के अवैध खनन और निर्यात में मुख्य अभियुक्त के रूप में सामने आए हैं।
जंाच रिपार्टों के अनुसार गैर कानूनी कृत्य उस समय सामने आए जब भारतीय खनन ब्यूरो, वन राजस्व और खनन और भू विज्ञान ने अपनी रिपोर्ट भारत सरकार के प्रधान सचिव (उद्योग एंव वाणिज्य) को भेजी। इसमें बताया गया कि ट्राइमैक्स उद्योग 387.72 एकड़ ज़मीन पर किस तरह ववैध खनन कर रहा हैं। आंध्र प्रदेश में खान और भूविज्ञान के निदेशक ने भी अपनी 20 सितंबर 2013 की रिपोर्ट पर कार्रवाई करने का सुझाव दिया। जांच में यह भी पाया कि ट्राइमैक्स उद्योग ने 304.40 एकड़ विवादित ज़मीन पर भी खनन किया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि ट्राइमैक्स कंपनी ने 9750 मीट्रिक टन ‘मोनाज़ाइट’ का भंडार गड्ढे खोद कर अपने प्रोसेसिंग प्लांट के नीचे छुपा रखा था।
आंध्र प्रदेश सरकार के सतर्कता एंव प्रवर्तन विभाग ने भी अपनी 11 मार्च 2016 की रिपोर्ट में अनुंशासित किया था कि ट्राइमैक्स ग्रुप से 17,58,112 मीट्रिक टन ‘बीच सैंड खनिज’ जिसमें ‘मोनाज़ाइट’ भी शामिल है, को अवैध रूप से निकालने और बेचने के लिए उनसे 1295.63 करोड़ की वसूली की जाए।
देश की सर्वोच्च अदालत ने डाक्टर ईएएस सरमा की जनहित याचिका में लगाए गए आरोपों की गंभीरता से लेते हुए भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों – पर्यावरण मंत्रालय, खान मंत्रालय व परमाणु ऊर्जा विभाग, जो कि सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय के तहत आते हैं, को नोटिस जारी कर दिए। न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण को सुनने के बाद काफी गंभीर टिप्पणियां की कि केंद्र और राज्य सरकार ने ट्राइमैक्स कंपनी को अवैध खनन चलाने दिया। अदालत ने दोनों सरकारों से अपने जवाब दो हफ्ते के भीतर देने के लिए कहा। भारत सरकार से रिटायर्ड डाक्टर ईएएस सरमा यह मामला पिछले कई सालों से विभिन्न अधिकारियों के समक्ष उठाते रहे हैं। जब उनकी शिकायत पर किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की तो उनके पास सर्वोच्च अदालत का द्वार खटखटाने के अलावा और कोई चारा नही था, ताकि ट्राइमैक्स ग्रुप के अवैध खनन को रोका जा सके। साथ ही राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच की सांठगांठ पर अदालत की नजऱ रहे। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आंध्र प्रदेश सरकार के प्रवर्तन विभाग के महानिदेशक की इस रिपोर्ट के बाद कि अवैध खनन के लिए ट्राइमैक्स ग्रुप से 1295 करोड़ की राशि वसूली जाए, पर ढाई साल बाद तक भी कोई प्रयास नहीं किया गया। आज यह राशि बढ़ कर दुगनी से भी ज़्यादा हो गई है। ऐसे बड़े मामले में मात्र सर्वोच्च न्यायालय ही अवैध खनन और भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई कर सकता है।
ट्राइमैक्स के चहेते अधिकारी
सरकारी दस्तावेजों की जांच से यह आभास होता है कि खनन मंत्रालय संयुक्त सचिव व सीवीओ निरंजन कुमार सिंह और कुछ दूसरे अधिकारी ट्राइमैक्स ग्रुप की कथित मदद करने के लिए अपनी सीमाओं को भी पार कर रहे थे। पेश है चरणजीत आहुजा की रिपोर्ट।
यहां नीचे दी जा रही घटनाओं की जानकारी यह साबित कर देगी कि ये अधिकारी ट्राइमैक्स ग्रुप की मदद कर रहे थे।
- आठ जनवरी 2018 को खनन मंत्रालय के संयुक्त सचिव बिपुल पाठक ने आंध्र प्रदेश सरकार के प्रधानसचिव को निम्नलिखित टिप्पणियों के साथ एक पत्र भेजा-
‘‘याचिका कर्ता ने अपनी शिकायत के साथ जो दस्तावेज भेजे हैं उससे लगता है कि आंध्रप्रदेश सरकार के प्रवर्तन विभाग ने इस मामले में औपचारिक जांच की है। इस रिपोर्ट में कहा गया कि गैर कानूनी खनन हो रहा है और साथ ही 1295.63 करोड़ की वसूली ईस्ट वेस्ट मिनरल प्राइवेट लिमिटेड से की जाए। उसने यह भी लिखा है कि राज्य सरकार के 29/3/16 के खनन को रोकने के आदेश के बावजूद खनन जारी है। इस पर राज्य सरकार से रिपोर्ट पेश करने को भी कहा।
यहां यह बताना ठीक होगा कि गैर कानूनी खनन एमएमडीआर एक्ट की धारा 21 (5) के तहत आ सकता है। राज्य सरकार को चाहिए कि वह इसकी जांच कर इस पर कार्रवाई करे और कार्रवाई की ‘एक्शन टेकन रिपोर्ट’ भेजे।
- यहां यह जानना भी उचित होगा कि उपरोक्त पत्र मिलने के तीन दिन के बाद उस समय इस मुद्दे को देख रहे संयुक्त सचिव बिपुल पाटक का विभाग बदल दिया गया। यह बदलाव उस समय खनन विभाग के सचिव अरूण कुमार ने किया। 31 मार्च 2018 को रिटायर हो गए। इसके साथ ही खनन मंत्रालय ने ट्राइमैक्स के खिलाफ मामले को फिर से ठंडे बस्ते में डाल दिया।
- इसके बाद 27 फरवरी 2018 को खनन मंत्रालय के निदेशक ने आंध्रप्रदेश सरकार को एक पत्र भेजा जिसके बाद खनन मंत्रालय के संयुक्त सचिव निरंजन कुमार सिंह ने 16 अप्रैल 2018 को एक ‘डीओ’ भेज कर आंध्रप्रदेश सरकार से ‘एक्शन टेकन रिपोर्ट’ मांगी।
- 27 फरवरी के इस पत्र के जवाब में आंध्रप्रदेश सरकार ने अपने पत्र नंबर 377/एम111(2)/2018 तिथि 20 अप्रैल 2018 को ‘एक्शन टेकन रिपोर्ट’ खनन मंत्रालय के निदेशक को भेज दी।
- फिर भी 16 अप्रैल 2018 को ‘डीओ’ मिलने के बाद आंध्र प्रदेश सरकार ने 30 अप्रैल 2018 को अपने डीओ पत्र नंबर 377/एम/111(2)/2018 के तहत फिर से एक्शन टेकन रिपोर्ट भेज दी। यह रिपोर्ट खनन मंत्रालय में संयुक्त सचिव निरंजन कुमार सिंह को भेजी गई थी।
- इसके बाद में खनन मंत्रालय में दो पत्रों तिथि 20 अप्रैल 2018 और 30 अप्रैल 2018 की फाइल मोमेंट की प्रतिलिपि से पता चलता है कि 20 अप्रैल 2018 वाला पत्र खनन मंत्रालय में चार मई 2018 को प्राप्त कर लिया गया था। इसे आरआई सैक्शन में ब्रहम प्रकाश ने प्राप्त किया। उन्होंने उसी दिन वह पत्र खनन मंत्रालय में अवर सचिव अधीर कुमार मलिक को भेज दिया था। अधीर कुमार ने वह चि_ी चार मई 2018 को खनन ढ्ढङ्क के सतीश मोहन कपूर को भेजी, जिन्होंने उसे सात मई 2018 को खनन ढ्ढङ्क के सुबोध कुमार को भेज दिया। तब से लेकर आज चार महीने हो गए वह पत्र वहीं सुबोध कुमार के पास पड़ा है।
- आंध्र प्रदेश के सचिव ने जो ‘डीओ’ पत्र 30 अप्रैल 2018 को खनन मंत्रालय के सयुंक्त सचिव निरंजन कुमार सिंह को भेजा वह उन्होंने ज़रूर देखा होगा। पर उस पत्र का क्या हुआ किसी को मालूम नहीं। यह नहीं पता कि क्या उसे दबा दिया गया, फाड़ दिया, या उन्होंने अपने स्तर पर ही रोक कर बाद के लिए रख लिया। यह बहुत ही गंभीर मामला है और इसकी जांच होनी चाहिए।
- एक्शन टेकन रिपोर्ट ट्राइमैक्स ग्रुप के लिए काफी नुकसानदेह है। वह ग्रुप को अपूर्णीय क्षति पहुंचा सकता है। इस पर खनन मंत्रालय के लोग कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे, इसका उत्तर उन्हीं के पास है। 20 अप्रैल 2018 की यह रिपोर्ट उनके रिकॉर्ड में है और उसे रोके रखा गया है। इससे स्पष्ट है कि ये अधिकारी व्यक्तिगत स्वार्थ के कारण ट्राइमैक्स ग्रुप का साथ दे रहे हैं।
- दायर की गई याचिका (सी) 500 ऑफ 2018 में सर्वोच्च अदालत ने नौ जुलाई 2018 को नोटिस जारी किए है जो कि प्रतिवादियों को मिल गए हैं।
- उपरोक्त अप्रत्याशित घटनाओं से परेशान और अपने कत्र्तव्य निर्वाह में लापरवाही, ट्राइमैक्स ग्रुप की तरफदारी के मामलों में पकड़े जाने के डर से खनन मंत्रालय की निदेशक वीना कुमारी डरमल ने 25 जुलाई 2018 को ‘एक्शन टेकन रिपोर्ट’ के मामले में आंध्रप्रदेश सरकार के सचिव को एक और पत्र लिख दिया। हालांकि इससे पूर्व 20 अप्रैल 2018 और 30 अप्रैल 2018 को दो पत्र भेजे जा चुके थे।
- 25 जुलाई 2018 के पत्र के जवाब में आंध्र प्रदेश के सचिव ने वीना कुमारी निदेशक खनन मंत्रालय को तीन अगस्त 2018 को तीसरी बार ‘एक्शन टेकन रिपोर्ट’ की प्रतिलिपि भेज दी। इस पत्र के पहले ही पैरे में आंध्र प्रदेश के सचिव ने उन दो पत्रों का हवाला दिया जिनके माध्यम से 20 अप्रैल और 30 अप्रैल 2018 के ‘एक्शन टेकन रिपोर्ट’ की प्रतिलिपियां भेजी थीं । इसके साथ ही उन्होंने भेजी गई रिपोर्टस की प्रतिलिपियां भी लगा दी थी। पत्र के पहले पैरे में उन्होंने लिखा था-
”मैं आपका ध्यान यहां दिए गए आठवें बिंदू की ओर दिलाना चाहता हूं जिसमें आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम में ट्राइमैक्स सैंडस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की खनिजों के गैर कानूनी खनन के खिलाफ ‘एक्शन टेकन रिपोर्ट’ देने को कहा गया था। मैं आपकों यह सूचित करता हूं कि अनजानी सिरी मौर्या सनकवैली की ट्राइमैक्स सैंडस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के खिलाफ शिकायत एक्शन टेकन रिपोर्ट 20 अप्रैल 2018 को और फिर 30 अप्रैल 2018को रेफरेंस फाइल नंबर 377/एम-111/ए2/2017 और सातवां बिंदू पर उसकी प्रतिलिपि आपके लिए मैं यहां संलग्न कर रहा हंू।’’
- ऊपर लिखित की रोशनी में आंध्र प्रदेश सरकार के दिनांक 21 अगस्त 2018 के पत्र के जवाब में खनन मंत्रालय संयुक्त सचिव निरंजन कुमार सिंह को एक खत मजबूरन आंध्र प्रदेश सरकार के सचिव को लिखना पड़ा जिसमें वही निर्देश थे जो मंत्रालय ने अपने आठ जनवरी 2018 के पत्र में जारी किए थे। 21 अगस्त 2018 के पत्र में इससे पूर्व 20 और 30 अप्रैल 2018 को लिखे पत्रों का कोई जि़क्र नहीं था।
इससे यह प्रभाव देने का प्रयास किया गया कि मंत्रालय को एक्शन टेकन रिपोर्ट सबसे पहले तीन अगस्त 2018 को ही मिली थी। हालांकि आंध्रप्रदेश सरकार के तीन अगस्त 2018 के और 21 अगस्त 2018 के दोनों खतों में 1295 करोड़ की वसूली पर पूरी चुप्पी थी जिसके लिए खनन मंत्रालय ने आठ जनवरी 2018 को ट्राइमैक्स कंपनी के गैरकानूनी खनन और खनन के नियमों की अवेहलना करने के लिए उन पर वसूली लगाई थी।
- असल में आंध्र प्रदेश सरकार की 20 अप्रैल 2018 को भेजी एक्शन टेकन रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई न करके खनन मंत्रालय के अधिकारियों ने ट्राइमैक्स ग्रुप को इस अवधि दौरान गैर कानूनी खनन करने का पूरा मौका दिया है।