एक ओर तो केंद्र और राज्य सरकारें कह रही है। कि किसी भी कर्मचारी को कोई कम्पनी वाला ना तो नौकरी से निकालें, और ना ही उनका वेतन काटें, पर इस मामले में सरकार की कितनी जिम्मेदारी बनती है। उस पर सरकार कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है। इसके कारण प्राईवेट नौकरी करने वालों की दिक्कत कम होने के बजाय बढ रही है। तहलका संवाददाता को प्राईवेट कम्पनी में कार्यरत कर्मचारियों ओर ठेकेदारों ने बताया कि सरकार अपनी बात और कमी को छिपाते हुये कर्मचारियों ओर ठेकेदार के बीच एक विरोधाभास की स्थिति पैदा कर रही है । जिससे कर्मचारियों को लगने लगता है। कि ठेकेदार उनके साथ अन्याय कर रहे है। जबकि हकीकत कुछ ओर ही है।
सुरक्षा गार्डों ओर सफाई का काम करवाने वाले ठेकेदारों ने बताया कि इस समय देश में कोरोना वायरस के कहर से हाहाकार मचा हुआ है । ऐसे हालात ओर हालत में सरकार का कहना है। कि किसी भी कर्मचारी को ना तो नौकरी से निकाला जाये ओर ना ही उनका वेतन काटा जाये पर सरकार का भी दायित्व बनता है। कि ठेकेदारों को भी भुगतान भी समय पर करवायें, ताकि वे कर्मचारियों का वेतन समय पर दिया जा सकें।लेकिन ऐसा नहीं किये जाने से ठेकेदारों को काफी परेशानी का सामना करना पड रहा है। बताते चले देश भर कई सुरक्षा गार्डों का काम करने वाली तामाम कम्पनियां अस्पतालों , स्कूलों , रेल , मैट्रो और तामाम सरकारी व निजी कम्पनियों में सेवायें दें रही है।इस लिहाज से हजारों की संख्या में गार्ड अपनी नौकरी कर रहे है।लेकिन इन दिनों ठेकेदारों को समय पर भुगतान ना होने से समय पर वेतन नहीं दें पा रहे है।
ठेकेदार नैम चंद्र राणा का कहना है, कि उनकी सुरक्षा कम्पनी दिल्ली सहित अन्य राज्यों में सैकडों गार्डों को नौकरी पर रखे है । लेकिन कोरोना महामारी के कारण उनको भुगतान ही नहीं हो पा रहा है।इसके कारण गार्डों को समय पर वेतन देनें में दिक्कत हो रही है।जबकि उनकी कम्पनी समय पर जी एस टी ओर इन्कम टैक्स दें रही है।
ठेकेदार राजेश कुमार ने बताया कि कोरोना का कहर तो अभी आया है। पर उनको भुगतान तो पहले से ही कई महीनों से नहीं हुआ है।ऐसे में कर्मचारियों को वेतन देनें में काफी दिक्कत हो रही है । कर्ज ले कर गार्डों को वेतन देने को मजबूर होना पड रहा है।उऩ्होंने बताया कि दिल्ली नगर निगम में ठेकेदारों का करोडों का भुगतान फंसा हुआ है। ठेकेदार भुगतान लेने की अपील करते है ,तो उन्हें ये भी कह कर भगा दिया जाता है। कि कोरोना का कहर जब रूक जायेगा, तब भुगतान किया जायेंगा।इस बारे में गार्ड रामखिलावन, लखन सिंह, करमवीर और शिवकुमार का कहना है कि ये बात तो सच है। कि ठेकेदार कमीशन के तौर पर वेतन में कुछ कटौती तो करते है ।ओर वेतन देनें में कई बार देरी करते है। लेकिन ठेकेदार को जब सरकारी विभाग में बैठे आला अधिकारी ही भुगतान करने में देरी करते है, तो ऐसी स्थिति में ठेकेदार वेतन देने में असमर्थता व्यक्त करता है। इसके कारण गार्डों को काफी परेशानी होती है।ठेकेदारों का कहना है कि किसी भी गार्ड को कोई ठेकेदार इस समय नौकरी से निकालने की स्थिति में नहीं है क्योंकि मौजूदा हालात में हजारों की तादाद में गार्ड कोरोना के भय के कारण अपने गांवों में जाने को वे-बस है। इसलिये गार्ड की कमी है, तो नौकरी से कोई कैसे निकाल सकता है।श्रम विभाग के अधिकारी ने नाम ना छापने पर बताया कि ऐसा कोई आदेश लिखित में नहीं है। कि कोई कम्पनी वाला किसी को नौकरी से नहीं निकाल सकता है। पर मानवीय आधार पर तो ये बात गलत है। कि जरा सी दिक्कत होने पर कोई कैसे नौकरी से निकाल सकता है।
वहीं ठेकेदारों का कहना है, कि सरकार को भी इस विपदा की घडी में कोई बीच का रास्ता तो निकालना चाहिये ताकि ठेकेदारों ओर कर्मचारियों के बीच एक तालमेल बना रहे ओर किसी की नौकरी जाने का खतरा ना रहे ओर ना ही वेतन कटें।