मोदी सरकार की लगातार फजीहत और दो बड़ों की लड़ाई सीबीआई में कई अफसरों पर भारी पड़ी है। निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया गया है। सीवीसी के दखल के बाद सरकार ने यह फैसला किया है और इसके रात एक बजे का समय चुना गया।
वैसे निदेशक की नियुक्ति दो साल के लिए एक विशेष प्रक्रिया से होती है लिहाजा उन्हें ऐसे हटाया नहीं जा सकता। सरकार के इस फैसले के खिलाफ आलोक वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में जाने का फैसला कर लिया है। कुछ ही देर पहले उनकी मुख्या न्यायाधीश के सामने प्रस्तुति हुई है और इस मामले पर शुक्रवार को सुनवाई होगी। आलोक वर्मा ने इसके लिए जो याचिका दाखिल; kee है use विचार के लिए मंजूर कर लिया गया है।
इस बीच संयुक्त निदेशक नागेश्वर राव को निदेशक पद की अंतरिम जिम्मेबारी सौंपी गयी है।
मोदी सरकार की सीबीआई मन चल रह घमासान से बहुत फजीहत हो रही थी। पीएमओ इन घटनाओं पर लगातार नज़र रखे था लिहाजा ऐसा लग रहा था कि सख्त कार्रवाई सरकार को मजबूरी में करनी पड़ेगी ही। सीबीआई के भ्रष्टाचार और उगाही का अड्डा बनने के आरोप और किसी नहीं बल्कि सीवीआई के ही वरिष्ठ अफसरों की तरफ से आये ऐसे में एजेंसी की विश्वसनीयता पर जबरदस्त चोट पहुँची है।
आधी रात को की गयी कार्रवाई में सीबीआई हेडक्वार्टर के १०वें और ११वें माले को भी सील कर दिया गया है। इसके अलावा उस पूरी टीम हो हटा दिया गया है जो राकेश अस्थाना के मामले की जांच कर रही थी। संयुक्त निदेशक अरुण शर्मा और डीआईजी मनीष शर्मा को भी बदला गया है। सरकार ने निदेशक आलोक वर्मा को लम्बी छुट्टी पर भेजने के पत्र में तकनीकी रूप से उन्हें उनके पद से हटाने का जिक्र नहीं किया है। ऐसा करके सरकार ने आलोक के कोर्ट जाने की स्थति में खुद की स्थिति कानूनन ठीक रखने की कोशिश की है। वैसे वर्मा का सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाना लगभग तय है। सरकार ने उन्हें छुट्टी पर भेजा गया है।
रात के कार्रवाई में सीबीआई के १०वें और ११वें माले को भी सील कर दिया गया है।