नशा इंसान के जीवन के लिए अभिशाप है। नशाख़ोरी किसी भी देश की एक ऐसी समस्या है, जिसके चलते हर साल हज़ारों ज़िन्दागियाँ बर्बाद और ख़त्म होती हैं और कई घर बीरान होते हैं।
अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश के ज़िला आजमगढ़ के अहरौला इलाक़े में ज़हरीली शराब पीने से पाँच लोग मर गये, जबकि 41 लोग बीमार हो गये। देश में ऐसी ख़बरें तक़रीबन हर एक-दो महीने के अंतराल से आती रहती हैं। यह हाल तब है, जब सरकारें नशीले पदार्थों की तस्करी रोकने का न केवल दावा करती हैं, बल्कि नशामुक्ति अभियान भी चलाती हैं।
हर साल 26 जून को अंतरराष्ट्रीय मादक द्रव्य निषेध यानी विश्व नशामुक्ति दिवस मनाया जाता है। लेकिन नशाख़ोरी पर पूरी तरह प्रतिबंध हिन्दुस्तान में कभी नहीं लग सकेगा। इसकी पहली वजह यही है कि हमारे देश के हर राज्य, हर शहर, हर क़स्बे और हर गाँव में शराब और नशे की दूसरी चीज़ें आसानी से उपलब्ध रहती हैं। इन नशीली चीज़ों में शराब की बिक्री सरकारों की मर्ज़ी से खुलेआम होती है। देश के जिन दो राज्यों (गुज़रात और बिहार) में वहाँ की सरकारों ने शराब पर बैन लगा दिया है, वहाँ चोरी-छिपे ही सही; लेकिन आसानी से शराब उपलब्ध रहती है।
नशाख़ोरी बढ़ाने के तरीक़े
वैसे तो कई राज्यों में वहाँ की सरकारें शराब की बिक्री को बढ़ावा देती हैं, क्योंकि शराब बिक्री से हर राज्य को मोटा कर (टैक्स) प्राप्त होता है। इससे न केवल राज्य सरकार को, बल्कि केंद्र सरकार को भी राजस्व की मोटी रक़म प्राप्त होती है। शराब की बिक्री राज्य सरकारों के लिए आमदनी का एक ऐसा ज़रिया है, जिसके बन्द होने से राज्य के राजस्व संग्रह पर काफ़ी असर पड़ता है। ऐसे में तक़रीबन हर राज्य की सरकारें शराब बेचकर या बिकवाकर करोड़ों रुपये सालाना बजट जुटाती हैं।
हाल ही में दिल्ली और हरियाणा में नशाख़ोरी को बढ़ावा मिलने के दो उदाहरण देखने को मिल रहे हैं। दोनों राज्यों की सरकारों ने अपने-अपने तरीक़े से नशाख़ोरी बढ़ाने की पहल की है।
दिल्ली में मुफ़्त शराब का चक्कर
दिल्ली देश की राजधानी है, जहाँ हर रोज़ तक़रीबन 12 से 15 फ़ीसदी लोग शराब का सेवन करते हैं, जिनमें आठ फ़ीसदी लोग नियमित शराब का सेवन करते हैं। इन दिनों दिल्ली सरकार ने शराब पर 35 फ़ीसदी से लेकर एक शराब की बोतल पर एक बोतल मुफ़्त देने का चलन शुरू किया है। यह ऑफर सस्ती-से-सस्ती शराब से लेकर महँगी-से-महँगी शराब पर लागू है। इसके पीछे दलील दी जा रही है कि दिल्ली सरकार पुराना स्टॉक ख़त्म करने के लिए ऐसा ऑफर लेकर आयी है। लेकिन इससे दिल्ली में शराब की बिक्री क़रीब तीन से चार गुना बढ़ गयी है। दिल्ली सरकार ने यह ऑफर ऐसे समय में शुरू किया है, जब देश के पाँच राज्यों में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं। यह तो पहले से ही ज़ाहिर है कि दिल्ली में शराब दूसरे राज्यों से पहले भी सस्ती हुआ करती थी, जिसके चलते दिल्ली से शराब की तस्करी दूसरे राज्यों, ख़ासकर उत्तर प्रदेश में होती थी।
अब जब चुनावों का दौर चल रहा है और आने वाले कुछ ही महीनों में दिल्ली में भी एमसीडी के चुनाव होने हैं, दिल्ली में शराब की बोतलों पर यह ऑफर शराब माफिया के लिए जमाख़ोरी और तस्करी का एक सुनहरा मौक़ा है। क्योंकि अब वे दिल्ली से सस्ती शराब ख़रीदकर दूसरे राज्यों में इसकी तस्करी और बड़े पैमाने पर करेंगे। वैसे भी होली का त्योहार निकट आ ही रहा है। इसके अलावा जो लोग एक बोतल शराब रोज़ या हफ़्ते में लेते थे, उन्हें पैसे में अब उसी पैसे में दो बोतल शराब मिल रही है। और जो दो बोतल शराब ख़रीदते थे, उन्हें अब उसी पैसे में चार बोतल शराब मिल रही है।
इसके अलावा पीने वालों को ऑफर में एक बोतल पर मुफ़्त मिलने वाली बोतल का चस्का लगना स्वाभाविक है। पिछले दिनों सामने आयी ख़बरों के मुताबिक, कई जगह एक बोतल पर एक बोतल मुफ़्त न देने पर ठेका कर्मचारियों से मारपीट की दिल्ली में कई घटनाएँ हो चुकी हैं। जानकार कहते हैं कि दिल्ली में इन दिनों जिस तरह से एक बोतल पर एक बोतल मुफ़्त का ऑफर चल रहा है, उससे शराब की तस्करी और नशाख़ोरी को बढ़ावा मिल रहा है। ठेके पर बैठे विक्रेताओं और नशा माफिया से लेकर शराब पीने वाले तक शराब का स्टॉक करने से नहीं चूक रहे हैं।
हरियाणा में घटी नशाख़ोरी और बिक्री करने की उम्र
हरियाणा सरकार ने शराब सेवन करने वालों की उम्र घटा दी है। दरअसल हरियाणा सरकार ने राज्य में शराब पीने की उम्र घटा दी है। हरियाणा में पहले शराब पीने की छूट क़ानूनी तौर पर 25 साल के युवाओं से लेकर आगे की उम्र वालों के लिए थी; लेकिन अब 21 साल के युवा भी शराब पी सकेंगे। ख़बरों के मुताबिक, इस सम्बन्ध में दिसंबर, 2021 में ही हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र में राज्य में लागू आबकारी (एक्साइज) क़ानून, 1914 की चार धाराओं, धारा-27, धारा-29, धारा-30 और धारा-62 में संशोधन करके इसे विधानसभा की तरफ़ से 31 दिसंबर 2021 को पारित कर दिया गया था।
राज्य के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने इस हरियाणा आबकारी (संशोधन) विधेयक, 2021 को स्वीकृति दे दी है और 11 फरवरी से उक्त संशोधन क़ानून हरियाणा सरकार के गजट में प्रकाशित कर दिया गया है। अब यह क़ानून पूरे राज्य में तत्काल प्रभाव से लागू है और अब 21 साल के युवाओं को भी पुलिस शराब पीने से राज्य में नहीं रोक सकती। पुराने क़ानून में धारा-27 के तहत यह प्रावधान था कि शराब और नशीली दवाओं के निर्माण, थोक या ख़ुदरा बिक्री के लिए पट्टा राज्य सरकार की तरफ़ से 25 साल से कम उम्र के व्यक्ति को नहीं दिया जा सकता था। लेकिन अब नये क़ानूनी संशोधन के बाद इसे घटाकर 21 साल कर दिया गया है।
इसी तरह पहले धारा-29 के तहत कोई भी शराब या नशीली दवा का लाइसेंसधारी विक्रेता 25 साल से कम उम्र के किसी भी युवा को शराब या नशीली दवा नहीं बेच सकता था; लेकिन अब वह 21 साल के युवाओं को इनकी बिक्री कर सकता है। वहीं 10 फरवरी, 2022 तक धारा-30 के तहत 25 वर्ष से कम आयु के किसी भी युवा को शराब या नशीली दवाएँ बेचने का लाइसेंस नहीं दिया जाता था; लेकिन अब 21 साल के युवाओं को भी इनका लाइसेंस मिल सकता है।
इसी तरह धारा-62 में पहले प्रावधान था कि अगर कोई लाइसेंस प्राप्त शराब या नशीली दवा विक्रेता या इन दुकानों पर नौकरी करने वाला कोई कर्मचारी या अन्य कोई कार्य करने वाला व्यक्ति 25 साल से कम उम्र के किसी युवा को शराब या नशीली दवा देता है, तो उस पर 50 हज़ार तक का ज़ुर्माना और प्रावधान के मुताबिक अन्य दण्ड लगाया जाएगा। लेकिन अब यह नियम 21 साल से कम उम्र के युवाओं को शराब या नशीली दवा बेचने पर लागू होगा। इसके पीछे दलील यह है कि क़ानून में यह संशोधन देश के कई राज्यों, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) दिल्ली भी शामिल हैं, में लागू नियमों को देखते हुए किया गया है। वैसे नशाख़ोरी में हरियाणा के युवाओं की एक बड़ी संख्या फँसी हुई है। पिछले दो दशकों से हरियाणा में नाइट क्लब, पब, डिस्को बार आदि का चलन बढऩे से यहाँ के युवाओं में नशाख़ोरी की लत बढ़ी है।
नशाख़ोरी के नुक़सान
एक अनुमान के मुताबिक, देश में ज़हरीली शराब से हर साल तक़रीबन 1,000 लोगों की मौत होती है, वहीं शराब की अधिकता के चलते हज़ारों लोग हर साल कम उम्र में ही मौत के मुँह में समा जाते हैं। देश में लीवर और किडनी के मरीज़ों में 40 फ़ीसदी नशा करने के कारण बीमार होते हैं। आँकड़े बताते हैं कि भारत में पिछले तीन वर्षों में ही ड्रग्स का बाज़ार 455 फ़ीसदी तक बढ़ गया है। देश के 2.1 फ़ीसदी लोग ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े से तस्करी किये गये नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं।
देश में शराब के सेवन में राज्यों का स्तर बताता है कि छत्तीसगढ़ पहले स्थान पर है, जहाँ क़रीब 35.6 फ़ीसदी लोग शराब का सेवन करते हैं। इसके अलावा त्रिपुरा में 34.7 फ़ीसदी, पंजाब में 28.5 फ़ीसदी, अरुणाचल प्रदेश में 28 फ़ीसदी, गोवा में 26.4 फ़ीसदी लोग शराब पीते हैं। वहीं सभी प्रकार की नशाख़ोरी की अगर बात करें, तो मिजोरम नशाख़ोरी में पहले स्थान पर है। वहीं सभी प्रकार के नशे के मामले में पंजाब दूसरे और दिल्ली तीसरे स्थान पर हैं।
इसके अलावा देश में क़रीब सवा करोड़ लोग गाँजा और चरस का सेवन करते हैं। गाँजा और चरस के नशे में सिक्किम के लोग पहले, ओडिशा के दूसरे और दिल्ली के लोग तीसरे स्थान पर बताये जाते हैं। हालाँकि आबादी के हिसाब से देखें, तो मुम्बई नशाख़ोरी का एक बहुत बड़ा अड्डा है।
एक सर्वे के मुताबिक, 44 फ़ीसदी ड्रग्स लेने वाले लोग उसे छोडऩा चाहते हैं; लेकिन उनमें से 25 फ़ीसदी को ही नशामुक्ति का सहारा मिल पाता है। इसकी वजह सरकारी नशामुक्ति केंद्रों का अभाव और निजी संस्थानों में मोटी फीस है।
नशे को बढ़ावा ठीक नहीं
दिल्ली-एनसीआर में पाँच नशामुक्ति केंद्र चलाने वाले शान्तिरत्न फाउंडेशन के अध्यक्ष इंद्रजीत सिंह कहते हैं कि दिल्ली में शराब पर ऑफर देना मेरी समझ से ठीक नहीं है; क्योंकि यहाँ पहले से ही शराब पीने वालों की संख्या बहुत है। ऐसे में शराब पर ऑफर मिलने से पीने वालों की संख्या तो बढ़ेगी ही, लोगों के पीने की लत भी बढ़ेगी। यह एक प्रकार से नशाख़ोरी को बढ़ावा देना है। हम लोग नशामुक्ति अभियान चलाते हैं, जिस पर माफिया तो पानी फेरते ही हैं, अगर सरकारें भी वही काम करेंगी, तो इसे उचित कैसे कह सकते हैं? राजधानी में तो वैसे भी हर चीज़ बहुत तेज़ी से फैलती और असर करती है। हमारे यहाँ शराब छुड़ाने के महीने भर में 20 से 30 मामले आते हैं। लेकिन समस्या यह है कि कई परिवार भी शराब, सिगरेट और तम्बाकू पीने को उतना बुरा नहीं समझते, जितना कि ड्रग्स, चरस, गाँजा आदि को समझते हैं। ऐसे में शराब पीने वालों को बढ़ावा मिल रहा है।
जनहित में नहीं फैसले
दिल्ली के द्वारिका में एक निजी अस्पताल में सेवाएँ दे रहे जनरल फिजिशियन डॉ. मनीश कहते हैं कि शराब पर इतनी भारी छूट उन्होंने अपने जीवन में कभी नहीं देखी। दिल्ली में हर शराब की दुकानों पर आजकल विकट भीड़ देखी जा सकती है, जिससे पता चलता है कि दिल्ली में शराब पीने का चलन बढ़ रहा है। रही हरियाणा की बात, तो इसमें कोई शक नहीं कि 21 साल के युवा भी बड़ी आसानी से बहक जाते हैं। इसकी पहली वजह यही होती है कि वे इस उम्र में उतने ज़िम्मेदार नहीं होते, जितने 25-26 साल की उम्र में होते हैं। वैसे भी 21 साल की उम्र में युवा कॉलेज लाइफ में होते हैं और उनमें रुतबा दिखाने का एक फैशन-सा होता है। अगर इस उम्र में उन्हें नशा करने की छूट मिलेगी, तो ज़ाहिर है कि वे नशे की ओर अग्रसर हो सकते हैं। इसलिए दोनों ही राज्य सरकारों के फ़ैसलों को अच्छा नहीं कहा जा सकता, क्योंकि ये छूटें किसी भी तरह से देश, समाज और जन हित में नहीं हैं।