महाराष्ट्र में सत्ता का केंद्र बने नागपुर के एक सरकारी अस्पताल में महिला द्वारा अपने हाथों प्रसव किए जाने की खबर खबर ने महाराष्ट्र के सरकारी अस्पतालों की पोल खोलकर रख दी है।
मिली जानकारी के अनुसार रविवार के दिन अस्पताल में डिलिवरी के लिए आई महिला प्रसव वेदना से मदद के लिए चिल्लाने लगी। लेकिन उसे अस्पताल के डॉक्टरों की मदद नहीं मिली। महिला की आवाज सुनकर उसकी मां उसके पास पहुंची और नवजात शिशु ने जन्म लिया।
सुकेशनी तारे नामक 23 वर्षीय महिला को शनिवार के दिन अस्पताल में भरती किया गया था। रात 2 के करीब उसे प्रसव पीड़ा शुरू हुई ।सुकेशिनी को डिलीवरी रूम में ले जाया गया लेकिन डिलीवरी नहीं हुई। डॉक्टर चले गए इसके बाद रात 3 बजे से सुबह 5 बजे तक वह अकेली थी। 5.10 के करीब फिर उसे डिलीवरी पेन शुरू होने लगा। वह पीड़ा से बिलबिलाती चिल्लाने लगी। आसपास आसपास डॉक्टर ना होने की और नर्स न होने की वजह से उसे खुद ही अपनी डिलीवरी करनी पड़ी। खबरों के अनुसार उसने एक हाथ से अपने बच्चे को पकड़ा और दूसरे हाथ से अपनी मां को फोन किया। उसकी आवाज सुनकर उसकी मां भीतर पहूंची। उनकी पुकार सुनकर नर्स आई और उसने बच्चे को गर्भ नाल से अलग किया।
डिलीवरी के बाद उस और उसके नवजात शिशु को फर्श पर ही लेटा दिया गया। अस्पताल के सूत्रों के अनुसार वहां पर पेशेंस की संख्या ज्यादा और बेड कम होने की वजह से ऐसा हुआ है। इस बीच नागपुर के पालक मंत्री चंद्रकांत बावनकुले इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं।