समाजवाद की बड़ी आवाज़ और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, जो समाजवादी पार्टी के संस्थापक भी थे, का सोमवार सुबह निधन हो गया। वे काफी दिन से गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती थे। पीएम मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित कई नेताओं ने उनके निधन पर शोक जताया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने मुलायम सिंह यादव के निधन पर 3 दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है।
मुलायम सिंह यादव, जिन्हें उनके समर्थक नेता जी कहकर बुलाते थे, को तबीयत खराब होने के बाद पहली अक्टूबर को मेदांता के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। उनकी हालत लगातार खराब हो रही थी। मुलायम सिंह के निधन ने समाजवादी परिवार को शोक में डुबो दिया है। उनके बेटे अखिलेश यादव, भाई शिवपाल यादव और बहू अपर्णा यादव दिल्ली पहुँच गए हैं।
याद रहे तीन महीने पहले ही उनकी पत्नी साधना गुप्ता का भी निधन हो गया था। पिता मुलायम सिंह के निधन की जानकारी देते हुए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा – ‘मेरे आदरणीय पिता जी और सबके नेता जी नहीं रहे।’
नेता जी करीब 55 साल तक राजनीति में सक्रिय रहे। उनका जन्म 22 नवंबर, 1939 को इटावा जिले के सैफई में हुआ था। राजनीति शास्त्र में एमए की पढ़ाई के बाद वह 1967 में पहली बार यूपी के जसवंत नगर से विधायक निर्वाचित होकर विधानसभा पहुंचे। इसके बाद उन्होंने अपने राजनीतिक करियर में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
मुलायम आठ बार विधायक जबकि सात बार लोकसभा सदस्य चुने गए। साल 1996 में उन्हें यूनाइटेड फ्रंट गठबंधन की सरकार में रक्षा मंत्री बनने का भी अवसर मिला। संसद में उनकी तकरीरों को महत्व दिया जाता था और उन्हें राजनीति का माहिर खिलाड़ी समझा जाता था।
कुल मिलाकर मुलायम का राजनीतिक करियर बेहतरीन रहा। साल 1977 में वह पहली बार जनता पार्टी से यूपी के मंत्री बने जबकि 1989 में वह पहली बार यूपी के मुख्यमंत्री चुने गए। वे साल 1993 और फिर 2003 दूसरी और तीसरी बार मुख्यमंत्री हुए।
नेता जी ने 1992 में समाजवादी पार्टी की स्थापना की और 1993 में बसपा के साथ मिलकर सरकार बनाई। बेटे अखिलेश यादव के समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष चुने जाने के बाद वह इसके संरक्षक की भूमिका में थे। मुलायम अभी भी लोकसभा में मैनपुरी सीट से सांसद थे। उत्तर प्रदेश सरकार ने मुलायम यादव के निधन पर 3 दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है।