समलैंगिक विवाह मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में बहस जारी रहेगी। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से राज्यों और यूटी को पक्षकार बनाने की मांग भी की हैं।केंद्र सरकार का कहना है कि अदालत कोई भी फैसला लेने से पहले केंद्र को राज्यो के साथ परामर्श करने के लिए समय दे। हालांकि कोर्ट ने फिलहाल सेम सेक्स मैरिज पर केंद्र सरकार के अनुरोध को नामंजूर किया गया है।
बता दें, बीते मंगलवार को सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के लिए दायर की गई 20 याचिकाओं पर सुनवाई की थी।सेम सेक्स मैरिज मामले में संविधान पीठ दूसरे दिन की सुनवाई के रही है। संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस रवींद्र भट्ट, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस हिमा कोहली दोनों पक्षों की दलीलें सुन रहे हैं।
संविधान पीठ के समक्ष केंद्र सरकार का पक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रखा। और याचिकाओं का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पेश किया।
आपको बता दें, मुकुल रोहतगी ने कहा कि, स्पेशल मैरिज एक्ट में जहां भी पति पत्नी का जिक्र हैं उसे “जीवनसाथी” से बदला जाए। जहां भी पुरुष और महिला का उपयोग किया गया है उसे लिंग तथस्त बनाते हुए “व्यक्ति” के तौर पर बदला जाए।रोहतगी ने आगे कहा कि, “हम जहां भी जाते हैं और आवेदन करते हैं, तो हमें ऐसे देखा जाता है जैसे हम सामान्य लोग नहीं हैं। यही मानसिकता है जो हमें परेशान कर रही है। मेरे पास ढाल है, लेकिन वह स्पष्ट होना चाहिए। निजता का अधिकार नैतिक है। मुझे पीड़ित या कलंकित नहीं किया जाएगा, क्योंकि मैं विषमलैंगिक समाज के अनुरूप नहीं हूं”
उन्होंने आगे कहा कि, “अगर अदालत आदेश देगी तो समाज इसे मानेगा। अदालत को इस मामले में आदेश जारी करना चाहिए। हम इस अदालत की प्रतिष्ठा और नैतिक अधिकार पर भरोसा करते हैं। संसद कानून से इसका पालन करे या न करे, लेकिन इस अदालत का आदेश हमें बराबर मानेगा। अदालत हमें समान मानने के लिए समाज पर दबाव डाले। ऐसा ही संविधान भी कहता है। इस अदालत को नैतिक अधिकार और जनता का विश्वास प्राप्त है”