जब से कोरोना महामारी ने दस्तक दी है तब से लेकर 31 अक्टूबर तक दिल्ली परिवहन की बसों में कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिये एक बस में सिर्फ 17 ही सवारी की अनुमति थी। जिसका बस चालक और संवाहक पालन भी कर रहे थे। लेकिन सवारियों को बसों में यात्रा करने में दिक्कत हो रही थी और यात्रीगण दिल्ली सरकार से मांग करते रहे है कि बसों में जितनी सीटें है, उतनी सवारियों को बैठने की अनुमति दी जाये।
सरकार ने यात्री की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुये 1 नवम्बर से बसों में सीटों पर बैठने की अनुमति दे दी है। जिससे दिल्ली के यात्रियों ने राहत की सांस ली है। बस स्टाँप पर भी भीड़ कम दिखी है। इस बारे में दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत का कहना है कि बसों में सभी सीटों पर यात्रा करने की अनुमति दे दी है। लेकिन किसी यात्री को बस में खड़े होकर यात्रा करने की अनुमति नहीं दी है। वहीं दिल्ली परिवहन में हो रहे नुकसान को लेकर भाजपा के नेता रामाधार का कहना है कि दिल्ली सरकार कोरोना को रोकने में असफल रही है। बसों की संख्या बढ़ा नहीं पायी है। जिससे लोगों को यात्रा करने में दिक्कत हुई है। इस लिये सरकार को चाहिये कि कोरोना का कहर बसों के रास्ते ना फैले इसलिये बसों की संख्या बढाये ताकि कोरोना काल में लोगों को किसी प्रकार का संक्रमण ना फैले।
यात्रियों ने तहलका संवाददाता को बताया कि दिल्ली सरकार का फैसला देर से आया है जबकि ये फैसला जुलाई से होता तो यात्रियों को दिक्कत ना होती और ना ही सरकार को नुकसान होता , यात्रियों ने दिल्ली सरकार से मांग की है बसों को अधिक से अधिक सड़कों पर उतारें ताकि लोगों को आने-जाने में परेशानी ना हो, जो अभी तक होती रही है। लोगों ने दिल्ली सरकार की लचर परिवहन व्यवस्था को सुचारू करने की मांग भी की है।