कोरोना वायरस नामक आपदा से आज सारी दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है। अब सरकार के लाख दावों के बावजूद दिल्ली में राशन, किराना स्टोर वाले और सब्जी वाले अपनी मनमर्जी के मुताबिक रेट पर बिक्री कर रहे हैं। लोगों को महंगा सामान खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है। तहलका संवाददाता ने राशन, किराना स्टोर और सब्जी बिक्रेताओं से बात की, तो उन्होंने बताया कि थोक में सामान व सब्जियां जब महंगी हो जाती हैं, तब उनको फुटकर भी महंगी ही बेचने पड़ती है। 22 मार्च तक जो खुला चक्की का आटा 25 रुपये किलो बेचा जा रहा था, 23 मार्च से 27 रुपये प्रति किलो हो गया था। अब 3 अप्रैल से 30 और 32 रुपये किलो बेचा जा रहा है। ऐसे में गरीबों को काफी दिक्कत हो रही है। इसी तरह दालों के दाम दिन ब दिन दुकानदार बढ़ा-चढ़ाकर बेच रहे हैं। यही हाल सब्जी के दामों का है। मसलन टमाटर 4 अप्रैल तक 20 रुपये किलो बिक रहा था, वह 40 से 50 रुपये किलो बिकना शुरू हो गया है। इसी तरह आलू 30 से 35 रुपये किलो तक बिक रहे हैं।
इसके पीछे बाजारों में घूमते दलालों का वर्चस्व का होना है। वे गली-मोहल्लों में अब बड़ी आसानी से पता लगा रहे हैं कि कहां पर किस सामान की कमी है। ऐसे में जो जमाखोर हैं, जो पुलिस और दिल्ली सरकार की नजरों में नहीं हैं, वे बड़ी आसानी से मौके का फायदा उठा रहे हैं। त्रिलोकपुरी और कोण्डली में दिल्ली के अन्य बाजारों की तुलना में सामान और सब्जी सस्ते दामों में मिलते रहे हैं। पर दिनों वहां पर भी कालाबाजारी और सामानों को काफी महंगा बेंचा जाने लगा है। यहां के ही निवासियों के अनुसार, इसी क्षेत्र में तमाम जमाखोर ऐसे हैं, जिनकी पुलिस और दिल्ली सरकार में पकड़ है। इसके कारण जमाखोर अब इस विपदा के समय में जमकर पैसा कमाने में लगे हैं। बताते चले कि यह एरिया काफी पिछड़ा माना जाता है। इस कारण यहां का बाजार कभी भी चर्चा में नहीं रहा है। पर इन दिनों महंगे बिकते सामानों की वजह से काफी चर्चा में है।
त्रिलोकपुरी और कोण्डली में दिनों यहां पर एक नया माहौल बनता जा रहा है कि अब सब्जी विक्रेताओं के आधार कार्ड देखकर ही सब्जी की खरीददारी की जा रही है, जिससे माहौल बनने और बिगड़ने में देर नहीं लग सकती है। क्योंकि कुछ सब्जी विक्रेता अपना आधार कार्ड को नहीं बताते हैं, इससे अब यहां पर सब्जी विक्रेता और ग्राहक बीच झगड़ा आम बात हो गयी है।
यहां के स्थानीय निवासियों- अमरीश और अजीत का कहना है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान जो माहौल यहां बना था, उसी तर्ज पर कोरोना वायरस लड़ाई में बनता जा रहा है। इसलिए अब आधार कार्ड से ही कोरोना कार्ड खेला जा रहा है। सब्जी वालों ने बताया कि वे असल में पढ़ाई और अन्य काम में लगे थे। पर कुदरत का कहर ऐसा बरपा कि सब काम-काज बंद हो गये। लोगों का आना-जाना भी बंद हो गया सोशल डिस्डेंस के कारण मेल-मिलाप भी बंद हो गया है। ऐसे में रोजी-रोटी के कारण मजबूरी में उनको सब्जी बेचनी पड़ रही है। अगर इस हालात में उनसे कोई आधार कार्ड मांगता है, तो उन्हें काफी दिक्कत होती है।