ऐसा माना जाता है कि दुनिया में सबसे पुराना सनातन धर्म ही है। इस बात के अनेक प्रमाण भी मिलते हैं। आजकल लोग इसी को हिन्दू धर्म कहने लगे हैं। हालाँकि हिन्दू नाम के किसी भी धर्म का किसी भी धर्म-ग्रन्थ में न तो ज़िक्र है और न ही इस शब्द का पहले कहीं इस्तेमाल हुआ है। खैर, सनातन धर्म की नींव कब पड़ी? इसका तो पता ठीक-ठीक नहीं चलता, लेकिन इस धर्म की बुनियाद काफी मज़बूत और ब्रह्माण्ड की संरचना पर आधारित है। सनातन धर्म का दर्शन कराती एक ऐसी घड़ी भी है, जिसमें समय के अंकों की जगह कुछ शब्दों लिखा गया है। इन शब्दों के अपने-अपने अर्थ हैं। तहलका ने इसके बारे में जानने के प्रयास में यह रोचक जानकारी आप तक भी पहुँचाने की कोशिश की है :-
12:00 बजने के स्थान पर आदित्य लिखा हुआ है, जिसका अर्थ यह है- सूर्य 12 प्रकार के होते हैं।
1:00 बजने के स्थान पर ब्रह्म् लिखा हुआ है, इसका अर्थ यह है- ब्रह्म् (ईश्वर) एक ही होता है। यानी एको ब्रह्म् द्वितीयो नास्ति।
2:00 बजने की स्थान पर अश्विन और लिखा हुआ है, जिसका तात्पर्य यह है कि अश्विनी कुमार दो हैं। एक- नासत्य और दूसरे- दस्त्र।
3:00 बजने के स्थान पर त्रिगुण: लिखा हुआ है, जिसका तात्पर्य है कि गुण तीन प्रकार के हैं- सतोगुण, रजोगुण, तमोगुण।
4:00 बजने के स्थान पर चतुर्वेद लिखा हुआ है, जिसका तात्पर्य है कि वेद चार होते हैं- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद।
5:00 बजने के स्थान पर पंचप्राणा लिखा हुआ है, जिसका तात्पर्य है कि प्राण पाँच प्रकार के होते हैं- प्राण, अपान, व्यान, उदान और समान।
6:00 बजने के स्थान पर षड्र्स लिखा हुआ है, इसका तात्पर्य है कि रस छ: प्रकार के होते हैं- मधुर, अम्ल, लवण, कटु, तिक्त और कषाय।
7:00 बजे के स्थान पर सप्तॢष लिखा हुआ है, इसका तात्पर्य है कि सप्त यानी सात ऋषि हुए हैं- वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र और भारद्वाज।
8:00 बजने के स्थान पर अष्ट सिद्धियाँ लिखा हुआ है। इसका तात्पर्य है कि सिद्धियाँ आठ प्रकार की होती हैं- अणिमा, महिमा, लघिमा, गरिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, इशित्व और वशित्व।
9:00 बजने के स्थान पर नव द्रव्याणि अभियान लिखा हुआ है। इसका तात्पर्य है कि निधियाँ नौ प्रकार की होती हैं- पद्य निधि, महापद्य निधि, नील निधि, मुकुंद निधि, नंद निधि, मकर निधि, कच्छप निधि, शंख निधि और खर्व या मिश्र निधि।
10:00 बजने के स्थान पर दश दिश: लिखा हुआ है। इसका तात्पर्य है कि दिशाएँ 10 होती हैं- पूर्व, आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य, पश्चिम, वायव्य, उत्तर, ईशान, ऊध्र्व और अधो।
11:00 बजने के स्थान पर रुद्रा लिखा हुआ है। इसका तात्पर्य है कि रुद्र 11 प्रकार के हुए हैं- कपाली, ङ्क्षपगल, भीम, विरुपाक्ष, विलोहित, शास्ता, अजपाद, अहिर्बुध्न्य, शम्भु, चण्ड, और भव।