शैलेंद्र कुमार ‘इंसान’
देश की राजधानी दिल्ली में सत्ता संग्राम जारी है। इस बीच दिल्ली का विकास भी जारी है। हालाँकि जिस गति से दिल्ली के विकास का सपना मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जनता को दिखाना चाहते हैं, सत्ता की इस लड़ाई में दिल्ली के विकास को वह गति नहीं मिल पा रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री विकास की जिस ज़िद पर अड़े हैं, उसका नमूना कई क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है।
कुछ लोगों को भले ही लगता है कि केजरीवाल ड्रामा करते हैं, परन्तु काम देखकर ऐसा नहीं लगता। मुफ़्त शिक्षा शिक्षा, मुफ़्त इलाज, डीटीसी तथा मेट्रो की बसों महिलाओं की मुफ़्त यात्रा के अतिरिक्त पानी के लिए होने वाली मारामारी आज दिल्ली में बिलकुल ख़त्म हो गयी है। टैंकरों के मारामारी की ख़बरें अब अख़बारों की सुर्ख़ियाँ नहीं बन पातीं। क्योंकि वैसे दृश्य ही नहीं दिखते। बिजली की समस्या भी नहीं रहती। लगातार बिना कट के हो रही बिजली आपूर्ति इसका सुबूत है। इन दिनों दिल्ली के कई क्षेत्रों में सडक़ों की ख़ुदाई चल रही है। इस ख़ुदाई से भले ही कुछ लोग अभी परेशान दिख रहे हैं,परन्तु इसका नतीजा बहुत बेहतर होने वाला है। इस ख़ुदाई के माध्यम से दिल्ली विकास प्राधिकरण ज़मीन में कई तरह की वायरिंग करके सीवरेज की व्यवस्था को दुरुस्त कर रहा है।
मंडावली निवासी आप कार्यकर्ता दीपक सिंह का दावा है कि फुटपाथ चौड़े हो रहे हैं, उनके किनारे आगे बढ़ाये हुए मकानों और दुकानों को तोड़ा जा रहा है। कई तरह के पत्थरों से फुटपाथों को सजाया जा रहा है और हरियाली के लिए पौधरोपण भी किया जा रहा है। हर सडक़ पर पानी के फव्वारे वाले टैंकर से छिडक़ाव किया जा रहा है, जिससे दिल्ली में प्रदूषण कम हुआ है। डीटीसी बसों की सेवा को भी दुरुस्त किया जा रहा है। जहाँ-जहाँ जाम लगता है, वहाँ जाम से मुक्ति के लिए काम चल रहा है। पैदल यात्रियों के लिए कई ओवरपास बन चुके हैं। दिल्ली की सडक़ों पर रोशनी, गलियों में रोशनी के लिए स्ट्रीट लाइट और सीसीटीवी कैमरे का$फी समय पहले ही लग चुके हैं। जहाँ अभी तक पाइपलाइन से जल बोर्ड का पानी नहीं पहुँच रहा है, वहाँ पानी को टैंकर सुबह-शाम पहुँच रहा है। केंद्र सरकार और उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना की विकास गति को रोकने की लाख कोशिशों के बाद भी दिल्ली में विकास का काम हो रहा है। कई मंत्रियों के ख़िलाफ़ केंद्र सरकार साज़िश कर रही है, इसके बाद भी न तो मुख्यमंत्री केजरीवाल डरे हैं और न ही आम आदमी पार्टी का कोई मंत्री, विधायक तथा कार्यकर्ता डरा है। यह निडरता ईमानदारी तथा जनता के समर्थन की देन है।
दिल्ली सरकार की आगे की योजना है कि देश की इस राजधानी के भीड़ भरे बाज़ारों में लोगों को ख़रीदारी में सहूलियत हो। अभी तक 10 बजे तक दुकानें बन्द होने लगती हैं। परन्तु अब अगर उपराज्यपाल ने मंज़ूरी दी, तो दिल्ली में लगभग 155 दुकानें रात को भी खुलेंगी। इन दुकानों को 24 घंटे खुले रखने की अनुमति दिल्ली सरकार की ओर से मिल गयी है, जो कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दे दी है। 155 दुकानों तथा वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों को रात में खुले रहने की मुख्यमंत्री की अनुमति के बाद फाइल को उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना के पास निर्णय के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से भेजी जा चुकी है। उपराज्यपाल की अनुमति मिलते ही सभी 155 दुकानें 24 घंटे खुली रहेंगी।
अगर इन दुकानों को 24 घंटे खुलने का अवसर मिला, तो इससे रोज़गार बढ़ेगा। इन दुकानों को 24 घंटे खुला रखने की अनुमति के बाद अन्य बाज़ारों में यह व्यवस्था लागू हो सकती है, जिससे दिल्ली में रोज़गार बढ़ेगा। अभी तक दिल्ली में मेडिकल सेवा क्षेत्रों को 24 घंटे खुला रखने की अनुमति ही है। इस छूट के दायरे में रखी गयी दुकानों को दिल्ली दुकान एवं प्रतिष्ठान अधिनियम-1954 की धारा-14, 15 एवं 16 के तहत राहत दी गयी है। इन धाराओं में रात्रि पाली के लिए कर्मचारियों को काम पर रखने और दुकानों के खुलने एवं बन्द होने से सम्बन्धित प्रावधान हैं। इससे पहले सन् 1954 से लेकर सन् 2022 तक दिल्ली में केवल 269 दुकानों को ही इन धाराओं के तहत कुछ विशेष छूटें हासिल थीं। कहा जा रहा है कि दिल्ली सरकार 24 घंटे दुकानों तथा अन्य प्रतिष्ठानों को इस प्रक्रिया के माध्यम से इंस्पेक्टर राज से मुक्त करने की योजना बना रही है। परन्तु जिस तरह दिल्ली सरकार तथा उपराज्यपाल के बीच तनाव चल रहा है, उससे यह नहीं कहा जा सकता कि उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना दिल्ली सरकार की इस पहल से सहमत हैं या नहीं।
सन् 2021 में दिल्ली सरकार ने दिल्ली को विदेशी शहरों की तर्ज पर विकसित करने के लिए मास्टर प्लान-2041 बनाया था। इस प्लान के तहत कहा गया था कि अगले 20 वर्षों में राजधानी की दुनिया भर में एक अलग पहचान होगी। सरकार के पास अभी लगभग 18 साल विकास के लिए बचे हुए हैं। अगर पिछले दो वर्षों में हुए विकास को देखें तथा उससे पहले के आम आदमी के कार्यकाल की विकास गति को देखें, तो इसे कोई चुनौती नहीं दे सकता कि दिल्ली में विकास के कई काम उच्च स्तर के हुए हैं। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने इसमें अहम भूमिका निभायी है। दिल्ली को हरा-भरा पर्यावरण, मज़बूत अर्थव्यवस्था, स्वच्छ ईंधन, साफ़ तथा जाम मुक्त सडक़ें, साफ़ गलियाँ, कूड़े का निस्तारण, बायोडायवर्सिटी पार्क, फ्लडप्लेन प्लानिंग, बावली और झीलों और तालाबों को पुनर्जीवित करना, नालों के किनारे को सुंदर बनाकर वहाँ साइकलिंग और पैदल चलने वालों के लिए जगह बनाना दिल्ली मास्टर प्लान-2041 के अहम बिन्दु हैं। इस प्लान को साकार करने के लिए दिल्ली सरकार ने दिल्ली वासियों से सुझाव भी माँगे थे।
अब डीडीए नयी बिल्डिंग बनाने में ब्लू-ग्रीन संपत्ति पर $खास ध्यान देगा। केजरीवाल सरकार के कई कामों की केंद्र सरकार भी दबी ज़ुबान से तारीफ़ कर चुकी है और अब एक नयी बहस इस बात की भी छिड़ी है कि जो विकास के काम दिल्ली सरकार कर रही है, केंद्र सरकार उनका श्रेय लेने की कोशिश भी कर रही है। इसका एक उदाहरण इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी के हाल ही में एक कैम्पस के उद्घाटन के दौरान देखने को मिला, जहाँ दिल्ली के मुख्यमंत्री को उद्घाटन समारोह में उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना को शामिल करना पड़ा। वहाँ भी भाजपा तथा आम आदमी पार्टी के समर्थकों के बीच नोंकझोंक हुई, परन्तु मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सभी से हाथ जोडक़र पाँच मिनट माँगे और अपनी बातों से सभी को संतुष्ट किया।
लोग सवाल उठा कि जब केंद्र सरकार ने इस कैम्पस को बनाने में कोई योगदान नहीं दिया, तो उपराज्यपाल वहाँ क्रेडिट लेने क्यों पहुँच गये? इसी के चलते उनके ख़िलाफ़ नारेबाज़ी भी हुई। बिलकुल निष्पक्षता से आकलन किया जाए, तो देखने में आता है कि आम आदमी पार्टी के शासन में यमुना साफ़ हुई है। बाढ़ क्षेत्रों को बाढ़ से बचाने के लिए काम किया गया है। यमुना नदी के लिए रिवर डेवलपमेंट प्लान के तहत कई काम हुए हैं, जिसके तहत यमुना में गन्दगी डालने वालों को रोकना प्रमुख है। दिल्ली के इतिहास तथा यहाँ की मिली-जुली राज्यों की संस्कृति को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है।
अगर अभी आवश्यक कार्यों पर ध्यान दें, जो बहुत कम हुए हैं अथवा हुए ही नहीं हैं, तो कई काम हैं। उदाहरण के लिए अभी शिक्षा तथा स्वास्थ्य के क्षेत्र में और काम करने की आवश्यकता है। 21.5 मिलियन दिल्ली की आबादी के लिए प्रतिदिन 1290 मिलियन गैलन पानी की प्रतिदिन आवश्यकता है, जबकि आपूर्ति 990 मिलियन गैलन प्रतिदिन है। हालाँकि यह आपूर्ति पिछले आठ वर्षों में बहुत तेज़ी से बढ़ी है तथा अभी जलापूर्ति की दिशा में $कदम उठाये जा रहे हैं। पार्किंग व्यवस्था सुधारने की दिशा में अभी बहुत कम काम हुआ है। अतिक्रमण हटाने में सरकार ने पाँच प्रतिशत काम ही किया होगा। 24 घंटे पानी की सप्लाई दिल्ली के अधिकतर क्षेत्रों में नहीं हुई है। सडक़ें अभी पूरी तरह ठीक नहीं हैं। हालाँकि काम चल रहा है। सडक़ों के टूटने का एक बड़ा कारण यह है कि जब कहीं सडक़ बनकर तैयार हो जाती है, तो उसे कभी सीवर के नाम पर, कभी पानी कनेक्शन के नाम पर, कभी दूसरी वजह से तोड़ दिया जाता है। जहाँ ख़ुदाई हो जाती है, वहाँ सडक़ जल्दी नहीं बन पाती, जिससे धूल उड़ती है। हालाँकि यह बात सही है कि केंद्र सरकार के हाथ में दिल्ली का शासन ज़्यादा पहुँच गया है, जो कि केंद्र सरकार ज़िद करके छीन रही है। उसने मुख्यमंत्री की कई शक्तियाँ इस केंद्र शासित प्रदेश से छीन ली हैं, जो केंद्र की निरंकुशता दिखाता है।
देश की शीर्ष अदालत तक के फ़ैसले को नकारना इसका एक बड़ा उदाहरण है। दिल्ली की न्यायिक व्यवस्था तथा पुलिस केंद्र सरकार के अधिकार में हैं। ऐसे में दिल्ली में कई मामलों में केंद्र सरकार भी विफल है। इनमें पार्कों में अराजक तत्त्वों का जमावड़ा, अपराधियों की मनमानी दिल्ली में बढ़ी है। नशे का कारोबार दिल्ली में चलता है। महिलाओं के प्रति अपराध, लूट, हत्या, रंगदारी मामले में दिल्ली का रिकॉर्ड ख़राब हो रखा है। हाल ही में कुछ आपराधिक घटनाएँ दिल्ली की क़ानून व्यवस्था की पोल खोलती हैं। ऐसे में दिल्ली सरकार की कोशिशों पर पानी फेरने की जगह केंद्र सरकार तथा उपराज्यपाल को भी काम करना चाहिए, जिससे दिल्ली का अच्छी तरह विकास हो सके। आज जिस दशा में दिल्ली की राजधानी है, वह भारत का सिर ऊँचा नहीं, वरन् नीचा किये हुए है। इसलिए राजधानी दिल्ली का विकास दोनों सरकारों को मिलकर करना चाहिए।