भले सचिन पायलट सारी नाराजगी दूर कर गांधी परिवार के कहने पर कांग्रेस की मुख्यधारा में लौट आये हों, कुछ चीजों को लेकर उनकी नाराजगी उनके शब्दों में जरूर झलकती है। इनमें से एक विधानसभा में उनकी सीट बदलना भी शामिल है। लेकिन पायलट ने बहुत चतुराई से आज विश्वास मत पर बोलते हुए अपनी सीट बदलने को परिभाषित किया और कहा कि जहां उन्हें नई सीट मिली है, उसके आगे विपक्ष की कतार शुरू हो जाती है। अर्थात, यह बार्डर है और बार्डर पर ‘सबसे ताकतवर योद्धा’ को ही भेजा जाता है। इस बीच दोपहर कार्यवाही शुरू होते ही सरकार की तरफ से संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने विश्वास मत पेश किया।
सुबह ही कांग्रेस ने विश्वास मत के लिए स्पीकर सीपी जोशी के समक्ष नोटिस दे दिया था। इस समय इस पर बहस चल रही है। सरकार की तरफ से जहां और विधायकों ने अपनी बात कही, वहीं सबसे दिलचस्प सचिन पायलट का अचानक हुआ संबोधन रहा। पायलट ने भाजपा के सदन में उप-नेता राजेंद्र राठौड़ को उनके भाषण के बीच में रोक लिया, और फिर कुछ बातें कहीं।
पायलट ने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा – ‘मैं पहले आगे (सीएम के पास) बैठता था। अब मुझे स्पीकर साहब और चीफ व्हिप की तरफ से यहां पीछे सीट दी गयी है, जो विपक्षी भाजपा के पास बार्डर पर है। मुझे यहां इसलिए बिठाया गया है, क्योंकि बार्डर पर सबसे ताकतवर योद्धा को भेजा जाता है। इस सरहद पर कितनी भी गोलीबारी हो, मैं कवच और भाला लेकर सरकार को बचाने के लिए खड़ा हूं।’
उनके इतना कहने पर कांग्रेस सदस्यों, ख़ासकर उनके समर्थक विधायकों ने जमकर तालियां बजाईं।
इसी बीच विधानसभा में सचिन पायलट के सीट में परिवर्तन देखने को मिला। जिसे लेकर राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं होने लगी।
समय के साथ सभी बातों का खुलासा होगा- पायलट
पायलट ने कहा कि ‘समय के साथ सभी बातों का खुलासा होगा। जो कुछ कहना-सुनना था, वह कह दिया। हमें जिस डॉक्टर के पास अपना मर्ज बताना था बता दिया। सदन में आए हैं तो कहने-सुनने की बातों को छोड़ना होगा। इस सरहद पर कितनी भी गोलीबारी हो, ढाल बनकर रहूंगा।’
उनके अज्ञातवास के दौरान उन्हें लेकर उठी बातों पर भी पायलट ने सफाई दी। पूर्व उप मुख्यमंत्री और पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पायलट ने कहा – ‘समय के साथ सभी बातों का खुलासा होगा। जो कुछ कहना-सुनना था, वह कह दिया। हमें जिस डॉक्टर के पास अपना मर्ज बताना था, बता दिया। सदन में आए हैं तो कहने-सुनने की बातों को छोड़ना होगा।’
इससे पहले ठीक एक बजे सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू पर गहलोत सरकार में कानून और संसदीय कार्य मंत्री शांति कुमार धारीवाल ने विश्वास प्रस्ताव पेश किया। इसके बाद सदन में धारीवाल ने कहा – ‘राजस्थान में न तो किसी शाह की चली, न तानाशाह की’। हालांकि, प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने केंद्रीय मंत्री अमित शाह का नाम लेने पर आपत्ति जताई। इसके बाद अन्य सदस्यों ने अपना मत जारी रखा।