संसद के शीतकालीन सत्र में मोदी सरकार 10 बड़े बिल लाएगी

माना जा रहा है कि इस सत्र में सरकार ऊर्जा, शिक्षा, बुनियादी ढांचे और कॉरपोरेट सुधार जैसे क्षेत्रों में बड़े फैसले लेने की कोशिश करेगी। अंजलि भाटिया की एक रिपोर्ट

संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से शुरू होगा और 19 दिसंबर तक चलेगा। 15 दिनों के इस सत्र पर पूरे देश की निगाहें रहेंगी। इस बार 10 अहम विधेयकों को एजेंडे में शामिल किया गया है। सबसे ज्यादा चर्चा परमाणु ऊर्जा विधेयक, 2025 की है, जो पहली बार निजी कंपनियों को न्यूक्लियर पावर सेक्टर में उतरने की इजाजत देगा। 

  1. परमाणु ऊर्जा विधेयक, 2025: न्यूक्लियर सेक्टर में निजी कंपनियों की एंट्री

अब तक देश के सभी न्यूक्लियर प्लांट सिर्फ सरकारी कंपनी एनपीसीआईएल ही बनाती है। नए बिल के बाद भारतीय और विदेशी निजी कंपनियों को भी परमाणु प्लांट लगाने की अनुमति मिलेगी। सरकार का मानना है कि इससे देश में स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन की रफ्तार बढ़ेगी और निवेश के नए रास्ते खुलेंगे।

2. भारतीय उच्च शिक्षा आयोग विधेयक

उच्च शिक्षा में बड़े बदलाव की तैयारी। प्रस्तावित आयोग उच्च शिक्षण संस्थानों को मान्यता देने, स्वायत्तता तय करने और गुणवत्ता बनाए रखने का काम करेगा। सरकार का दावा।इससे विश्वविद्यालयों के कामकाज में पारदर्शिता बढ़ेगी और शिक्षा प्रणाली आधुनिक होगी।

3. नेशनल हाईवे (अमेंडमेंट) बिल: जमीन अधिग्रहण होगा तेज

हाईवे निर्माण में देरी का सबसे बड़ा कारण जमीन अधिग्रहण की जटिल प्रक्रिया है। नए संशोधन के बाद भूमि अधिग्रहण तेज और ज्यादा पारदर्शी होगा। इससे नेशनल हाईवे प्रोजेक्ट्स की स्पीड बढ़ने की उम्मीद है।

4. कॉरपोरेट कानून (संशोधन) विधेयक, 2025

कंपनियों को कारोबार में आसानी देने के लिए कंपनी अधिनियम, 2013 और एलएलपी अधिनियम, 2008 में बदलाव किए जाएंगे। सरकार का लक्ष्य अनुपालन के बोझ को कम करना और व्यवसायिक माहौल को और अनुकूल बनाना।

5. प्रतिभूति बाजार संहिता विधेयक, 2025

शेयर बाजार से जुड़े तीन प्रमुख कानूनों सेबी अधिनियम, डिपॉजिटरी अधिनियम और प्रतिभूति अनुबंध अधिनियम—को एक ही कोड में समेटने की तैयारी। इससे बाजार नियमन और सिस्टम मजबूत होगा।

6. संविधान का 131वां संशोधन: चंडीगढ़ को आर्टिकल 240 में लाने का प्रस्ताव

संविधान संशोधन के तहत चंडीगढ़ को अनुच्छेद 240 के दायरे में शामिल करने का प्रस्ताव रखा जाएगा। इससे केंद्र सरकार चंडीगढ़ जैसे केंद्र शासित प्रदेशों के लिए विशेष नियम बना सकेगी। हालांकि, केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव पर बुलेटिन के बाद सफाई भी दी है।

7. आर्बिट्रेशन और सुलह अधिनियम (संशोधन) बिल

लंबे समय तक कोर्ट में अटके रहने वाले विवादों को तेजी से निपटाने पर फोकस। यह संशोधन आर्बिट्रेशन के फैसलों को चुनौती देने की प्रक्रिया सरल बनाएगा और विवादों के समाधान की समय-सीमा कम करेगा।

पिछले सत्र से लंबित दो विधेयक भी इस बार चर्चा और पारित होने की सूची में शामिल हैं।

इसके साथ ही वर्ष का पहला अनुपूरक बजट भी पेश होगा।