सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को बीसीसीआई की तरफ से स्पॉट फिक्सिंग मामले में आजीवन प्रतिबन्ध झेल रहे क्रिकेटर इस श्रीसंथ को बड़ी राहत देते हुए उनका आजीवन प्रतिबन्ध हटा लिया है। साथ ही कहा कि बीसीसीआई की अनुशासनात्मक कमेटी सजा के लिए श्रीसंत की बात भी सुनेगी और तीन माह में फैसला करेगी। बीसीसीआई ने श्रीसंत पर आईपीएल २०१३ में स्पॉट फिक्सिंग मामले में लाइफ बैन लगाया था।
अदालत ने श्रीसंथ पर क्रिकेट खेलने पर लगे लाइफ बैन को हटा दिया है। साथ ही मामले को फिर से भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के पास भेजा है। शीर्ष अदालत ने इस मामले में कहा कि लाइफ बैन की कठोर सजा सभी मामलों में नहीं होनी चाहिए और बीसीसीआई की अनुशासन समिति ने उन परिस्थितियों को नहीं देखा।
इस मामले में सर्वोच्च अदालत ने यह भी साफ किया है कि उसके इस आदेश का दिल्ली हाईकोर्ट में चल रहे क्रिमिनल केस पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। कहा कि बीसीसीआई की अनुशासनात्मक कमेटी सजा के लिए श्रीसंथ की बात भी सुनेगी और तीन माह में फैसला करेगी।
बीसीसीआई की तरफ से लगाए गए लाइफ बैन के खिलाफ श्रीसंथ ने सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर की थी। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने २८ फरवरी को फैसला सुरक्षित रखा था। बीसीसीआई की ओर से इस मामले में अदालत में कहा गया कि श्रीसंत पर भ्रष्टाचार, सट्टेबाजी और खेल को बदनाम करने के आरोप हैं। बोर्ड के वरिष्ठ वकील पराग त्रिपाठी ने कहा कि खेल में भ्रष्टाचार और सट्टेबाजी के लिए सजा लाइफ बैन है। त्रिपाठी ने इस मसले पर बीसीसीआई की जीरो टॉलरेंस नीति का हवाले देते हुए अदालत को बताया कि श्रीसंत ने कभी भी बीसीसीआई की भ्रष्टाचाररोधी इकाई के सामने इस बात का जिक्र नहीं किया था कि सट्टेबाजों ने उनसे संपर्क साधा था। बीसीसीआई ने अदालत में कहा कि श्रीसंत ने उन १० लाख रुपये के स्रोत के बारे में भी जांच समिति को नहीं बताया, जिसका जिक्र टेलीफोन पर की गई बातचीत में किया गया है।
अदालत में श्रीसंत की तरफ से वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद ने कहा कि यह बीसीसीआई को स्थापित करना है कि वह १० लाख रुपये मैच फिक्सिंग से संबंधित हैं। टेलीफोन पर हुई बातचीत को लेकर खुर्शीद ने कहा कि लेनदेन तब होता जब खिलाड़ी एक ओवर में १४ रन से कम देता। अपनी बात खत्म करते हुए खुर्शीद ने अदालत से कहा कि युवा क्रिकेट खिलाड़ी जो अब युवा नहीं रहा, लेकिन अभी भी उसमें क्रिकेट को लेकर जुनून बाकी है, उसके करियर को बर्बाद होने से बचाया जाए।
इससे पहले की सुनवाई में श्रीसंत ने कहा था कि उन्होंने दिल्ली पुलिस के दबाव में जुर्म कबूला था। केरल हाईकोर्ट की एकल पीठ ने २०१७ में श्रीसंत पर लगा आजीवन प्रतिबंध हटा लिया था, लेकिन उच्च न्यायालय की डिवीजन पीठ ने बीसीसीआई की अपील पर श्रीसंत पर आजीवन प्रतिबंध फिर से बहाल कर दिया था।