जनता के विरोध के बाद देश से भागे राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे की पार्टी श्रीलंका पोडुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) के समर्थन से राष्ट्रपति पद का चुनाव जीते रानिल विक्रमसिंघे ने सत्ता में आते ही हाल में उभरे आंदोलन को ख़त्म करने के लिए शुक्रवार तड़के से सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं ताकि देश में व्यवस्था कायम की जा सके। याद रहे जनता ने राजपक्षे का विरोध करते हुए उनके आवास पर धावा बोलकर उसपर कब्ज़ा कर लिया था जिसके परिणामस्वरूप उन्हें देश छोड़कर भागना पड़ा।
विक्रमसिंघे ने एक दिन पहले (गुरुवार को) राष्ट्रपति पद की शपथ ली है और अब उनके आदेश से श्रीलंका की सेना और पुलिस ने एंटी-नेशनल गवर्नमेंट कैंप में शुक्रवार तड़के छापेमारी करते हुए आंदोलनकारियों के टेंटों को हटा दिया। यह आंदोलनकारी वहां अप्रैल से डटे थे।
इसके अलावा जवानों ने राष्ट्रपति सचिवालय के मुख्य द्वार पर आंदोलनकारियों की लगाई गयी बैरिकेडिंग हटा दी है। वैसे विक्रमसिंघे के राष्ट्रपति शपथ लेने के बाद आंदोलनकारियों ने कहा था कि वो शुक्रवार दोपहर तक इलाके को खाली कर देंगे, हालांकि जवानों ने उससे पहले ही वहां से हटा दिया।
रिपोर्ट्स के मुताबिक सेना ने उन कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया जो अभी भी विरोध की बात कर रहे थे। राष्ट्रपति कार्यालय की ओर जाने वाली मुख्य सड़क के किनारे तमाम तंबू हटा दिए गए हैं और उसे साफ़ कर दिया गया है। हालात से जाहिर होता है कि आंदोलनकारियों ने विक्रमसिंघे के राष्ट्रपति बनने का समर्थन किया है और वे अब कोई विरोध नहीं करेंगे।