क़र्ज़ के बदले श्रीलंका से उसकी हंबनटोटा बंदरगाह 99 साल की लीज़ पर लेने वाले चीन ने अपने बैलेस्टिक मिसाइल और उपग्रहों का पता लगाने में सक्षम पोत ‘युआन वांग 5′ के श्रीलंका बंगरगाह पहुँचने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में बुधवार को कहा कि इसकी उपस्थिति किसी देश की सुरक्षा और उसके आर्थिक हितों को प्रभावित नहीं करती और किसी तीसरे पक्ष को इसे बाधित नहीं करना चाहिए।
बता दें भारत और अमेरिका ने चीन के जासूसी पोत के श्रीलंका आने को लेकर आशंकाएं जताई हैं। जब यह पोत पहुंचा तो श्रीलंका में चीनी राजदूत क्यूई जेनहोंग ने हंबनटोटा बंदरगाह पर स्वागत समारोह की मेजबानी की। चीन के दावे के मुताबिक समारोह में श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के प्रतिनिधि के अलावा दस से अधिक दलों और मित्र समुदायों के प्रमुख भी शामिल हुए।
हालांकि भारत और अमेरिका का नाम लिए बगैर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा – ‘हमारे उच्च प्रौद्योगिकी वाले अनुंसधान पोत की गतिविधियों से किसी देश की सुरक्षा प्रभावित नहीं होगी। किसी तीसरे पक्ष को उसे बाधित नहीं करना चाहिए।’
बता दें यह पोत 22 अगस्त तक श्रीलंका की बंदरगाह पर ही रुकेगा। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि ‘युआन वांग 5 श्रीलंका के सक्रिय सहयोग से हंबनटोटा बंदरगाह पर सफलतापूर्वक पहुंच गया। मैं फिर से जोर देना चाहता हूं कि युआन वांग 5 की समुद्री वैज्ञानिक अनुसंधान गतिविधियां अंतरराष्ट्रीय कानून और अंतरराष्ट्रीय सामान्य प्रक्रिया के अनुरूप हैं।’
हंबनटोटा बंदरगाह बीजिंग ने 2017 में श्रीलंका से कर्ज के बदले में 99 साल के पट्टे पर ली थी। श्रीलंका सरकार ने पोत में लगे उपकरणों को लेकर भारत और अमेरिका की चिंता व्यक्त किए जाने के बाद चीन सरकार से इस पोत को भेजने में विलंब करने को कहा था। हालांकि, उसने 16 से 22 अगस्त तक जहाज को बंदरगाह पर ठहरने की अनुमति दे दी। श्रीलंका ने कहा कि उसने व्यापक विचार-विमर्श के बाद जहाज को अनुमति दी है।