पूर्व मंत्री मंजू वर्मा को गिरफ्तार न करने पर फटकार खाने वाली बिहार सरकार को सर्वोच्च न्यायालय से एक बार फिर फटकार पड़ी है। मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय ने शेल्टर होम मामले पर सुनवाई करते हुए बिहार के मुख्य सचिव पर नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने मुख्य सचिव को कल (बुधवार) कोर्ट में मौजूद रहने का आदेश दिया और कहा कि वे इसे लेकर सफाई दें।
मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि पूरे मामले में राज्य (सरकार) का रवैया बहुत दुर्भाग्यपूर्ण, लापरवाहीवाला और अमानवीय है। सुप्रीम कोर्ट ने अदालत में उपस्थित मुख्य सचिव से पूछा कि अगर अपराध हुआ था तो आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा ३७७ और पॉक्सो एक्ट के तहत अभी तक मामला दर्ज क्यों नहीं किया गया ? सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले पर बुधवार को दो बजे सुनवाई करेगा।
सरकार के रवैया से नाराज सर्वोच्च अदालत ने कहा – ”आप (बिहार सरकार) कर क्या रहे हैं? यह शर्मनाक है। किसी बच्चे के साथ कुकर्म होता है और आप कुछ नहीं कहते? आप ऐसा कैसे कर सकते हैं? यह अमानवीय है। हमें बताया गया था कि इस मामले को गंभीरता से देखा जाएगा, क्या यह गंभीरता है? हम जब भी इस मामले की फाइल पढ़ते हैं, दुख होता है। हर मामले की जांच क्यों नहीं हो रही है? पीड़ित बच्चे क्या इस देश के नागरिक नहीं हैं?’
यह दूसरी बार है जब बिहार सरकार को सर्वोच्च न्यायालय की शेल्टर होम मामले में फटकार पड़ी है।
आज कोर्ट ने बिहार के मुख्या सचिव पर नाराजगी जताते हुए कहा कि आप अपने कृत्य को जस्टिफाई करें। कोर्ट ने मुख्य सचिव को कल कोर्ट में मौजूद रहने और बिहार सरकार को २४ घंटे के भीतर एफआईआर में बदलाव करने के लिए कहा गया है।
इससे पहले कोर्ट ने पूर्व मंत्री मंजू वर्मा को गिरफ्तार न करने पर भी बिहार सरकार को फटकार कागाई थी। १२ नवंबर की सुनवाई में सर्वोच्च अदालत ने पूछा था कि आखिर मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में सीबीआई की छापेमारी के दौरान मंजू वर्मा के घर से हथियार मिलने के बाद भी उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया था? इसके कुछ दिन में ही मंजू वर्मा ने ”आत्मसमर्पण” कर दिया था।