मुम्बई। 01 अप्रैल को भारतीय शेयर बाज़ार में भारी गिरावट दर्ज की गयी। दरअसल, सुबह को शेयर बाज़ार गिरावट के साथ ही खुले थे। सेंसेक्स 36 अंक और निफ्टी 13 अंक की गिरावट के साथ खुले। बाज़ार खुलने के लगभग पौने दो घंटे बाद सेंसेक्स 1000 अंक नीचे पहुँच गया। बता दें कि फ़िलहाल सेंसेक्स 1020.94 अंक नीचे गिरकर 28,447.55 पर, जबकि निफ्टी 292.50 अंक नीचे गिरकर 8,305.25 के स्तर पर कारोबार कर रहे हैं। इससे पहले वित्त वर्ष के क्लोजिंग डे यानी 31 मार्च को बाजारों में भारी बढ़त देखने को मिली थी। 31 मार्च को सेंसेक्स ने 1028.17 अंक के साथ 3.62 प्रतिशत उछाल पर यानी 29,468.49 पर, जबकि निफ्टी 316.65 अंक के साथ 3.82 प्रतिशत उछाल पर यानी 8,597.75 पर कारोबार समेटा था।
दुनिया के कई बाज़ारों में गिरावट
शेयर बाज़ार की ख़बरों के मुताबिक, 31 मार्च को अमेरिका के साथ-साथ दुनिया के कई बाज़ारों में गिवारट देखने को मिली। 31 मार्च को डाउ जोंस 1.84 प्रतिशत की गिरावट के साथ 410.32 अंक नीचे गिरकर 21,917.20 पर बन्द हुआ। वहीं, अमेरिका के दूसरे बाज़ार नैस्डैक 0.95 प्रतिशत गिरावट के साथ 74.05 अंक नीचे 7,700.10 पर बन्द हुआ। वहीं, एसएंडपी के शेयर 1.60 प्रतिशत गिरावट के साथ 42.06 अंक की गिरावट के साथ 2,584.59 पर बन्द हुए।
फ्रांस और चीन में उछाल
एक तरफ़ जहाँ दुनिया भर के बाज़ारों पर मंदी छायी हुई है, वहीं 31 मार्च को फ्रांस के सीएसी 40 0.40 प्रतिशत बढ़त के साथ 4,396.12 अंकों पर बन्द हुआ। वहीं दुनिया भर में कोरोना वायरस फैलाने के लिए आरोपी माना जाने वाला चीन भी बाज़ार की मन्दी से उबरता हुआ दिख रहा है। 31 मार्च को शंघाई कम्पोजिट बाज़ार 19.74 अंकों की तेज़ी के साथ 2,770.04 अंकों पर बन्द हुआ।
भारतीय बैंकिंग सेक्टर में गिरावट
वैश्विक महामारी के चलते छायी मंदी के बीच भारतीय बैंक सेक्टर में गिरावट दर्ज की गयी है। प्राप्त सूत्रों के मुताबिक, बीएसई बैंकिंग सेक्टर में 9 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गयी। इनमें फेडरल बैंक में 0.49 प्रतिशत, आरबीएल बैंक में 1.07 प्रतिशत, आईसीआईसीआई बैंक में 2.62 प्रतिशत, एसबीआई बैंक में 3.73 प्रतिशत, एक्सिस बैंक में 1.81 प्रतिशत, सिटी यूनियन बैंक में 4.40 प्रतिशत, एचडीएफसी बैंक में 3.39 प्रतिशत और कोटक महिंद्रा बैंक में 9.06 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी है।
ग्लोबल इकोनॉमी में आयेगी मंदी
संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की मानें, तो इस साल ग्लोबन इकोनॉमी में मंदी छायी रहेगी। यूएन ने ट्रेड रिपोर्ट में कहा है कि इस वित्त वर्ष में दुनिया की अर्थ-व्यवस्था डाँवाडोल रहेगी और बाज़ारों में मंदी छायी रहेगी। यूएन ने इसकी वजह कोरोना वायरस को बताया है। यूएन का कहना है कि कोरोना वायरस की वजह से दुनिया भर में बड़े आर्थिक नुक़सान की आशंका है। यूएन ने यह भी कहा है कि इस नुक़सान की भरपाई में समय लगेगा।
भारत पर पड़ेगा कम असर
यूएन ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि इस साल सबसे ज़्यादा मुश्किलें विकासशील देशों को आयेंगी। लेकिन, भारत और चीन पर कम असर पड़ने की उम्मीद है। हो सकता है कि इन देशों पर आर्थिक नुक़सान का बहुत असर न पड़े। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया की दो-तिहाई आबादी विकासशील देशों में रहती है और यही वजह है कि विकासशील देशों में कोरोना वायरस के संकट का सबसे ज़्यादा असर पड़ेगा, जिससे इन देशों को बड़ा आर्थिक नुक़सान उठाना पड़ सकता है। यूएन ने रिपोर्ट में यह भी कहा है कि विकासशील देशों के लिए 187.50 लाख करोड़ रुपये के रेस्क्यू (बचाव) पैकेज की आवश्यकता है।