महाराष्ट्र में भाजपा की सीटें क्या घटीं, सहयोगी शिव सेना ने उसपर दवाब बनाना शुरू कर दिया है। नतीजों के बाद शिव सेना ने अपने मुखपत्र सामना में भाजपा के लिए एक तरह से कड़ी टिपण्णी करते हुए कहा है – ”महाराष्ट्र की जनता का रुझान सीधा और साफ है। अति नहीं, उन्माद नहीं वर्ना खत्म हो जाओगे, ऐसा जनादेश ईवीएम की मशीन से बाहर आया।”
सामना में शिव सेना के भाजपा को यह नसीहत कई कुछ कहती है। कुल २८८ विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव के नतीजे आ चुके हैं जिसमें भाजपा को २०१४ के मुकाबले २० सीटें कम मिली हैं। सेना को ५३ सीटें मिली हैं। नतीजों के बाद अब
अपने मुखपत्र ”सामना” के संपादकीय में शिवसेना ने कहा है – ”यह महाजनादेश नहीं है।”
यही नहीं महाराष्ट्र में शिवसेना के समर्थकों ने एक पोस्टर लगाया है जिसमें आदित्य ठाकरे को राज्य के भावी मुख्यमंत्री के तौर पर दिखाया गया है। वह वर्ली विधानसभा सीट से जीते हैं।
भाजपा के लिए एक तरह की चुनौतीदार बात कहते हुए सेना ने लिखा है – ”महाराष्ट्र की जनता का रुझान सीधा और साफ है। अति नहीं, उन्माद नहीं वर्ना खत्म हो जाओगे, ऐसा जनादेश ईवीएम की मशीन से बाहर आया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को आखिरी समय तक यह आत्मविश्वास था कि ईवीएम से केवल कमल (भाजपा का चुनाव चिह्न) ही बाहर आएगा। मगर १६४ में से ६३ सीटों पर कमल नहीं खिला।’
सामना में लिखा गया है कि शिवसेना ने कहा कि यह महाजनादेश नहीं बल्कि जनादेश है। इसे मानना पड़ेगा। जनता के फैसले को अपनाकर बड़प्पन दिखाना पड़ता है। सामना के मुताबिक ”महाराष्ट्र में अपेक्षा अलग नतीजे आए हैं। साल २०१४ में गठबंधन नहीं था। साल २०१९ में गठबंधन के बावजूद सीटे कम हुई हैं। बहुमत मिला लेकिन कांग्रेस-एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) मिलकर १०० सीटों पर पहुंच गई। ये एक तरह से सत्ताधारियों को सबक मिला है।”
सबसे गंभीर बात सामना में यह कही गयी है – ”जनता ने धौंस, दहशत और सत्ता की मस्ती से प्रभावित न होते हुए जो मतदान किया है उसके लिए उसका अभिनंदन है। शिवसेना ने उन नेताओं को लेकर भी भाजपा पर निशाना साधा जिन्होंने एनसीपी छोड़कर कमल को अपनाया था। शिनसेना ने कहा भाजपा ने राष्ट्रवादी में इस तरह से सेंध लगाई कि ऐसा माहौल बन गया कि पवार की पार्टी में कुछ बचेगा या नहीं।