शिव सेना, कांग्रेस और एनसीपी महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार को महाराष्ट्र के क्रमशः सीएम और डिप्टी सीएम पद की शपथ दिलाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। उनकी याचिका दाखिल कर ली गयी है। सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस बोबड़े आज दिल्ली से बाहर हैं लिहाजा यह साफ़ नहीं है कि इस याचिका पर जल्दी सुनवाई को लेकर सर्वोच्च अदालत का क्या निर्णय आता है। कमसे कम आज रात इसकी सुनवाई की संभावना काम ही दिखती है।
तीनों दलों ने साझी याचिका में इस मामले की सुनवाई आज ही करने की फ़रियाद की है। कर्नाटक के मामले में ऐसा एक बार हुआ था कि और उस वक्त अदालत ने २४ घंटे के भीतर सीएम पद की शपथ लेने वाले बीएस येद्दियुरप्पा को बहुमत सिद्ध करने को कहा था और ऐसा नहीं कर पाने के कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। इस बीच महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी भी दिल्ली पहुँच गए हैं।
महाराष्ट्र में रात में तेजी से घटे घटनाक्रम में शनिवार तड़के राष्ट्रपति शासन ख़त्म करके तीन घंटे के भीतर राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी ने फडणवीस और अजित पवार को शपथ दिला दी थी। यह सब घटनाक्रम इतनी तेजी से हुआ कि इसमें किसी भी गणमान्य व्यक्ति को नहीं बुलाया गया जैसा कि आमतौर पर शपथ ग्रहण के वक्त किया जाता है। अब महाराष्ट्र का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँच गया है।
उधर एनसीपी की जो बैठक आज शाम से जारी है उसमें ज्यादा विधायकों के पहुँचने से लगता है कि भाजपा की सरकार को समर्थन देने और उप मुख्यमंत्री पद की सुबह शपथ लेने वाले अजित पवार के साथ बहुत कम लोग रह गए हैं। जानकारी के मुताबिक अजित पवार के साथ ज्यादा विधायक न होने के चलते ही बाकी लोग उनसे छिटककर वापस एनसीपी (शरद पवार के साथ) में लौट आये हैं इनमें धनंजय मुंडे भी शामिल हैं। एनसीपी ने पहले ही अजित पवार को विधायक दल के नेता पद से हटाकर जयंत पाटिल को नेता बना दिया है।
शाम को शिव सेना ने दोबारा दावा किया है कि सरकार उनकी पार्टी की ही बनेगी। ऐसा ही बात सुबह कांग्रेस नेता अहमद पटेल और एनसीपी प्रमुख शरद पवार भी कह चुके हैं। शाम की बात की जाये तो शिव सेना के खेमे में दोबारा भरोसा दिखने लगा है, जबकि सुबह उनके चेहरे मुरझाये से दिख रहे थे। तब तक यही लग रहा था कि शरद पवार ने ही धोखा दिया है। लेकिन बाद में शरद पवार ने तीन दलों के गठबंधन का समर्थन कर राजनीतिक स्थिति बदल दी।