क्या सहयोगी भाजपा की ‘दादागिरी’ से नाराज शिव सेना महाराष्ट्र में भाजपा को गच्चा देने की तैयारी में है ! यदि परदे के पीछे की ख़बरों पर भरोसा किया जाए तो महाराष्ट्र में एक यह फार्मूला अंदरखाते सोचा जा रहा है कि शिव सेना एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाये जिसमें पहले ढाई साल के लिए शरद पवार को सीएम और आदित्य ठाकरे को उपमुख्यमंत्री बनाकर ढाई साल बाद आदित्य को सीएम और कांग्रेस के किसी नेता को उपमुख्यमंत्री बना दिया जाए। इस तरह आदित्य को सरकार/प्रशासन का अनुभव भी मिल जाएगा।
यह सोच सीएम फडणवीस के इस ब्यान के बीच उभरी है कि सरकार सिर्फ भाजपा के नेतृत्व में ही बनेगी। दोनों दलों में लड़ाई के चलते भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इसी महीने के आखिर में मुम्बई का अपना दौरा रद्द कर दिया है। पहने उन्हें भाजपा विधायक दल के नेता के चुनाव की बैठक में हिस्सा लेना था।
शिव सेना के नेताओं के दिमाग में यह बात घर कर गयी है कि भाजपा किसी सूरत में उसके लिए सीएम पद की गुंजाइश नहीं रखना चाहती और खुद सत्ता (सीएम) पद पर कुंडली मारकर बैठे रहना चाहती है। शिव सेना को इस बात की बहुत नाराजगी है कि जब चुनाव होने होते हैं तो भाजपा नेता मीठी-मीठी बातें करने लगते हैं और जब सरकार बनाने की बात आती है तो सहयोगियों को वह दोयम गरजे के दलों की तरह ट्रीट करती है। सेना के कुछ नेता यह भी मानते हैं कि भाजपा सहयोगी दलों को हैं कर अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश में रहती है।
शिव सेना को लगता है कि उसके पास सीएम पद पाने और मराठा मतदाताओं में अपनी पैठ मजबूत करने का सबसे बेहतर मौक़ा है। हालांकि, एनसीपी क्या शिव सेना की मदद करेगी, इसपर बड़ा सवाल है।
अब महाराष्ट्र में भाजपा-शिव सेना की सरकार गठन और मुख्यमंत्री पद की लड़ाई गंभीर दौर में पहुँच गयी है। जहां शिव सेना अपने लिए ५०-५० फार्मूले के तहत सीएम पद के लिए अड़ी हुई है वहीं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने साफ़ कर दिया है कि सरकार ‘सिर्फ और सिर्फ भाजपा के नेतृत्व में’ ही बनेगी। इस तरह अब शिव सेना को भाजपा के दबाव के आगे हथियार डालने होंगे या कोइ और रास्ता अपने मन की मुराद पूरी करने के लिए ढूंढ़ना होगा।