सीने में दर्द की शिकायत के चलते शिवसेना के सबसे सक्रिय नेता संजय राऊत अस्पताल में एडमिट हैं।
मुंबई के लीलावती हॉस्पिटल में एडमिट संजय राउत की तबीयत फिलहाल ठीक बताई जा रही है। उनके भाई सुनील राऊत के अनुसार उन्हें एक दो दिन में डिस्चार्ज किया जा सकता है। पिछले 15 दिनों से राहुल को सीने में दर्द की शिकायत थी।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद से ही संजय राउत ने बीजेपी को जिस तरह से आड़े हाथों लिया है, उससे बीजेपी ने खुद स्वीकार किया कि वह आहत हुई है। वह शिवसेना के माउथपीस’ सामना’ के कार्यकारी संपादक भी हैं।
महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी द्वारा शिवसेना को अपना दावा पेश करने के लिए न्योता दिए जाने के बाद भी वह ज्यादा एक्टिव हो गए थे। आज शाम 7:30 बजे तक शिवसेना को अपना दावा पेश करना है राउत ने मांग की थी कि शिवसेना को अपना दावा पेश करने के लिए और ज्यादा समय देना चाहिए था।
सामना के जरिए और खुद भी संजय राऊत बार-बार बीजेपी व चीफ मिनिस्टर फडणवीस को अपना निशाना बनाते रहे। उन्होंने पहला दावा किया कि महाराष्ट्र का अगला चीफ मिनिस्टर शिवसेना का होगा। इस दावे को पूरा करने के लिए वे हर फ्रंट पर बेहद सक्रिय रहे। जिस वक्त बीजेपी शिवसेना के बीच टकराव अपने शुरुआती चरण में था, उस वक्त शिवसेना सरकार की पैरवी को लेकर समर्थन के मुद्दे पर राऊत एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार से मिल चुके थे। इस बात में दो राय नहीं शिवसेना और शरद पवार की नज़दीकी बढ़ाने में संजय राऊत की भूमिका महत्वपूर्ण रही है।
संजय राउत चुनावी नतीजों के बाद से सुर्खियों में बने रहे. वह शिवसेना के मुखपत्र सामना या तो मीडिया के जरिए बीजेपी पर निशाना साधते रहे हैं. शिवसेना प्रवक्ता शुरू से ही कहते रहे हैं कि मुख्यमंत्री तो शिवसेना का ही होगा. यही कारण है कि शिवसेना ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया और अब NCP-कांग्रेस के साथ जाने के लिए तैयार है. एनसीपी और शिवसेना में अगर करीबी बढ़ी है तो उसका श्रेय संजय राउत को ही जाता है. नतीजों के बाद बीजेपी से सीएम पद को लेकर खींचतान के बीच उन्होंने एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की थी, जिसके बाद से ही चर्चा होने लगी थी