आज शरद पवार का 80 वां जन्मदिन है। इस मौके पर शिवसेना ने उनके कार्यों और स्वभाव का उल्लेख करते हुए शरद पवार की प्रशंसा की।
‘सामना’ ने अपने एडिटोरियल में पवार को हाथी की चाल और वजीर का रुआब वाले तौर पर बताया है। एक नजर… कोविड काल में निसर्ग चक्रवाती तूफान के दौरान उन्होंने गांवों में जाकर किसानों का दुख-दर्द समझा। इसलिए श्री पवार ८० वर्ष के हो गए हैं, इस पर कोई विश्वास करेगा? आज शिवसेनाप्रमुख रहते तो उन्होंने पितृतुल्य होने के नाते ‘शरद बाबू’ को ढेरों आशीर्वाद दिया होता। परंतु आज पवार को आशीर्वाद दे सकें, ऐसे ‘हाथ’ नहीं हैं और पवार झुककर प्रणाम करें, ऐसे ‘पांव’ नजर नहीं आते। पवार खुद ही ‘सह्याद्रि’ बनकर देश के नेता बने हैं। ५० वर्ष से अधिक समय से पवार संसदीय राजनीति में हैं। वे सभी चुनावों में अजेय हैं। पवार को जनता ने खुले हाथों से आशीर्वाद दिया है। अर्थात ये आशीर्वाद जिनके संदर्भ में सफल हुए, ऐसे गिने-चुने भाग्यशाली लोगों में शरद पवार शामिल हैं। महाराष्ट्र की कांग्रेस पार्टी में कई बड़े नेता विगत ७० वर्षों में तैयार हुए, परंतु यशवंतराव चव्हाण के कद का नेता तैयार नहीं हुआ। आज भी लोग यशवंतराव को ही याद करते हैं। चव्हाण ने ही पवार को बनाया है। चव्हाण के बाद उनके समकक्ष नेता के रूप में पवार की ओर देखना चाहिए। यशवंतराव में ‘हिम्मत’ छोड़ दें तो सभी गुण थे। पवार के राजनीतिक सफर में साहस की मात्रा कई बार अधिक ही नजर आई। यशवंतराव की तरह ही लोगों को जुटाने व संभालने का शौक पवार को है। उस शौक को कोई जोड़-तोड़ की राजनीति कहता होगा तो पवार कई वर्षों से ये जोड़-तोड़ कर रहे हैं। राज्य की ‘ठाकरे सरकार’ यह हाल के दौर की सबसे बड़ी जोड़-तोड़ है। १९६२ के आसपास युवानेता के रूप में उनका उदय हुआ। पुलोद के मुख्यमंत्री विरोधी पक्ष नेता कांग्रेस छोड़े व पुन: राजीव गांधी की उपस्थिति में संभाजी नगर में शामिल हुए पवार को हमने देखा। शरद पवार लोकसभा में विपक्ष के नेता थे। पवार की चतुराई से वाजपेयी की सरकार एक मत से गिर गई। परंतु संसद के उस नेता को विश्वास में लिए बगैर सोनिया गांधी राष्ट्रपति के पास सरकार बनाने का दावा पेश करने गईं और व्याकुलता के साथ वैचारिक मुद्दों पर कांग्रेस पुन: छोड़नेवाले, राष्ट्रवादी कांग्रेस की स्थापना करके पुन: कांग्रेस की ही बराबरी में निजी शान की राजनीति करनेवाले शरद पवार को देश ने देखा।
दिल्ली को पवार की क्षमता से हमेशा ही डर लगता रहा है। पवार की हाथी की चाल और वजीर का रुआब उत्तर की ‘जी हुजूरी’ नेताओं के लिए परेशानियों भरी साबित हुई होती। उस पर पवार विश्वास लायक नेता नहीं हैं, ऐसा दुष्प्रचार हमेशा जारी रखा गया। रक्षा मंत्री, कृषि मंत्री की हैसियत से केंद्र में पवार द्वारा किए गए कार्य दमदार ही थे। पवार पर हमेशा संदेह करने में जिन्होंने खुद को धन्य माना वे बरसाती केंचुओं की तरह राजनीति से अदृश्य हो गए। वे अपना जिला भी नहीं संभाल सके। दुनिया की तमाम आधुनिकता को समाहित कर चुका शक्तिशाली ऐसा कल का औद्योगिक महाराष्ट्र हो, ऐसा सपना पवार ने देखा। उसी ध्येय से वे काम करते रहे। पवार उद्योगपतियों की मदद करते हैं, ऐसा आरोप लगाया जाता है। उद्योगपति नहीं होंगे तो राज्य की प्रगति वैâसे होगी? इसका उत्तर कोई भी नहीं देता है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुंबई में आते हैं और उद्योगपतियों से मिलते हैं, ‘उत्तर प्रदेश चलो।’ ऐसा निमंत्रण देते हैं तो किसलिए? श्री पवार ने उद्योगपतियों को बड़ा बनाया। उसी तरह किसान और सहकार क्षेत्र को भी बल दिया। निजीकरण का पवार जोरदार समर्थन करते रहे। निजी क्षेत्र से उन्होंने ‘लवासा’ जैसे सौंदर्य स्थल का निर्माण किया। पर्यटन उद्योग को बल दिया। इससे रोजगार व राजस्व निर्माण किया। तब व्यक्ति द्वेष से ग्रसित राजनीतिज्ञों ने इस प्रकल्प को ही रद्द करके महाराष्ट्र का नुकसान किया। ‘लवासा’ जैसी परियोजनाएं अन्य राज्यों में निर्माण हुई होती तो महाराष्ट्र के नेता उसका गुणगान किए होते। परंतु देश के राजनीतिज्ञों ने कई वर्षों तक सिर्फ ‘पवार विरोध’ की ही राजनीति की। महाराष्ट्र में पवार विरोधियों को समय-समय पर महत्वपूर्ण पद बांटे गए। पवार विरोध पर कांग्रेस पार्टी की तीन पीढ़ियां जीती रहीं। इसे कैसा लक्षण माना जाए? इसे भी पवार की ताकत ही कहनी चाहिए। देश का प्रधानमंत्री बनने की क्षमता रखनेवाले पवार आज विपक्ष के इकलौते सबसे शक्तिमान नेता हैं।
पवार 80 वर्ष के हो रहे हैं। इसी समय मोदी को प्रचंड बहुमत होने के बाद भी लोगों के मन में असंतोष है। किसान, मेहनतकश दिल्ली को घेरा डालकर १५ दिनों से बैठे हैं। कांग्रेस पार्टी का अस्तित्व कमजोर हो गया है। लोगों को आकर्षित करें, ऐसा नेतृत्व अब शेष नहीं बचा है। ऐसे समय में महाराष्ट्र में भाजपा का बेलगाम घोड़ा रोककर शिवसेना, कांग्रेस के साथ महाआघाड़ी की सरकार स्थापित करनेवाले उस सरकार का नेतृत्व समझदारी के साथ उद्धव ठाकरे को सौंपनेवाले शरद पवार देश के बड़े वर्ग को आकर्षित करते हैं।
वास्तविक अर्थ में लोकप्रिय संगठन, कुशल, राज्य व देश की समस्या उत्तम ढंग से जतन करनेवाले मोदी से लेकर क्लिंटन तक संबंध रखनेवाले सुस्वभावी, स्नेह और वचन का पालन करनेवाले हाथी की चाल और वजीर का रुआब रखनेवाले शरद पवार का आनेवाला जीवन गंगा-यमुना की विशालता और हिमालय की ऊंचाई को छूनेवाला हो, यही शुभकामना!