शिवसेना और एनसीपी दोनों ही दलों ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि वह जानबूझकर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन चाहती है। दोनों ही दलों का कहना था कि राष्ट्रपति शासन महाराष्ट्र और महाराष्ट्र की जनता का अपमान होगा जिसने बीजेपी शिवसेना को जनादेश दिया है सरकार बनाने का।
शिवसेना नेता संजय राउत में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इस दौरान वह बीजेपी अपने हितों को साधने का काम करती रहेगी।
दूसरी ओर एनसीपी नेता नवाब मलिक ने ट्वीट करते हुए आरोप लगाया कि बीजेपी महाराष्ट्र में जानबूझकर राष्ट्रपति शासन चाहती है ताकि महाराष्ट्र मेंं मोदी और अमित शाह का राज चलता रहे।
मलिक ने ट्वीट किया- ‘महाराष्ट्र को बीजेपी राष्ट्रपति शासन की ओर धकेल, मोदी और शाह जी की जोड़ी के जरिये दिल्ली से महाराष्ट्र की सत्ता की बागडोर चलाना चाहती है। यह महाराष्ट्र का अपमान जनता सहन नहीं करेगी।’ दिल्ली के तख्त के आगे महाराष्ट्र नहीं झुकता, यह इतिहास है।’मलिक ने आगे जोड़ते हैं।
संजय राउत का कहना था कि यदि बीजेपी के पास संख्याबल है तो वह सरकार बनाने का दावा कर सकती है।पर राज्य पर राष्ट्रपति शासन थोपना जनादेश का अपमान होगा। उन्होंने आगे कहा, ‘न्याय और अधिकार की लड़ाई जारी रहेगी। न उद्धव ठाकरे झुके हैं और न ही शरद पवार। महाराष्ट्र की अस्मिता से समझौता न करने की बात कहते हुए संजय राउत ने कहा, ‘महाराष्ट्र को केयर टेकर की जरूरत नहीं है। सीएम को संवैधानिक दायरे में इस्तीफा देना पड़ेगा।’
गौरतलब है पिछले 15 दिनों से महाराष्ट्र में सरकार के गठन को लेकर बीजेपी शिवसेना के बीच रस्साकशी चल रही है। शिवसेना का दावा है कि चुनाव से पहले बीजेपी और उसके बीच 50:50 फार्मूला का वादा हुआ था जबकि बीजेपी इसे सिरे से नकार रही है। आज केंद्रीय नितिन गडकरी ने भी शिवसेना के इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि बीजेपी शिवसेना के बीच इस तरह कोई करार नहीं हुआ था।
आज शिवसेना काफी तीखे तेवरों के साथ दिखी रही है। संजय राउत ने सीधे-सीधे कहा कि वह इस मामले में किसी तीसरे की मध्यस्थता नहीं चाहते। गडकरी ने एक चैनल से बातचीत में कहा था कि वह बीजेपी शिवसेना के बीच मध्यस्थता के लिए तैयार हैंं। संजय राउत ने तो यहां तक कह दिया यदि शिव सेना को सीएम पद नहीं मिलता तो वह एनडीए से अलग होने के लिए तैयार है।