पिछले वर्ष 26 नवंबर, 2022 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि ‘भ्रष्टाचार कोढ़ है। इसे पूरी तरह समाप्त करना ज़रूरी है। राज्य सरकार की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति है। जन-कल्याणकारी योजनाओं, विकास कार्यों, थानों में एफआईआर लिखे जाने और आपराधिक प्रकरणों पर कार्यवाही के मामलों में भ्रष्टाचार की प्रत्येक शिकायत या सूचना पर दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ तत्काल कार्यवाही सुनिश्चित करें।’
अभी व्यापम घोटाले का मामला अभी तक अदालत में लंबित है, और मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार पर विभिन्न पदों पर हो रही नियुक्तियों में भ्रष्टाचार और अनियमितता के आरोप लग रहे हैं। मेडिकल कॉलेजों में आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित पदों को भ्रष्टाचार करके अनारक्षित रूप से भरने के आरोप डॉक्टरों ने लगाये हैं। सीएम राइज स्कूल में भी अनियमित रूप से भर्ती करने के आरोप लग रहे हैं। अब ताज़ा मामला मध्य प्रदेश पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) नियम-2022 यानी पेसा क़ानून के तहत 89 आदिवासी विकासखण्डों में ज़िला और विकासखंड समन्वयक की नियुक्तियों में कथित भ्रष्टाचार मामले ने तूल पकड़ा है। मध्य प्रदेश के कई आदिवासी संगठनों एवं कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने आरोप लगाया है कि पेसा क़ानून के क्रियान्वयन एवं जागरूकता के लिए ज़िला और विकासखंड समन्वयक की नियुक्तियाँ नियमों से परे जाकर की गयी हैं।
इस सम्बन्ध में जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) संगठन ने प्रदेश अध्यक्ष इंद्रपाल मरकाम और कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष रविराज बघेल के नेतृत्व में मध्य प्रदेश के विभिन्न ज़िलों एवं तहसील स्तर पर 11 मार्च, 2023 को राज्यपाल के नाम से ज्ञापन सौंपकर अपना विरोध दर्ज कराया। वहीं मध्य प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ. विक्रांत भूरिया ने प्रेसवार्ता कर आरोप लगाया कि पेसा अधिनियम समन्वयक भर्ती में भाजपा के रिश्तेदारों और कार्यकर्ताओं को $गलत तरीक़े से नियुक्ति दी गयी है।
क्या है मामला?
हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम-1996 के तहत मध्य प्रदेश पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) नियम-2022 बनाये एवं उन्हीं नियमों के क्रियान्वयन एवं जागरूकता फैलाने के लिए 89 आदिवासी विकासखण्डों में 20 ज़िला और 89 विकासखंड समन्वयक नियुक्त करने की घोषणा की गयी।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जनजातीय वर्ग के उत्थान के लिए पेसा नियम की जानकारी उन तक पहुँचाने, पेसा कोऑर्डिनेटर पर मुस्तैदी से कार्य करने के लिए पेसा समन्वयक और मोबलाइजर की ज़िम्मेदारी तय की। साथ ही पेसा नियम को निम्न स्तर तक ले जाने के लिए ज़िला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, पेसा समन्वयक और मोबलाइजर को मिलकर काम करने के निर्देश दिये।
सन् 2021 में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा 20 पेसा क़ानून ज़िला समन्वयकों और 89 विकासखंड समन्वयकों की भर्ती का विज्ञप्ति में कहा गया था कि 12वीं और बेचलर डिग्री की मेरिट के आधार पर अभ्यर्थियों का चयन होगा। मेरिट में 890 उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए चुना गया। साक्षात्कार 9 फरवरी, 2022 से 12 फरवरी, 2022 के बीच होने थे; लेकिन 8 फरवरी को उद्यमिता विकास केंद्र (सेडमैप) ने एक सूचना जारी कर रद्द कर दिये गये। सूचना में कहा गया कि एमपी ऑनलाइन (रूक्कशठ्ठद्यद्बठ्ठद्ग) पोर्टल पर सूचना अपलोड है तथा आवेदकों द्वारा आवेदन में दी गयी ईमेल पर भी सूचना भेज दी गयी है।
इसमें कहा गया कि प्रथक से आगामी अवधि में होने वाले पेसा ब्लॉक कोऑर्डिनेटर हेतु साक्षात्कार की सूचना शॉर्टलिस्टेड आवेदकों को प्रथक से एमपी ऑनलाइन के माध्यम से भेजी जाएगी। लेकिन उक्त 890 अभ्यर्थियों को आगे साक्षात्कार, नियुक्ति या शुल्क वापसी के सम्बन्ध में कोई भी जानकारी नहीं मिली। यह मामला तब तूल पकड़ गया, जब सोशल मीडिया के माध्यम से ज़िला एवं विकासखंड समन्वयकों को तीन दिवसीय प्रशिक्षण दिये जाने की सूचना मिली, जिसमें पूर्व में साक्षात्कार के लिए चयनित अभ्यर्थियों को शामिल नहीं किया गया था। बल्कि पंचायती राज मंत्रालय ने एक आउटसोर्स एजेंसी एमपीसीओएन (रूक्कष्टह्रहृ) (केंद्र सरकार के उपक्रम) द्वारा एक वर्ष के उपबंध के तहत अस्थायी तौर पर ज़िला एवं विकासखंड समन्वयकों की नियुक्ति की गयी। इससे पूर्व में साक्षात्कार के लिए चयनित 890 अभ्यर्थी ख़ुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
भर्ती पर सवाल
एमपीसीओएन के ज़रिये नियुक्त ज़िला एवं विकासखंड समन्वयकों की भर्ती पर आदिवासी संगठन एवं विपक्षी नेताओं ने सवाल खड़े किये हैं। मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध आदिवासी नेता एवं मनावर से विधायक डॉ. हिरालाल अलावा ने कहा कि एक तरफ़ सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात करती है और दूसरी तरफ़ भ्रष्टाचार को संरक्षण दे रही है। 89 आदिवासी विकासखंडों में 20 पेसा क़ानून ज़िला समन्वयकों और 89 विकासखंड समन्वयकों की भर्ती में भाजपा और उससे जुड़े संगठनों के युवाओं को चयनित कर प्रदेश सरकार ने हज़ारों आदिवासी युवाओं के साथ धोखा करते हुए फ़र्ज़ी नियुक्तियाँ की हैं। यह लोकतांत्रिक संवैधानिक व्यवस्था पर हमला है। हमारी सरकार से माँग है कि इन नियुक्तियों को तुरन्त निरस्त कर पारदर्शी तरीक़े से भर्ती की जाए, अन्यथा हम इस भर्ती घोटाले के मामले को सडक़ से विधानसभा तक ज़ोरशोर से उठाएँगे।
जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) संगठन मध्य प्रदेश के अध्यक्ष इंद्रपाल मरकाम ने कहा कि पेसा समन्वयक भर्ती में अनियमितता सामने आयी है, जिसमें एक विशेष पार्टी एवं उससे जुड़े संगठनों के लोगों को नियुक्त किया गया है। जयस संगठन प्रदेश सरकार से माँग करती है कि इस भर्ती प्रक्रिया को तुरन्त निरस्त कर ज़िम्मेदार अधिकारियों एवं नेताओं पर कठोर कार्यवाही प्रस्तावित कर नये सिरे से पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया सुनिश्चित करे, अन्यथा जयस सहित प्रदेश के समस्त आदिवासी समाज भीषण जन आन्दोलन करने पर मजबूर होंगे, जिसकी ज़िम्मेदारी राज्य प्रशासन की होगी।
मध्य प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ. विक्रांत भूरिया ने कहा कि आदिवासियों के हित में पेसा कोऑर्डिनेटर भर्ती योजना एक बड़े घोटाले में बदल गयी है। 89 आदिवासी बाहुल्य ब्लॉक में पेसा क़ानून के प्रचार-प्रसार के लिए भाजपा सरकार ने सेडमैप के ज़रिये आवेदन मँगाये थे। आवेदकों से 500 से 600 रुपये वसूले गये। सरकार को एक करोड़ रुपए राजस्व मिला। आवेदकों की मेरिट लिस्ट बनी। 890 आवेदकों को इंटरव्यू के लिए बुलाया; लेकिन इंटरव्यू कैंसिल करके एमपीकॉन के ज़रिये आउटसोर्स से गोपनीय तरीक़े से एक विचारधारा विशेष से जुड़े 89 ब्लॉक और 20 डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर के पद भर दिये गये। इन चयनित लोगों को सरकारी ख़ज़ाने से जहाँ 25,000 रुपये मासिक वेतन ब्लॉक कोऑर्डिनेटर को और 45,000 रुपये डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर को दिये जाएँगे। ये चयनित लोग पेसा क़ानून का प्रचार करने के बजाय बीजेपी के चुनावी बूथ मैनेजमेंट का काम करेंगे। भाजपा सरकार ने शिक्षित बेरोज़गार युवाओं के साथ छल किया है। 109 नियुक्तियों में एक भी महिला को शामिल नहीं किया गया है।
वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के उपसचिव लक्ष्मणसिंह मरकाम ने पलटवार करते हुए पेसा क़ानून क्रियान्वयन में व्यवधान पैदा करने वाले इसे विपक्ष का दुष्प्रचार बताया। मरकाम ने कहा कि पेसा क़ानून ज़िला समन्वयक को 27,500 रुपये मिलेंगे, न कि 45,000 रुपये। पेसा क़ानून क्रियान्वयन के लिए पेसा क़ानून नियम बनाये जाने के पहले जारी विज्ञप्ति को सेडमैप द्वारा निकाला गया था। तकनीकी कारण से बिना नियम नियुक्ति सम्भव नहीं थी। विज्ञप्ति के पैरा-6 पर स्पष्ट था कि बिना कारण बताये यह विज्ञप्ति निरस्त की जा सकती है। पंचायती राज संचालनालय द्वारा अपने 03/06/2022 के पत्र द्वारा विज्ञप्ति को निरस्त करने की सूचना सभी को दे दी गयी। कुल 109 आदिवासी को अस्थायी कॉन्ट्रैक्ट पर रखा गया है, ये पद जब स्थायी भरे एमपीपीएससी / कर्मचारी चयन आयोग से भरे जाएँगे, तो एसटी को केवल 21 पद मिलेंगे। बाक़ी अन्य को; तो क्या कुछ आदिवासियों को थोड़े दिन कॉन्ट्रैक्ट पद मिलने से सबको दिक़्क़त है?
एक तरफ़ उप सचिव लक्ष्मण सिंह मरकाम का कहना है कि पेसा क़ानून समन्वयक के सभी 109 पदों पर आदिवासी अभ्यर्थियों की भर्ती की गयी है, जो आदिवासियों के हित में है। वहीं विपक्षी पार्टी कांग्रेस एवं आदिवासी संगठनों का आरोप है कि बेरोज़गार आदिवासी युवाओं को नज़रअंदाज़ कर भाजपा एवं उससे जुड़े संगठनों के युवाओं को चयनित किया गया है, जो पेसा क़ानून समन्वयक के बजाय भाजपा के चुनावी बूथ मैनेजमेंट का काम करेंगे। जबकि पूर्व में साक्षात्कार के लिए चयनित 890 अभ्यर्थी इस प्रक्रिया में ख़ुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
पेसा क़ानून समन्वयकों की आउटसोर्सिंग द्वारा की गयी नियुक्ति प्रक्रिया पर अनियमितता एवं भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बावजूद भी शिवराज सरकार इस भर्ती को रद्द करने के मूड में नहीं दिखायी दे रही है। अब देखना यह होगा कि इस संदर्भ में मध्य प्रदेश के आदिवासी संगठनों एवं विपक्षी पार्टियों की आगे की रणनीति क्या होगी?