राजधानी नई दिल्ली के जामिया नगर के शाहीन बाग इलाके में पिछले एक माह से नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ जारी जनांदोलन में जोश अब भी बरकरार है। रविवार को उमड़े जनसैलाब को देखकर तो लगता है कि यह और बढ़ता ही जा रहा है। देश का यह संभवत: पहला गैर राजनीतिक आंदोलन है जिसमें सीधे तौर पर किसी खास पार्टी का समर्थन नहीं है। इसमें गैर राजनीतिक दल और स्थानीय लोगों का भरपूर समर्थन मिल रहा है। मुस्लिम बहुल इस इलाके में सिर्फ मुस्लिम ही नहीं, बल्कि दूरदराज से सभी धर्मों के लोकतंत्र पसंद लोग शिरकत कर रहे हैं। जामिया के अंदर पुलिस की बर्बरता के बाद इस आंदोलन का जमावड़ा शुरू हुआ। अब यह दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है।
यह अलग बात है कि लोगों के इस सत्याग्रह को मिल रहे भारी समर्थन को देखते हुए इसमें राजनेता भी शिरकत कर रहे हैं। रविवार को कांग्रेस के बड़े नेता और बुद्धिजीवी शशि थरूर भी पहुंचे। यहां पर उन्होंने कहा कि इस देश को सिर्फ हिंदुओं ने ही नहीं, बल्कि सभी धर्मों के लोगों के खून ने सींचा है। इसमें सभी का बराबर का हक है। नागरिकता संशोधन कानून को उन्होंने भारतीय लोकतंत्र पर एक धब्बा करार दिया। कहा कि यह अलोकतांत्रिक होने के साथ ही विभाजनकारी भी है।
ध्यान देने वाली बात ये है कि इसमें तमाम संगठनों के लोग और अमनपसंद बाशिंदे अपना समर्थन देने के लिए दूर-दूर से पहुंच रहे हैं। इस धरना-प्रदर्शन या सत्याग्रह के सफल बनाने में महिलाओं का बहुत बड़ा योगदान है। बड़ी तादाद मेंं युवाओं के साथ महिलाएं हिस्सा ले रही हैं। महिलाओं में भी बच्चियों से लेकर बुजुर्गों के लिए भीषण ठंड भी उनके जज्बे के आगे नतमस्तक नजर आती है। इस दरम्यान बारिश भी आंदोलन को नहीं धो सकी। नोएडा से फरीदाबाद को जोडऩे वाला लिंक रोड बंद होने से लोगों को दिक्कत जरूर हो रही है, पर धरना दे रहे लोगों को कहना है कि अपनी बात को रखने के लिए कुछ गंवाना तो पड़ेगा ही। अब धीरे-धीरे इस आंदोलन की आवाज धमक मुख्य धारा की मीडिया के अलावा अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में भी दिखने लगी है।