मुस्लिम युवकों से विवाह करने वाली कुछ हिन्दू युवतियों पर धर्मांतरण के लिए डाला जाता है दबाव!
देश में सख़्त क़ानून के बावजूद धर्मांतरण के मामले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। भले ही मुस्लिम बुद्धिजीवी यह मानते हैं कि इस्लाम इस तरह की हिंसा और विवाह के लिए धर्मांतरण की इजाज़त नहीं देता; लेकिन कुछ मौलवी ऐसी गतिविधियों में लिप्त हैं। ये मौलवी हिन्दू युवतियों द्वारा मुस्लिम युवकों से विवाह करने के पहले अथवा बाद में उन पर धर्मांतरण के लिए ज़ोर देते हैं और इसका विरोध करने पर उन पर क्रूर अत्याचार करने की भी सलाह देते हैं। हो सकता है कि यह व्यापक स्तर पर न होता हो; लेकिन दो मौलवियों से ‘तहलका’ की बातचीत ज़ाहिर करती है कि अंतर्धार्मिक विवाह यानी मुस्लिम युवक से शादी करने के बाद कुछ हिन्दू युवतियों की राह आसान नहीं होती। तहलका एसआईटी की जाँच रिपोर्ट :-
‘शादी करने से पहले हिन्दू लडक़ी का धर्म इस्लाम में परिवर्तित कर दो। शादी के बाद अगर लडक़ी इस्लाम छोडक़र अपने हिन्दू धर्म में वापस चली जाती है, तो पहले विनम्रता से उसे ऐसा न करने के लिए कहें। अगर वह नहीं सुनती है, तो उसे थप्पड़ से समझाएँ। उसे इस तरह पीटें कि उसके शरीर से ख़ून न बहे। उसके शरीर पर थप्पड़ का कोई निशान नहीं रहना चाहिए, और उसकी हड्डियाँ नहीं टूटनी चाहिए। यदि आप घरेलू हिंसा के लिए पुलिस कार्रवाई से बचना चाहते हैं, तो आपको अपनी पत्नी के शरीर पर हिंसा का कोई सुबूत नहीं छोडऩा चाहिए।’ -मौलाना मोहम्मद मुक़ीम ने यह बात ‘तहलका’ के रिपोर्टर से कही। ‘तहलका’ रिपोर्टर ने मुस्लिम के रूप में ख़ुद को पेश करते हुए मौलाना मोहम्मद मुक़ीम से अपने 29 वर्षीय काल्पनिक भतीजे के एक हिन्दू लडक़ी से उसकी मर्ज़ी से शादी (प्रेम विवाह) करने की इच्छा को ज़ाहिर करते हुए एक काल्पनिक चरित्र के रूप में उनसे सम्पर्क किया था, जिसके जवाब में मौलाना मुक़ीम ने रिपोर्टर को यही सलाह दी। मदरसे में अपनी वर्तमान नौकरी में आने से पहले मौलाना मुक़ीम उत्तर प्रदेश के एक शहर में एक मस्जिद के इमाम के रूप में काम कर रहे थे।
मौलाना मुक़ीम ने कहा- ‘उसे पीटने के बाद भी, यदि आपकी पत्नी हिन्दू धर्म का पालन करना जारी रखती है और इस्लाम में वापस नहीं आती है, तो आप उसे शरिया अदालत में ले जाएँ, जहाँ उसका धर्मांतरण कराया गया था। उन्हें बताएँ कि लडक़ी शादी के बाद हिन्दू धर्म में वापस चली गयी है। शरिया अदालत के सदस्य उसे ऐसा न करने के लिए कहेंगे। अगर वह उनकी भी नहीं सुनती है, तो शरिया अदालत उन्हें एक-दूसरे को तलाक़ देने के लिए कहेगा।’
दरअसल भारत के कई राज्यों के धर्मांतरण विरोधी क़ानून पारित करने के बाद ‘तहलका’ ने मौलाना मुक़ीम से सम्पर्क किया। लेकिन नये धर्मांतरण विरोधी क़ानून के तहत, अंतर्धार्मिक जोड़ों को अब शादी करने से पहले एक ज़िला अधिकारी को दो महीने का समन (नोटिस) देना होगा। वर्तमान में विशेष विवाह अधिनियम-1954 के तहत, जो भारत में अंतर्धार्मिक विवाहों को नियंत्रित करता है; जोड़ों को 30 दिन का नोटिस देना होगा। नये क़ानून में आपराधिक पहलू भी हैं कि यदि एक पति या पत्नी को अपना धर्म बदलने के लिए मजबूर करने के लिए शादी का उपयोग करने का दोषी पाया जाता है, तो उसमें 10 साल तक की जेल की सज़ा शामिल है। माता-पिता, भाई-बहन और कोई भी रिश्तेदार विवाह और गोद लेने से धर्मांतरण के ख़िलाफ़ शिकायत कर सकते हैं। ऐसे विवाहों को निरस्त भी किया जा सकता है। यह साबित करने के लिए कि धर्मांतरण मजबूर करके नहीं किया है, इसके सुबूत देने का ज़िम्मा धर्मांतरण करने वाले व्यक्तियों या जो लोगों को धर्मांतरण के लिए परामर्श देते हैं; उनका होता है।
भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण विरोधी क़ानून पारित होने के बाद भी मौलाना मुक़ीम जैसे लोग हैं, जो धर्मांतरण पर अपने फ़ैसलों को सही समझते हैं। इसी वास्तविकता की जाँच ‘तहलका’ ने की। मौलाना मुक़ीम ने तो सारी हदें पार कर दीं। उन्होंने रिपोर्टर को सलाह दी कि यदि उसकी पत्नी इस्लाम धर्म अपनाने और उससे शादी करने के बाद अपने हिन्दू धर्म में वापस जाती है और इस्लाम धर्म छोड़ देती है, तो उसे मारो। उसे इस्लाम में लौटने के लिए मजबूर करो। और अगर वह फिर भी ऐसा नहीं करती है, तो तलाक़ ही एकमात्र विकल्प है।
रिपोर्टर : आप कह रहे हैं न! अगर वह अपने मज़हब पर नहीं क़ायम रहती है और हिन्दू धर्म पर चली जाती है; इस्लाम पर नहीं रहती है…।
मुक़ीम : हाँ।
रिपोर्टर : लडक़ा पहले उसे समझाये, फिर तमाचा मारे?
मुक़ीम : हाँ।
रिपोर्टर : अगर तमाचा मारे, तो वह थाने में इल्जाम लगा सकती है।
मुक़ीम : हाँ।
रिपोर्टर : …कि मेरे साथ मार-पीट की है। डोमेस्टिक वायलेंस हुआ है।
मुक़ीम : तमाचा? …नहीं उसमें यह एहतियात है। समझाएँगे, तब कि तमाचा ऐसा मारना कि चूड़ी टूट के हाथ में ख़ून न निकले। या गाल पर न मारकर मुँह चाप जाए। या घूँसा न मारकर कि हड्डी टूट जाए। समझाएँगे कि तमाचा मरने से मतलब यह है कि हल्का-फुल्का मारना। उसे मारना, ऐसा मारना कि ख़ून न निकले। हड्डी न टूटे। निशान न पड़े। तुम्हारी शिकायतें करे, तो कोई निशान न दिखा सके।
रिपोर्टर : सुबूत न हो कोई?
मुक़ीम : सुबूत न हो कोई। हाँ ऐसा मत मारना। और फिर समझाएँ नहीं मान रही, हल्का-फुल्का मार दिया। शरिया अदालत जहाँ कलमा पढ़ाया गया है, वहाँ लेकर जाएँ। जी, मैंने निकाह किया। मुसलमान थी। अब यह नहीं मान रही। अब यह हिन्दू बने जा रही है। अब मुझे क्या करना है? तो वो समझाएँगे अपने तरीक़ै से। बात करेंगे उससे। वो मान जाती है, तो ठीक है। नहीं मानती, तो वो फिर अलग कर देंगे।
रिपोर्टर : तलाक़ हो जाएगा?
मुक़ीम : तलाक़ हो जाएगा।
रिपोर्टर : अगर लडक़ा-लडक़ी तलाक़ के लिए तैयार नहीं हुए?
मुक़ीम : वो तलाक़ हो जाएगा।
दरअसल ‘तहलका’ पत्रकार ने मौलाना मुक़ीम से मुलाक़ात पर अपने एक काल्पनिक भतीजे के अंतर्धार्मिक विवाह को लेकर सवाल किये। इस पर मौलाना मुक़ीम ने रिपोर्टर को नसीहत दी कि पहले हिन्दू लडक़ी को इस्लाम में धर्मांतरित करवाओ; अन्यथा उनकी शादी नाजायज़ मानी जाएगी।
मुक़ीम : बिलकुल साफ़ मना कर दिया। मुसलमान बच्चे का निकाह हिन्दू बच्चे से नहीं हो सकता। बिलकुल नहीं हो सकता। यह है कि लडक़ी दीन-ईमान में आये पहले।
मौलाना मुक़ीम ने ‘तहलका’ पत्रकार को हिन्दू लडक़ी को शादी के लिए इस्लाम में बदलने की तरकीब बतायी।
मुक़ीम : अच्छा यह तो जो हो गया, उसूल की बात है। दूसरी एक बात वो है, जो बहुत मुश्किल से मिलती है। तावीज़ के ज़रिये से। एक दुआ, झाड़ कुछ चीज़ करके उसे खिला दिया जाए।
रिपोर्टर : लडक़ी को?
मुक़ीम : हाँ; लडक़ी को। वो उधर माइल हो जाए।
रिपोर्टर : माइल हो जाए, मतलब?
मुक़ीम : उसकी तरफ़ झुक जाए। लडक़े की तरफ़।
रिपोर्टर : मतलब मुसलमान हो जाए?
मुक़ीम : हाँ।
मौलाना मुक़ीम ने हमें बताया कि वह हिन्दू लडक़ी को मेरठ में रहने वाले इस्लामिक स्कॉलर कलीम सिद्दीक़ी के पास धर्मांतरण के लिए भेजेगा। मुक़ीम के मुताबिक, कलीम सिद्दीक़ी के पास सरकार से लोगों का धर्मांतरण कराने की इजाज़त है। मुक़ीम ने कहा कि उन्हें लोगों के धर्मांतरण की अनुमति नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर कोई हिन्दू लडक़ी उसके पास धर्मांतरण के लिए आती है, तो वह उसकी अर्ज़ी नहीं मान सकता। और अगर उसने ऐसा करने की कोशिश की, तो उसे गिरफ़्तार कर लिया जाएगा।
यह पाठकों को याद दिलाने के लिए है कि इस्लामिक विद्वान मौलाना कलीम सिद्दीक़ी, जिनके बारे में मौलाना मुक़ीम धर्मांतरण के लिए बात कर रहे थे; को उत्तर प्रदेश आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) ने मेरठ से कथित रूप से सबसे बड़ा धर्मांतरण सिंडिकेट चलाने के आरोप में गिरफ़्तार किया था। ख़बर लिखे जाने तक वह जेल में बन्द था।
रिपोर्टर : लडक़ी को अगर हम आपके पास लेकर आएँगे, तो आप करवा देंगे लडक़ी को इस्लाम क़ुबूल?
मुक़ीम : मैं भेजूँगा मेरठ। मेरठ में फुलत में हमारे उस्ताद के उस्ताद हैं- कलीम सिद्दीक़ी साहब। जिनको सरकार से ऐसी परमीशन हासिल है। अगर कोई कलमा पढ़ सकता है, तो आप उसे पढ़ाएँ। उनको यह अनुमति है, सरकार से। यहाँ कोई लडक़ी मेरे पास आती है। मुझे अनुमति नहीं है। मुझे पुलिस वाले पकड़ लेंगे कि क्यों कलमा पढ़ा आपने। उनके पास अनुमति है।
रिपोर्टर : कलीम सिद्दीक़ी के पास?
मुक़ीम : कलीम सिद्दीक़ी साहब।
रिपोर्टर : मेरठ में कहाँ रहते हैं?
मुक़ीम : वह फुलत में रहते हैं?
मौलाना मुक़ीम ने अब बताया कि कैसे लव-जिहाद क़ानून की शुरुआत ने उत्तर प्रदेश में परिदृश्य को बदल दिया था।
मुक़ीम : अब यह भाजपा सरकार न हो। यह क़ानून पास करवा लेंगे। क़ानून पास हो गया, लव-जिहाद का…।
रिपोर्टर : ऑर्डिनेंस (अध्यादेश) लाये हैं यह।
मुक़ीम : अगर यह न पास हुआ होता, तो ये ही कलमा, यहीं पढ़वा देता। पकड़ो निकाह हुआ भाई। मैं ये कहता हूँ कि कलमा पढ़वाया है, निकाह पढ़वाया है। कोई दिक़्क़त नहीं, कुछ नहीं।
रिपोर्टर : आप ही करवा देते?
मुक़ीम : हाँ।
मौलाना मुक़ीम से पहली मुलाक़ात एक मस्जिद में हुई थी, जहाँ वह इमाम के तौर पर काम कर रहे थे। महीनों के बाद हम मौलाना मुक़ीम से फिर मिले, इस बार उनके नये कार्यस्थल पर, जो शहर के दूसरे इलाक़ै में स्थित है। दूसरी मुलाक़ात में मौलाना मुक़ीम ने हमें क़ानून की आँखों में धूल झोंककर एक हिन्दू लडक़ी से शादी करने के दो तरीक़ै बताये। उन्होंने कहा कि वह दोनों विकल्पों के लिए खुले हैं।
रिपोर्टर : कोर्ट मैरिज अपने-अपने मज़हब पर होगी?
मुक़ीम : हाँ।
रिपोर्टर : भाँजा हमारा मुस्लिम रहेगा, लडक़ी हिन्दू रहेगी?
मुक़ीम : अपने-अपने मज़हब पर।
रिपोर्टर : लेकिन आप तो कह रहे हो, वो शादी इस्लाम में जायज़ नहीं है?
मुक़ीम : कोर्ट में होने का मतलब सरकार की तरफ़ से सर्टिफिकेट है। लेकिन आपस में साथ रह सकते हैं। उधर से हमें सर्टिफिकेट मिल जाएगा। इधर हम उनका फ़ौरन निकाह करवा देंगे।
रिपोर्टर : उधर सर्टिफिकेट मिलेगा…।
मुक़ीम : इधर हम फ़ौरन निकाह करवा देंगे।
रिपोर्टर : निकाह और कन्वर्जन तो आप ही करवाएँगे?
मुक़ीम : हाँ।
रिपोर्टर : आप ही करवाएँगे?
मुक़ीम : हाँ।
मुक़ीम ने अब हमें दूसरा विकल्प दिया, जिसके तहत वह ख़ुद चुनिंदा लोगों की मौज़ूदगी में अज्ञात स्थान पर हिन्दू लडक़ी को चुपके से इस्लाम में परिवर्तित कर देंगे और निकाह कराएँगे।
मुक़ीम : ऐसे हो सकता है कि लडक़ा-लडक़ी एक जगह जमा हों, कहीं भी। वहाँ मैं पहुँच जाऊँ। वो मेरे पास आ गये लडक़ा-लडक़ी या मैं उनके पास चला जाऊँगा। फिर मैं उनके अपने हाथ पर हराब भरके उनको कन्वर्ट करवा दूँगा। जो इस्लाम के क़ानून हैं, फ़र्ज़ हैं, वो उनको बता दूँगा। क़ुबूल करवा दूँगा। और फिर वहीं निकाह पढ़वा दूँगा। और मैं जो लिखकर सर्टिफिकेट दूँगा, …मैंने तुम्हें कन्वर्ट (धर्मांतरित) कर लिया है और निकाह पढ़वा दिया। फिर जो है मेरी पकड़ है। तुमने कैसे पढ़ा निकाह इनका? तुमने कैसे सर्टिफिकेट दिया इसको?
रिपोर्टर : नहीं, ये आप दोनों तरीक़ै पर तैयार हैं?
मुक़ीम : हाँ।
मौलाना मुक़ीम ने अब हमें बताया कि एक मुस्लिम मौलवी धर्मांतरण और निकाह के लिए कितना शुल्क लेता है? वह उन्हें ‘वर्दी वाला’ कहते हैं।
मुक़ीम : जो वर्दी वाले होते हैं।
रिपोर्टर : जी?
मुक़ीम : जो वर्दी वाले होते हैं। जो दो नंबर कह लीजिए …11,000, कोई 21,000, 30,000 वो माँगते हैं।
रिपोर्टर : ये वर्दी वाले…? पुलिस वाले?
मुक़ीम : नहीं, नहीं। हमारी नीयत ख़राब हो जाती है भाई! काम तो कर देंगे। काम तो हो जाएगा। ख़र्चा इतना आएगा।
रिपोर्टर : आपको कितना नज़र कर दिया जाए?
मुक़ीम : वो आपकी मर्ज़ी है। मेरा कुछ नहीं है।
रिपोर्टर : फिर भी एक थोड़ा-सा आइडिया, अंदाज़ा?
मुक़ीम : कुछ नहीं।
रिपोर्टर : 10,000, …15,000?
मुक़ीम : कुछ नहीं। जो भी आप चाहते हैं।
इसके बाद हम मौलाना अल्ताफ़-उर-रहमान से मिलते हैं, जो उत्तर प्रदेश के दूसरे शहर में मस्जिद और मदरसा चलाते हैं। वह कहते हैं- ‘मेरा मुख्य काम धर्मांतरण है। मैं लोगों को इस्लाम में परिवर्तित करता हूँ। इसी काम से मेरी रोज़ी-रोटी चलती है और मदरसा भी चलता है। उत्तर प्रदेश में लव-जिहाद क़ानून के कारण मैंने अपना धर्मांतरण कार्य फ़िलहाल के लिए स्थगित कर दिया है। मैंने प्रत्येक धर्मांतरण और निकाह से 35 से 40 हज़ार रुपये कमाये। मैं धर्मांतरण और निकाह के लिए पूरे भारत में घूम रहा हूँ। मैं न केवल हिन्दुओं का इस्लाम में धर्मांतरण कर रहा हूँ, बल्कि ईसाइयों और यहूदियों को भी इस्लाम में परिवर्तित कर रहा हूँ। हाल ही में मैंने बेंगलूरु में ईसाई को इस्लाम में परिवर्तित किया। इसके ज़रिये मैंने एक लाख रुपये कमाये। अब तक मैंने 300 धर्मांतरण किये हैं।
दरअसल हमने मुक़ीम से मिलने के बाद उसी काल्पनिक सौदे के साथ रहमान से सम्पर्क किया कि हमारे मुस्लिम भतीजे को एक हिन्दू लडक़ी से प्यार हो गया है और वह उससे शादी करना चाहता है। और इसके लिए हमें उनकी सलाह की ज़रूरत है। मौलाना अल्ताफ़-उर-रहमान ने खुले तौर पर क़ुबूल किया कि वह पूरे भारत में धर्मांतरण करता है, और अंतर्धार्मिक जोड़ों का निकाह भी करता है। हमारे केस के लिए उन्होंने कहा कि लव-जिहाद क़ानून के चलते उनके वकील ने उन्हें धर्मांतरण और निकाह सर्टिफिकेट के रूप में कोई सुबूत नहीं देने की सलाह दी है। उन्होंने यह भी कहा कि हिन्दू लडक़ी को इस्लाम में परिवर्तित किये बिना निकाह सम्भव नहीं है।
अल्ताफ़ : दूसरे मज़हब में निकाह नहीं होता है। इसलिए हम सबसे पहले दूसरे मज़हब वालों को इस्लाम मज़हब में लाने का सिस्टम है एक। एप्लिकेशन लगाना। कलमा पढ़ाना।
रिपोर्टर : क्या करा करके?
अल्ताफ़ : कलमा पड़ते हैं। समझौता बिना किसी की बुराई के। उसके बाद हम उसे देते हैं सर्टिफिकेट।
रिपोर्टर : धर्मांतरण का?
अल्ताफ़ : हाँ, धर्मांतरण का।
रिपोर्टर : निकाह भी करवा देते हैं?
अल्ताफ़ : निकाह भी करवा देते हैं। कोर्ट में भी करवा देते हैं। तीनों काम करवा देते हैं।
रिपोर्टर : तो यह अभी तक करवा रहे थे?
अल्ताफ़ : अभी तक करवा रहा था मैं। क्योंकि यह क़ानून निकल गया है। क़ानून तक जाने से पहले हमारे साथ कोई बदतमीज़ी हो जाए। है-हुल्लड़ मच जाए। उस बात के लिए हमें वकील साहब ने मना कर दिया है। अब निकाह भी पढ़ते हैं, तो बस बिना काग़ज़ के।
अब अल्ताफ़ ने ‘तहलका’ को बताया कि इस्लाम क़ुबूल कर मुस्लिम लडक़े से शादी करने के बाद अगर लडक़ी इस्लाम से नफ़रत करने लगे, तो उसकी सज़ा मौत है। उसका सिर क़लम कर देना चाहिए।
अल्ताफ़ : इस्लाम क़ुबूल करने के बाद अगर नफ़रत के साथ कह दे, ये दीन मुझे पसन्द नहीं है; तो उसकी सज़ा है- गर्दन उड़ा दी जाए।
रिपोर्टर : कौन काटेगा गर्दन?
अल्ताफ़ : इस्लामी, इस्लामी या उसकी अदालत।
रिपोर्टर : शौहर?
अल्ताफ़ : शौहर नहीं। अगर शौहर करेगा, तो मुल्ज़िम हो जाएगा न वो तो। हिन्दुस्तान के क़ानून से भी और शरीयत से भी। सज़ा-ए-मौत जो है, वो देने का अख़्तरियार वो क़ाज़ी को है।
रिपोर्टर : आप भी तो क़ाज़ी हैं?
अल्ताफ़ : नहीं, …मैं तो रजिस्टर्ड हूँ ना! यहाँ देखिए, हम इस्लामिक मुल्क में नहीं हैं। अगर हम इस्लामिक मुल्क में होते, तो हमारा फ़ैसला चलता।
अल्ताफ़ एक हिन्दू लडक़ी की काउंसलिंग करने के लिए तैयार हो गया, ताकि वह मुस्लिम लडक़े से शादी करने से पहले इस्लाम क़ुबूल कर ले। इस उदाहरण में भी हमारा (‘तहलका’ रिपोर्टर का) एक काल्पनिक भतीजा एक हिन्दू लडक़ी से शादी करना चाहता है; ऐसा ही कहा गया। अल्ताफ़ ने कहा कि वह लडक़ी के लिए कुछ तावीज़ का इस्तेमाल करेगा, ताकि वह इस्लाम धर्म को पसन्द करने लगे और अपनी मर्ज़ी से इस्लाम क़ुबूल करे।
रिपोर्टर : हाँ, तो उस लडक़ी को मैं आपके पास पहले भेज देता हूँ। ऐसा हो जाए कि पूरी तरीक़ै से इस्लाम में आ जाए। आप जहाँ ऐसा कर दें।
अल्ताफ़ : बात करते हैं।
रिपोर्टर : हो जाएगा सर! जहाँ ऐसा?
अल्ताफ़ : मुझे पूरी उम्मीद है अल्लाह पर। कुछ पढक़र भी खिला देंगे, मीठे में। पर उस में लडक़ी को लडक़ी की माँ का नाम याद होना ज़रूरी है। चारों का नाम रहेगा न, तो कुछ रूहों का भी असर रहता है। हम सबके साथ करते हैं। बड़े-बड़े तिलकधारी आते हैं मेरे पास।
अल्ताफ़ ने उत्तर प्रदेश के लव जिहाद क़ानून को चुनौती दी और ‘तहलका’ रिपोर्टर से कहा कि आप (सरकार) कितने भी क़ानून बना लो, कोई काम नहीं रुकेगा।
रिपोर्टर : यह जो लव जिहाद क़ानून बन गया उत्तर प्रदेश में, तो अब इसकी वजह से आगे भी नहीं हो पाएगा?
अल्ताफ़ : काम सारे होने हैं। काम सारे होने हैं; चाहे कितने ही क़ानून बना दो।
अल्ताफ़ ने कहा कि लव जिहाद क़ानून के कारण वह हमें हमारे भतीजे की अंतर्धार्मिक शादी के पिछली तारीख़ के काग़ज़ात दे देंगे।
अल्ताफ़ : इस वक़्त जो है, लोहा गरम है। लोहा जब गरम हो, चोट का असर जल्दी होता है। जब लोहा ठंडा हो जाता है न, तो चोट का असर उतना नहीं होता। इस वक़्त उसे टालने में फ़ायदा है। बाक़ी मैं काम कर दूँगा आपका। जितना बैक डेट में हम आपको काग़ज़ देंगे, उतना आप कोर्ट में इस्तेमाल करेंगे। उतना आपको फ़ायदा रहेगा।
रिपोर्टर : अच्छा, तो बैक डेट के काग़ज़ मिल जाएँगे?
अल्ताफ़ : हाँ।
रिपोर्टर : धर्मांतरण और निकाह दोनों का?
अल्ताफ़ : हाँ, धर्मांतरण और निकाह दोनों का।
अल्ताफ़ ने क़ुबूल किया कि धर्मांतरण कराना और निकाह कराना उसके व्यवसाय के मुख्य भाग हैं, जिसके माध्यम से वह अपने परिवार का पालन-पोषण करता रहा है और अपना मदरसा भी चलाता रहा है। उसने स्वीकार किया कि वह अब तक भारत में 300 लोगों का धर्मांतरण करा चुका है।
अल्ताफ़ : बहरहाल मैं कन्वर्जन (धर्मांतरण) भी कराता हूँ। मैं निकाह भी पढ़ता हूँ। घर-घर तक हिन्दुस्तान के हर सूबे में जाता हूँ।
रिपोर्टर : तो आप कन्वर्जन हिन्दू लडक़ों का भी करते हैं या लड़कियों का ही?
अल्ताफ़ : सबका करते हैं।
रिपोर्टर : जो भी आ जाए?
अल्ताफ़ : जो भी आता है, चाहे इसाई हो, यहूदी हो, ईरानी हो। अभी मैंने एक ईसाई का किया है, बेंगलूरु में। उसने कम-से-कम मेरे ऊपर एक लाख रुपये ख़र्च किया है।
रिपोर्टर : तो अपने कितने धर्मांतरण करवा दिये होंगे अभी तक?
अल्ताफ़ : 300 से ज़्यादा।
अल्ताफ़ ने कहा कि उत्तर प्रदेश में उस लव जिहाद क़ानून के कारण उन्होंने लोगों को धर्म बदलने के अपने काम को अस्थायी रूप से बन्द कर दिया है।
रिपोर्टर : तो कन्वर्जन किस टाइप (तरह) का कराते हैं?
अल्ताफ़ : मुसलमान बनाता हूँ।
रिपोर्टर : अच्छा! हिन्दू से?
अल्ताफ़ : अभी लव-जिहाद का चक्कर चल रहा है अभी, इसलिए थोड़ा-सा रुक गया हूँ अभी। मेरा काम वही है। उसी से मैं अपना घर भी चलाता हूँ; मदरसा भी।
यह बात भी सामने आयी कि अल्ताफ़ को अपने मदरसे के लिए दक्षिण अफ्रीका और दुबई से काला धन लेने में कोई दिक़्क़त नहीं है।
रिपोर्टर : मेरी एक बात समझ लीजिए। वो बैंक के थ्रू (ज़रिये) नहीं देना चाह रहा है।
अल्ताफ़ : कोई बात नहीं।
रिपोर्टर : उनका वो लीगल मनी (वैध मुद्रा) नहीं है।
अल्ताफ़ : ठीक है।
रिपोर्टर : जैसे वो ब्लैक मनी होता है न! उस टाइप का है। तो वो बैंक के थ्रू देना नहीं चाह रहे हैं। वो देना इंडिया में, रहते वो साउथ अफ्रीका में हैं।
अल्ताफ़ : इंडिया में देना चाह रहे हैं न?
रिपोर्टर : और एक दुबई में, तो उस पैसे को आप विदेशी मुल्क से हिन्दुस्तान मैं कैसे लाओगे?
अल्ताफ़ : हम जाकर आएँगे न! हम कोई रास्ता निकालेंगे।
रिपोर्टर : आप ऐसे कोई पैसा थोड़े ही लाएँगे; हवाई जहाज़ में। पकड़े जाओगे कस्टम में पकड़े जाओगे।
अल्ताफ़ : कितना पैसा देंगे?
रिपोर्टर : इंडिया के हिसाब से होगा 10-20 लाख रुपये।
अल्ताफ़ : कुछ नहीं होता, 10-20 लाख रुपये। आप क्या समझ रहे हो? करोड़ रुपये भी देगा, तो हम लेकर आएँगे।
रिपोर्टर : तो आप कैसे लाओगे, तरीक़ै तो बता दो?
अल्ताफ़ : उसका तरीक़ा तो साथ-की-साथ बताएगा। …जो हमारे आदमी हैं, वो उनसे मशविरा लेंगे। …देखिए बिजनेस है उनका। इमरान है थाईलैंड में, उसका वो लडक़ी लेकर आया निकाह पढ़ा मैंने। वो पूरी दुनिया में जाता है, बिजनेस करने जींस-पैंट्स का। वो ऐसा ताना-बाना बुनेगा। अपना बिजनेस दिखाकर लेकर आएगा।
धर्मांतरण पर ‘तहलका’ के सच की जाँच पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान डॉ. मौलाना मक़सूद-उल-हसन क़ासमी ने इस्लाम में शादी के लिए धर्मांतरण को अवैध बताया। उनके अनुसार, इस्लाम शादी के लिए धर्मांतरण का समर्थन नहीं करता है। उन्होंने कहा कि अगर कोई अपनी मर्ज़ी से बिना किसी जबरदस्ती के अपनी शादी से पहले इस्लाम में परिवर्तित हो गया है, तो यह इस्लाम में क़ानूनी है। लेकिन अगर कोई सिर्फ़ शादी के लिए धर्मांतरित हो रहा है और वह भी शादी से कुछ दिन पहले, तो ऐसा कृत्य ग़ैर-इस्लामी और देश के क़ानून के ख़िलाफ़ है। ‘तहलका’ की जाँच के दौरान मुक़ीम और अल्ताफ़ ने जो कहा, उस पर प्रतिक्रिया देते हुए मौलाना मक़सूद ने कहा- ‘ऐसे लोग पागल होते हैं। उन्हें इस्लाम का कोई ज्ञान नहीं है। और ये ख़ुद को मौलवी कहते हैं।’
एक अन्य प्रसिद्ध इस्लामिक विद्वान ख़ालिद सलीम ने ‘तहलका’ के ख़ुलासे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा- ‘ऐसे लोग, जो इस्लाम में धर्मांतरण से इनकार करने वाली महिलाओं को मारने की बात करते हैं और इस्लाम को नापसन्द करने पर उनके सिर को काटने की बात करते हैं, तो उन्हें तुरन्त जेल भेज देना चाहिए। वे न केवल ग़ैर-इस्लामी हैं, बल्कि देश-विरोधी भी हैं। इस्लाम शान्ति का धर्म है। यह किसी भी रूप में हिंसा का समर्थन नहीं करता है।