किसी समय आतंकी रहे और बाद में सेना में शामिल हुए लांस नायक नज़ीर अहमद वानी को देश के लिए सर्वोच्च वलिदान देने के लिए भारत के सर्वोच्च वीरता सम्मान अशोक चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया जाएगा। वानी २३ नवंबर, २०१८ को शोपियां में छह आतंकियों से मुकाबला करते हुए शहीद हो गए थे।
जम्मू-कश्मीर की कुलगाम तहसील के अश्मूजी गांव के रहने वाले नज़ीर एक समय आतंकवादी थे। हालांकि जब उन्हें बन्दूक उठाने के अपने फैसले से गलती का अहसास हुआ तो उन्होंने आतंकवाद की राह छोड़ सेना में भर्ती होने का फैसला किया।
२३ नवंबर, २०१८ को जब वानी ३४ राष्ट्रीय रायफल्स के अपने साथियों के साथ मोर्चे पर थे, तब शोपियां के बटागुंड गांव में हिज्बुल और लश्कर के छह आतंकी होने की सूचना मिली जिनके पास भारी तादाद में हथियार थे। वानी और उनकी टीम को आतंकियों के भागने का रास्ता रोकने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई।
वानी ने मुठभेड़ के दौरान दो आतंकियों को मारने और अपने घायल साथी को बचाते हुए सबसे बड़ा बलिदान दिया। खतरा देखते हुए आतंकियों ने तेज गोलीबारी शुरू कर दी और ग्रेनेड भी फेंकने लगे। ऐसे अकुलाहट भरे वक्त में वानी ने एक आतंकी को करीब से गोली मारकर खत्म कर दिया।
वानी और उनके साथियों ने सभी छह आतंकियों को मार गिराया था। इनमें से दो को वानी ने खुद मारा था। एनकाउंटर में वह बुरी तरह ज़ख्मी हो गए थे और अस्पताल में इलाज के दौरान वे वीरगति को प्राप्त हुए। वह अपने पीछे पत्नी और दो बच्चे छोड़ गए हैं।