आतंकी मुठभेड़ में शहीद भारतीय सेना अधिकारी दीपक नैनवाल की पत्नी ज्योति नैनवाल बनीं लेफ्टिनेंट
वैसे तो देश के शहीदों के और उनके परिवार वालों के त्याग और बलिदान की गाथाएँ हम हर साल 26 जनवरी और 15 अगस्त या शहीदी दिवस पर कहते-सुनते हैं। लेकिन इन गाथाओं में कुछ अमर गाथाएँ भी होती हैं।
जिनके घर के चिराग सीमा पर शहीद होते हैं, उनके घर के की दु:खभरी कहानी शहीदों के परिवार वालों से बेहतर कौन समझ सकता है। लेकिन अगर जवान औरत बेवा हो जाए और उसके कन्धों पर नन्हें-नन्हें बच्चो का बोझ हो, बुजुर्ग माँ-बाप, शादी लायक ननद हो, तो उस महिला पर क्या बीतती होगी, यह कोई बयाँ नहीं कर सकता। लेकिन ऐसी नारी अगर शहीद पति के नाम पर रोना छोडक़र पति के नक़्शेक़दम पर चलना शुरू करके पति की तरह देश की सेवा करने का मन बना ले और उस मकाम तक पहुँचकर दिखाए, तो यह फ़ख़्र की बात होती है। ऐसा ही कुछ भारतीय सेना में अधिकारी शहीद दीपक नैनवाल की पत्नी ज्योति नैनवाल ने कर दिखाया है। पति की शहादत के बाद ख़ुद को एक बेवा के रूप में देश के सामने पेश करने के बजाय उन्होंने लेफ्टिनेंट की वर्दी पहनकर देश की नारी शक्ति के सामने एक मिसाल पेश की है।
गौरतलब हो कि सन् 2018 में जम्मू और कश्मीर में ऑपरेशन रक्षक के दौरान 11 अप्रैल, 2018 को आतंकवादियों से हुई मुठभेड़ में सेना के अधिकारी दीपक नैनवाल बुरी तरह जख़्मी हो गये और इसके सवा महीने बाद उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। शहीद अधिकारी दीपक नैनवाल की पत्नी पत्नी ज्योति नैनवाल ने ख़ुद से वादा किया कि वह अपने पति को अश्रुपूर्ण नहीं, बल्कि गौरवपूर्ण श्रद्धांजलि देंगी। और तीन साल बाद 20 नवंबर, 2021 को ज्योति नैनवाल ने अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी (चेन्नई) से एक अधिकारी के रूप में स्नातक करके अपने उस वादे को पूरा भी किया।
दीपक के शहादत के समय ज्योति सिर्फ़ एक गृहिणी थीं। लेकिन उनकी माँ की एक सलाह से उनकी ज़िन्दगी में अचानक एक नया मोड़ आया। ज्योति की माँ ने कहा- ‘तुम्हारा जीवन अबसे तुम्हारे बच्चों के लिए एक उपहार होना चाहिए। वे तुम्हारा अनुकरण करेंगे। यह तुम पर निर्भर करता है कि तुम अपने जीवन को कैसे जीना चाहती हो।’
उस समय ज्योति इस बात से बिल्कुल अनजान थीं कि सेना में उनके पति की जगह भर्ती होने की क्या प्रक्रिया है? लेकिन सेना में शामिल होने की ज्योति की उत्सुकता की बात जब दीपक नैनवाल की महार रेजीमेंट के ब्रिगेडियर चीमा और कर्नल एम.पी. सिंह को पता चली, तो उन्होंने ज्योति के गुरु की भूमिका निभायी। और आज ज्योति एक लेफ्टिनेंट के रूप में हैं। जब भारतीय सेना के नायक दीपक नैनवाल शहीद हुए थे, तो उनके परिवार समेत पूरे देश ने उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित की। लेकिन उन्हें जो सच्ची श्रद्धांजलि उनकी पत्नी ने भारतीय सेना में शामिल होकर दी है, वह अनमोल है।
पास आउट समारोह में ज्योति अपने दोनों बच्चों के साथ सेना की वर्दी में नज़र आयीं। इस अवसर पर कई लोगों की आँखें ख़ुशी से छलछला उठीं। क्योंकि ज्योति ने न केवल पति का, वरन् पूरे देश का मान बढ़ाया है। उनके अधिकारी बनने को समय का एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफ़ी वायरल हुंआ, जिसमें ज्योति नैनवाल कहते हुए नज़र आ रही हैं कि पति दीपक ने उन्हें यह ख़ास तोहफ़ा ज़िन्दगी भर के लिए दिया है, जिसे वह आगे बढ़ाएँगी। उन्होंने आगे कहा कि मैं अपने पति के रेजिमेंट को शुक्रिया अदा करती हूँ, जो हर क़दम पर मेरे साथ खड़े थे और मुझे एक बेटी की तरह प्यार और अपना समर्थन दिया। बहादुर महिलाओं के लिए मैं जन्म के लिए नहीं, बल्कि कर्म के लिए माँ बनना चाहती हूँ और मैं यहाँ जो कुछ भी ज़िन्दगी जिऊँगी, वो मेरे बच्चो के लिए होगी। दून पहुँची ज्योति का उनके हर्रावाला स्थित आवास पर ज़ोरदार स्वागत किया गया। सेना के बैंड की धुन पर हरिद्वार रोड स्थित शहीद द्वार से घर तक स्वागत यात्रा निकली गयी। सुबह से लेकर शाम तक उनके घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा रहा। घर के गेट पर सास पार्वती नैनवाल ने लेफ्टिनेंट बहू की आरती उतारी। इसके बाद लेफ्टिनेंट ज्योति, बेटी लावण्या और बेटे रेयांश ने शहीद दीपक नैनवाल के चित्र पर पुष्प चक्र अर्पित कर उन्हें सैल्यूट किया। इस दौरान बच्चों ने भी माँ की तरह सैन्य वर्दी पहनी थी। ससुराल के बाद ज्योति नथुवावाला स्थित मायके पहुँचीं। वहाँ भी उनका ज़ोरदार स्वागत हुआ।
अब ज्योति ओटीए चेन्नई में आयोजित पीओपी के बाद बतौर लेफ्टिनेंट सेना में शामिल हैं। सैन्य अ$फसर बनने के बाद वह अपने घर हर्रावाला पहुँचीं। वहाँ पर भी उनका ज़ोरदार स्वागत हुआ। सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी के साथ पूर्व मंत्री हीरा सिंह बिष्ट भी हर्रावाला पहुँचे। उन्होंने शहीद दीपक के चित्र पर पुष्पचक्र अर्पित किया। उन्होंने नैनवाल परिवार की सेना के प्रति समर्पण की भावना की सराहना की। इसके बाद सोशल बलूनी पब्लिक स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि लेफ्टिनेंट ज्योति नैनवाल ने कहा कि दृढ़ निश्चय, हौसले और मेहनत से लक्ष्य हासिल होता है। जीवन में कैसी भी परिस्थितियाँ हों, यदि कुछ कर गुजरने की चाहत हो, तो फिर मंज़िल तक पहुँचना मुश्किल नहीं होता।