आई सी एम आर, एम्स सहित तामाम स्वास्थ्य संगठनों ने कई बार चेतावनी के तौर लोगो को आगाह किया है, कि सोशल डिस्टेसिंग के अभाव में और धार्मिक आयोजनों, सामाजिक गतिविधियों के कारण खासकर न सिर्फ गांवों में भी कोरोना के मामलें ही बढ़े है, बल्कि मौतों भी काफी हो रही है। कोरोना की सही मायने में चेन तोड़ने के लिये सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा। तभी कोरोना को काबू पाया जा सकता है। अन्यथा कोरोना का कहर लोगों के जीवन को तबाह कर देगा।
डीएमए के पूर्व अध्यक्ष डाँ अनिल बंसल का कहना है कि कोरोना अब शहरों से गांव तक पहुंच गया है। शहरों की तुलना में गांवों की स्वास्थ्य सेवायें लाचार है। ऐसे में गांव तक स्वास्थ्य सेवायें कैसे मजबूत हो और लोगों को बेहत्तर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिल सकें। इस पर काम होना चाहिये।
आयुर्वेदाचार्य डाँ दिव्यांग देव गोस्वामी का कहना है कि समय रहते अगर गांवों में कोरोना को नियत्रंण नहीं किया गया तो, आने वाले दिनों में गांवों में कोरोना का कहर भयंकर रूप धारण कर लेगा। डाँ दिव्यांग का कहना है कि कोरोना का कहर थम नहीं रहा है।
अब ब्लैक फंगस का कहर लोगों के बीच डर, भय और प्रकोप के रूप में तेजी से ऊभरा है। जो काफी चिंता जनक है और घातक है। कोरोना के साथ अब ब्लैक फंगस को काबू नहीं किया गया तो बच्चें, युवा और बुजुर्गो को काफी नुकसान हो सकता है।
समय –समय पर स्वास्थ्य की जांच कराये और नियमित व्यायाम करें ताकि स्वास्थ्य को फिट रखा जा सकें। एम्स के डाँ आलोक कुमार का कहना है कि आंखों में सूजन और लालिमा को नजर अंदाज ना करें । नेत्र रोग विशेषज्ञों से परामर्श लें और उपचार करवायें ताकि ब्लैक फंगस जैसी बीमारी को रोका जा सकें।