लोकतांत्रिक जनता दल के नेता शरद यादव ने अचानक अपने पुराने साथी लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के साथ विलय कर बिखरे पड़े विपक्ष को साफ संदेश दिया है कि अब विपक्ष को एक करने का समय आ गया है।
शरद यादव का कहना है कि आगामी 2024 के लोकसभा के चुनाव में अगर भाजपा को चुनाव में हराना है तो विपक्ष दलों को आपसी सहमति से एकता के साथ चुनाव लड़ना होगा। अन्यथा मौजूदा समय में भाजपा को सत्ता से वे दखल करना मुश्किल होगा।
आपको बता दे, शरद यादव देश की राजनीति में अहम् भूमिका निभाते आये है। उनका राजनीतिक कैरियर ऐसा है जितनी उनकी विपक्ष में लोकप्रियता है उतनी ही उनका सत्ता पक्ष में रही है। शरद यादव के करीबी एक नेता ने बताया कि सियासत में कब कौन किस दल से विलय कर लें और कौन कब किससे अलग होकर अपना अलग से दल बना लें, ऐसा कुछ भी कहा नहीं जा सकता है।
शरद यादव ने 2018 में नीतीश कुमार से अलग होकर 2019 में मधेपुरा से सांसद का चुनाव लड़ा था। लेकिन चुनाव हार गये थे। तब से वे सक्रिय राजनीति में नहीं दिखें। लेकिन अब माना जा रहा है कि वे फिर से सक्रिय राजनीति कर विपक्ष को एकजुट करने में लगें।
जानकारों का कहना है कि शरद यादव सुलझे हुये नेता है और उनकी राजनीतिक क्षवि तेज तर्रार नेता की रही है। उनको पिछड़ो का नेता माना जाता है। शरद यादव ने पिछड़ों के अधिकारों की लड़ाई कई मोर्चे पर लड़ी है। ऐसे में शरद यादव के लालू यादव की पार्टी में विलय होने से राष्ट्रीय जनता दल को मजबूती मिलेगी। साथ ही बिहार के रास्ते उत्तर प्रदेश में सपा को भी मजबूती मिल सकती है। क्योंकि जिस अंदाज में उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणाम चौंकाने वाले आये है उससे तो लगता है कि कई बडे नेता एक दल से दूसरे दल जा सकते है।