अगर कोरोना का कहर बढ़ता गया तो, निश्चित तौर पर छोटे-बड़े होटलों के साथ मिठाईयों की दुकान चलाने वाले और ढ़ाबा चलाने वालों पर काफी विपरीत असर पड़ेगा साथ ही आर्थिक नुकसान भी होगा। दिल्ली में शनिवार और रविवार को हुये लॉकडाउन के दौरान सबसे ज्यादा असर मिठाईयों की दुकान चलाने वालों पर और ढ़ाबा चलाने वालों पर पड़ा है।
तहलका संवाददाता को मिठाई वालों ने और जो गली मुहल्लों में छोटे-छोटे रेस्टोरेंट (ढ़ाबा) चला रहे है। बताया कि, शनिवार–रविवार को पुलिस ने दुकानों की शटर खुलवाकर देखा है कि कोई काम–धंधा तो नहीं चल रहा है। इसके कारण काफी परेशानी हुई है। कई दुकान वालों के तो पुलिस ने चालान तक काटे है।
बताते चलें, दिल्ली में गली–गली में छात्रों के लिये और मध्यम वर्गीय लोगों के लिये रेस्टोरेंट (ढ़ाबा) खुले हुये है। जहां पर वे आकर भोजन भी करते है। रेस्टोरेंट चलाने वाले सुधीर गर्ग का कहना है कि 2020 से अब तक कोरोना के कहर के कारण लोगों के काम–धंधे बंद पड़े है।
जैसे–तैसे काम शुरू होता है कोरोना का कहर फिर से आ जाता है। ऐसे में सरकार व्यापारियों की परेशानी तो समझती ही नहीं है। बल्कि परेशान कर चालान और कटवा रही है। जिसके कारण व्यापारी सरकार की नीतियों से नाराज है।
लक्ष्मी नगर में ढ़ाबा चलाने वाले सुशील शर्मा ने बताया कि, उनके रेस्टोरेंट में 7 कारीगर है। जो खाना बनाते है और रेस्टोरेंट में ही रहते है। रविवार की शाम पुलिस ने आकर रेस्टोरेंट खुलवाया और कहा कि लाँकडाउन में काम कर रहे हो चालान कटेगा। लेकिन पुलिस को बताना पड़ा कि कारीगर यहीं रहते है। तब जाकर पुलिस ने चालान तो नहीं काटा लेकिन परेशान किया।
इसी तरह दिल्ली में तामाम दुकान दारों को परेशानी का सामना करना पड़ा है। दिल्ली में हजारों की संख्या होटल है । वहां पर भी तामाम तरह की पाबंदियों के लगने से होटल कारोबारियों में रोष है। उन्होंने दिल्ली सरकार से अपील की है कि होटल से जुड़े काम में कई घरों की रोजी-रोटी चल रही है। अगर होटल को बंद किया गया तो हजारों लोगों की रोजी –रोटी पर संकट आ जायेगा।