कहते है कि त्यौहारी सीजन में व्यापारी और आम लोग भी प्रसन्न होते है और बाजारों में रौनक-चमक दिखने लगती है। पर इस बार कोरोना काल के कारण त्यौहारों में ना तो रौनक दिखी और ना ही बाजारों में चमक। लोगों और व्यापारियों का कहना है कि मार्च में लाँकडाउन लगने कारण अप्रैल महीनें में नवरात्रि के दिनों में बाजारों और मंदिरों में सन्नाटा रहा है। जिसके कारण धंधा पूरी तरह से चौपट रहा है।
अब आने वाली नवरात्रि में सभी को उम्मीद है, कि सब कुछ ठीक होगा। तहलका संवाददाता को व्यापारियों ने बताया कि कोरोना का संकट तो विकट है । पर काम –काज भी तो करना है । ऐसे में व्यापारी कैसे अपने काम को विराम दे सकता है। गांधी नगर मार्केट के वायापारी जगत सिंघल ने बताया कि अब बाजारों में रौनक लौट रही है। लेकिन पैसा का अभाव देखा जा रहा है। वजह साफ है, कि कोरोना काल से अब तक और लाँकडाउन के दौरान जो लोगों की नौकरी छूटी और व्यापारियों का काम प्रभावित हुआ । पैसा का आदान –प्रदान कम हुआ है। इसके कारण पैसा बाजारों में कम ही देखा जा रहा है।
व्यापारी पंकज और आम लोग तरूण , भरत और आलोक का कहना है कि सरकार को कोरोना से बचाव के साथ –साथ व्यापारियों को खासकर लाल फीता शाही से आजादी मिलनी चाहिये ताकि वे अपना काम -काज और व्यापार कर सकें।क्योंकि जैसे –तैसे बाजार में ग्राहकों का आना शुरू हुआ है तो पुलिस का ठंडा तंग करता है कि सोशलडिस्टेंसिंग का पालन करों । दुकानदार पंकज का कहना है कि जब जगजाहिर की दिल्ली में व्यापारियों की दुकानें छोटी है और तंग गलियों में है ,तो ग्राहकों को कैसे आने-जाने से रोका जा सकता है। दिल्ली के व्यापारियों का कहना है नवरात्रि से लेकर दीपावली तक सरकार व्यापारियों को धंधा करने के लिये विशेष सुविधा दें। ताकि वे आत्म निर्भर की तरह अपना कोरोबार कर सकें। अन्यथा देश की अर्थव्यवस्था की तरह व्यापारियों की अर्थ व्यव्स्थाचौपट हो जायेगी।