छठ पूजा को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सही तो कहा था कि छठ पर्व को सार्वजनिक स्थल पर न मनाएँ और अपने घरों में छठ पूजा करें, ताकि कोरोना वायरस को फैलने से रोका जा सके। मुख्यमंत्री के बयान के सियासी मायने निकाले जाएँ, तो गलत है। कोरोना महामारी दिल्ली में फिर तेज़ी से फैल रही है। दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (डीडीएमए) ने भी कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए छठ पूजा की सार्वजनिक स्थलों आपत्ति जतायी थी। लेकिन दिल्ली भाजपा ने इसे पूरी तरह से सियासी तूल दे दिया कि केजरीवाल छठ पूजा के विरोध में हैं। दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल पहले रामलीला फिर दीवाली पर पटाखे जलाये जाने का विरोध कर चुके हैं और अब उन्होंने छठ पूजा के नाम पर पूर्वांचल और बिहारवासियों की आस्था और श्रद्धा के पर्व को रोकना चाहा, जिसका भाजपा ने डटकर विरोध किया और दिल्ली में रहने वाले सभी पूर्वांचल और बिहारवासियों ने सोशल डिस्टेंसिंग के साथ छठ पर्व को धूमधाम से मनाया है। छठ पूजा के नाम पर भाजपा और आप पार्टी के बीच जो भी सियासी खेल खेला गया है। उसके पीछे 2022 के दिल्ली नगर निगम चुनाव की रणनीति बनाने की चाल है।
दिल्ली में पूर्वांचल और बिहारवासियों का अच्छा-खासा वोट बैंक है। तहलका संवाददाता को पूर्वांचल और बिहारवासियों ने बताया कि छठ पूजा आस्था का पर्व है। इस पर किसी भी राजनीतिक दल को सियासत नहीं करनी चाहिए। लेकिन क्या करें? अब देश में आस्था और धर्म के नाम पर ही वोट बैंक की राजनीतिकी जान लगी है।
पूर्वांचल निवासी प्रत्युष सिंह का कहना है कि दीपावली के बाद बिहार और पूर्वांचल में छठ का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है; लेकिन इस बार कोरोना वायरस का सभी त्योहारों पर साया रहा है। ऐसे में हमें सावधानी तो बरतनी ही होगी, ताकि इस महामारी से बचा जा सके। उनका कहना है कि सियासत के हटकर देखा जाए तो मुख्यमंत्री केजरीवील ने ठीक ही कहा कि छठ की पूजा घर में ही करें, ताकि महामारी के मामले और न बढ़ें। बिहार निवासी सुदामा तिवारी का कहना है कि इस बार की छठ पूजा यादगार रही। क्योंकि कोरोना के डर सभी को सता रहा है। शासन-प्रशासन की पैनी नज़र रही है। इस बार अधिकतर लोगों ने अपने घरों में ही पूजा-अर्जना कर छठ का पर्व मनाया है। उनका कहना है कि यह तो जगज़ाहिर है कि कोरोना का कहर दिल्ली में ही नहीं, सारे देश में फिर से तेज़ी से फैल रहा है।
आम आदमी पार्टी के सीनियर नेता ने तहलका संवाददाता को बताया कि आगामी दिल्ली नगर निगम के चुनाव के पूर्व ही भाजपा को अपनी हार अभी से दिख रही है, सो उसके नेता अभी से पूर्वांचल और बिहारवासियों को साधने में लगे हैं। जबकि सच्चाई यह है कि आम आदमी पार्टी का उन्होंने 2020 के विधानसभा के चुनाव में खुलकर साथ दिया है और अब आगामी नगर निगम चुनाव में भी उनका समर्थन मिलेगा। यह भाजपा भी भली-भाँति जानती है, सो अब वह धर्म और आस्था के नाम पर ओछी राजनीति कर रही है। पिछले कई साल से आम आदमी पार्टी छठ पर्व पर बेहतर इंतज़ाम करती रही है। दिल्ली भाजपा के पूर्व अध्यक्ष व सांसद मनोज तिवारी का कहना है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल बाज़ारों, होटलों और सिनेमाघरों को खोलने की बात करते है। साप्ताहिक बाज़ारों में जमकर भीड़ है। शराब की दुकानों में सारे नियमों की धज्जियाँ उड़ायी जा रही हैं। इस पर मुख्यमंत्री को कोई ऐतराज नहीं है। लेकिन पूर्वांचल और बिहार के लोगों से न जाने क्या नफरत है कि वह उनके त्योहार पर रोक लगाना चाहते हैं। यह पूरी तरह से साज़िश का हिस्सा रहा है।
इस पर दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि कोरोना के कहर के चलते अभी स्कूलों और कॉलेजों को नहीं खोला जा रहा है। शादियों में भी 50 से ज़्यादा लोगों को जाने की इजाज़त नहीं है। इसलिए हमने छठ पर्व पर भी घरों में पूजा-अर्चना करने की बात की है।
पूर्वांचल मोर्चा के नवीन कुमार का कहना है कि सियासतदानों से ज़्यादा पूर्वांचल और बिहारवासी जानते हैंै कि मौज़ूदा समय में दिल्ली में कोरोना का संक्रमण फिर बढ़ गया है। सियासी लोग बे-वजह मामले को तूल दे रहे हैं। लोगों ने अपने परिवार के साथ घर पर अपने सुलभ तरीके से जल-निधि बनाकर उगते सूर्य को अघ्र्य देकर छठ पर्व मनाया है। उनका भी मानना है कि छठ पूजा घर में करने की सलाह पर कुछ लोगों द्वारा दिल्ली सरकार का विरोध करना भी सियासत का हिस्सा था।