फ्रांस से खरीदे गए रफाल लड़ाकू विमान को गुरूवार को एक शानदार कार्यक्रम में विधिवत भारतीय सेना में शामिल कर लिया गया। इसके लिए अंबाला वायुसैनिक अड्डे पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा फ़्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली के अलावा सीडीएस जनरल बिपिन रावत, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया सहित भारतीय वायुसेना और रक्षा मंत्रालय के कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
कार्यक्रम परंपरागत रूप से सर्वधर्म प्रार्थना से हुई। इस प्रार्थना सभा में पंडित, मौलवी, ग्रंथी और पादरी ने सामूहिक तौर पर रफाल के सफल भविष्य की प्रार्थना की। बता दें पांच राफेल विमानों की पहली खेप 27 जुलाई को फ्रांस से अंबाला के वायुसैनिक अड्डे पहुंची थी। ये रफाल विमान वायु सेना के 17वें स्क्वाड्रन ‘गोल्डन एरो’ का हिस्सा बन गए हैं।
रफाल के एयरफोर्स में इंडक्शन के लिए अंबाला एयरबेस को पूरी तरह सजाया गया है। उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों ने इस मौके पर रफाल और तेजस विमान के शानदार हवाई करतब देखे। इस शो की शुरूआत में पूरे स्क्वाड्रन ने कतार में खड़े होकर ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया। रफाल की अगवानी के लिए ‘वॉटर गन’ सलामी दी गयी। प्रार्थना सभा के बाद यूनिट के कमांडिंग अफसर को रफाल की प्रतीक चाबी दी गयी जिसके बाद स्मृति चिह्नों का आदान प्रदान किया गया।
लैंडिंग के वक्त रफाल को फायर टेंडर्स के ज़रिये जब ले जाया गया तब दोनों तरफ वॉटर कैनन से पानी की बौछार की गयी, जो देखते ही बनती थी। इसके साथ ही यह लाजबाव लड़ाकू विमान भारतीय वायु सेना में शामिल हो गया। लड़ाकू विमान की अगुवाई के लिए टैक्सी ट्रैक पर फायर टेंडर तैनात रहे। इंडक्शन फ्लायपास्ट के बाद आखिर में एक समारोह चल रहा है। स्क्वाड्रन ने इसकी जबरदस्त तैयारी की है।
रफाल के साथ जितने भी नए उपकरण और हथियार एयर फोर्स के बेड़े में शामिल हुए हैं, उन सभी की एक प्रदर्शनी भी आयोजित की गयी, जिसे सभी अतिथियों ने चाव से देखा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली कार्यक्रम में मौजूद रहे। उनके अलावा इसमें सीडीएस जनरल बिपिन रावत, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया, रक्षा सचिव अजय कुमार, रक्षा विभाग के सचिव और डीआरडीओ अध्यक्ष जी सतीश रेड्डी के अलावा रक्षा मंत्रालय और सशस्त्र बलों के कई वरिष्ठ अधिकारी भारतीय वायुसेना के इस अहम कार्यक्रम में उपस्थित हैं।
भारत और फ्रांस के बीच 36 लड़ाकू विमानों की खरीद के लिये 59,000 करोड़ रुपये की लागत से हुए समझौते के करीब चार साल बाद 29 जुलाई को पांच राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप भारत पहुंची थी। फ्रांसीसी विमानन कंपनी दसा एविएशन इन विमानों का निर्माण करता है। भारत को अब तक 10 राफेल विमानों की आपूर्ति हुई है।
याद रहे, रफाल की खरीद को लेकर काफी विवाद भी हुआ है। कांग्रेस सहित विपक्ष ने इसकी खरीद में कीमत और अनिल अंबानी को सौदे से जोड़ने के मोदी सरकार के फैसले पर ढेरों सवाल उठाए हैं। हालांकि इस लड़ाकू विमान की खासियतों की मुरीद कांग्रेस भी रही है। यह इस बात से जाहिर हो जाता है कि रफाल की खरीद का सौदा कांग्रेस की मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के समय ही हुआ था। याद रहे ऐसा ही विवाद राजीव गांधी के पीएम काल में बोफोर्स की खरीद के वक्त भी हुआ था। वैसे, बाद में कारगिल युद्ध में बोफोर्स तोप ने ही पासा पलटा था और भारत की जीत हुई थी।