भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) रविवार को वीरेंद्र शर्मा को 2018-19 सत्र में बोर्ड के घरेलू टूर्नामेंटों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए ‘सर्वश्रेष्ठ अंपायर पुरस्कार’ करेगा। उन्हें यह पुरूस्कार मुंबई के ताजमहल होटल में शाम 7 बजे आयोजित होने वाले बीसीसीआई वार्षिक पुरस्कार समारोह में प्रदान किया जाएगा।
वीरेंद्र शर्मा (48) अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट कौंसिल (आईसीसी) के पैनल में चयनित अंपायर हैं। उनके अलावा भारत से इस पैनल में शमसुद्दीन, अनिल चौधरी और नितिन मेयन भी हैं।
उन्हें 2019 में बीसीसीआई के डोमेस्टिक अंपायरों में पहली रैंकिंग मिली है। मूल रूप से हिमाचल के रहने वाले वीरेंद्र हिमाचल प्रदेश के लिए रणजी ट्राफी में ५० मैच खेल चुके हैं जबकि वे 2007 में हिमाचल की उस टीम के सदस्य थे जिसने रणजी ट्राफी नैशनल चैंपियनशिप (प्लेट) में जीत हासिल की। वे अपने समय में दिल्ली के नामी क्रिकेट क्लब सॉनेट क्लब के सदस्य रहे हैं और कोच तारा सिंह को अपना गुरु मानते हैं।
वे 2008 से लेकर आज तक प्रथम श्रेणी के ७५ मैचों में अम्पायरिंग कर चुके हैं। इसके अलावा उन्हें इसी जनवरी में श्रीलंका के खिलाफ टी-२० के दो मैचों में फोर्थ अम्पायर जबकि ९ जनवरी को पुणे के मैच में आन फील्ड अंपायर बनाया गया।
उन्हें भारत का दौरा करने वाली ऑस्ट्रेलिया टीम के साथ दो एक दिवसीय मैचों के लिए फोर्थ अम्पायर जबकि राजकोट क १७ जनवरी के मैच के लिए आन फील्ड अंपायर नियुक्त किया गया है। आईपीएल मैचों में भी उन्हें अंपायरिंग का ख़ासा अनुभव है।
अपनी सफलता का श्रेय वे अपने पिता लेफ्टिनेंट रूलिया राम शर्मा और माता शकुंतला देवी शर्मा को देते हैं। वे भारत सरकार के एक उपक्रम इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड में तैनात हैं। अपने खेल और अंपायरिंग को बढ़ावे के लिए वे अनुराग ठाकुर और अरुण धूमल और एचपीसीए के अन्य पदाधिकारियों का भी आभार मानते हैं।