विश्व एड्स दिवस के अवसर पर राजधानी दिल्ली में विभिन्न स्वास्थ्य संगठनों द्वारा एड्स जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। एम्स के मेडिसन विभाग के डाँ ए. कुमार का कहना है कि एड्स एक गंभीर बीमारी जरूर है। लेकिन इसका इलाज संभव है।
एड्स रोगी अगर समय पर इलाज के साथ परहेज करें तो वह सामान्य जीवन–यापन कर सकता है। एड्स संक्रमित रोग है। जो संक्रमित रक्त से होता है। एड्स रोगी के साथ यौन सबंध बनाने से एड्स रोग होने की संभावना ज्यादा रहती है।
इंडियन हार्ट फाउंडेशन के अध्यक्ष डाँ आर एन कालरा का कहना है कि एड्स को लेकर डरने की जरूरत नहीं है। बल्कि सावधान रहने की जरूरत है। एड्स रोगी से छुआछूत जैसा बर्ताव न करें। उन्होंने बताया कि एड्स रोग, एड्स रोगी से शारीरिक संबंध बनाने के साथ एड्स-संक्रमित रक्त चढ़ाने से भी होता है।
डीएमए के पूर्व अध्यक्ष डाँ अनिल बंसल का कहना है कि जागरूकता के अभाव में आज भी बच्चो में एड्स रोग के ज्यादा मामलें रहे है। वजह साफ है कि कई बार अस्पतालों में संक्रमित रक्त और एड्स की जांच न होने के कारण गर्भवती महिलायें भी एड्स रोग की चपेट में आ रही है।
डाँ बंसल का कहना है कि एड्स रोग की जांच गांव –गांव और शहरों –शहरों में होनी चाहिये। ताकि समय रहते एड्स रोगी का इलाज हो सकें।उनका कहना है कि एड्स रोग को लेकर तामाम स्वास्थ्य संगठन द्वारा जो भी सर्वे आ रहे है। वो चौकाने वाले है कि आज भी एड्स रोग के मामलों में इजाफा हो रहा है।