रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ और ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल के तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी पार्थो दासगुप्ता के बीच व्हाट्स ऐप पर साझा की गयी हालिया चैट ने कुछ टीवी चैनल्स की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिये हैं और सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। सार्वजनिक हो चुकी इस चैट से जहाँ टीवी चैनल की रेटिंग की साज़िश बेनकाब होती है, वहीं गोस्वामी की सरकार के साथ निकटता और बेहद संवेदनशील जानकारी उनको लीक करने के बात भी सामने आती है। सन् 2010 में इसी तरह राडिया टेप विवाद था, जिसने पत्रकारिता की निष्पक्षता पर काली छाया डाली थी और कॉरपोरेट घरानों, पत्रकारों तथा राजनेताओं के बीच साँठगाँठ का खुलासा हुआ था। और अब नवीनतम लीक, प्रस्तावित हवाई हमले की अत्यधिक गुप्त सैन्य सूचनाओं का उपयोग टीआरपी को बढ़ाने के लिए किये जाने की ओर इशारा करती है; जो विज्ञापनों के एक वृहद् राजस्व हिस्से को अपने पाले में करने के लिए है।
हालाँकि कथित लीक चैट्स पर बड़ा और गम्भीर सवाल यह है कि क्या गोस्वामी को फरवरी, 2019 के पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत की तरफ से पाकिस्तान के खिलाफ बालाकोट हवाई हमले करने की योजना की पूर्व जानकारी थी? जो कि दुनिया को हिला देने वाली खबर बन गयी थी। चैट में गोस्वामी ने कथित तौर पर हमला करने की सरकार की योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि लोगों को यह घटना ‘उन्माद’ से भर देगी। क्या यह लीक चैट राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में गम्भीर सवाल नहीं खड़े करती? यह चैट टीआरपी में हेराफेरी के आरोप वाली मुम्बई पुलिस की 500 से ज़्यादा पेज की चार्जशीट का हिस्सा है, जिसे मुम्बई पुलिस ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया है। यह चैट सोशल मीडिया पर यह काफी वायरल हो गयी है, जिसने एक तरह से विस्फोट किये हैं। अब महाराष्ट्र सरकार मामले में कार्रवाई कर रही है और उसने कानूनी राय माँगी है कि आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत क्या कार्रवाई की जा सकती है? महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने यह पूछते हुए केंद्र सरकार पर हमला किया है कि गोस्वामी की ऐसी संवेदनशील सूचनाओं तक पहुँच कैसे बनी? जो केवल कुछ चुनिंदा सरकारी लोगों को ही पता होती हैं।
लीक चैट्स से ज़ाहिर होता है कि 26 फरवरी, 2019 को पाकिस्तान के बालाकोट में जब भारतीय वायु सेना ने आतंकी संगठन जैश-ए-मोहमद के प्रशिक्षण शिविर को निशाना बनाया था, उस एयर स्ट्राइक की अर्नब को पहले से जानकारी थी। यह एयर स्ट्राइक भारत की तरफ से तब की गयी थी, जब देश में पाकिस्तान के खिलाफ गुस्से की लहर थी; जो पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद द्वारा 14 फरवरी को कश्मीर के पुलवामा में किये गये हमले में 40 सीआरपीएफ जवानों की शहादत के बाद पैदा हुई थी। अब तक न तो टीवी चैनल और न ही सरकार ने इन लीक चैट्स का खण्डन किया है, जिससे यही पता चलता है कि व्यवस्था कितनी सड़ चुकी है। ऐसी खबरें, जो दर्शकों को भावनात्मक रूप से उत्तेजित करती हैं, काफी दिनों तक चलती रहती हैं; क्योंकि चैनल्स दर्शकों के लिए एजेंडा सेट करते हैं। सुशांत सिंह राजपूत की मौत की खबर इसका एक बड़ा उदाहरण है। अनेक मौकों पर समाचार को एक प्रकार के मनोरंजन के रूप में पेश किया जाता है और कई दिनों तक उस पर बहस की जाती है। समय-समय पर मीडिया में कुछ कलंकित लोग हमें इसकी रुग्ण हालत की याद दिलाते हुए इसकी तेज़ी से गिरती हुई साख की तरफ इशारा करते हुए दिखते हैं। क्या यह गन्दगी कभी साफ होगी?