अफगानिस्तान की राजधानी काबुल एयरपोर्ट से 150 लोगों को तालिबानियों के अपने साथ ले जाने की खबर है। इनमें से ज्यादातर भारतीय बताये गए हैं। इन लोगों को कहाँ और क्यों ले जाय गया है, इसकी अभी जानकारी नहीं है। इस बीच अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे और उसके खिलाफ शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों के बीच 85 और भारतीयों को काबुल से स्वदेश लाया जा रहा है। भारतीय वायु सेना के सी-130जे विमान इन भारतीयों को लेकर काबुल से उड़ान भर चुका है। चार दिन पहले ही 150 के करीब भारतीयों, जिनमें दूतावास अधिकारी/कर्मचारी, आईटीबीपी के जवान, पत्रकार और अन्य लोग थे, को भारत लाया गया था। उधर अफगानिस्तान में तालिबान के विरोध का दायरा धीरे-धीरे बढ़ रहा है।
काबुल के एयरपोर्ट पर अभी भी अमेरिकी सेना का अधिकार है और तालिबान वहां कब्ज़ा नहीं कर पाया है। अमेरिकी सेना की मदद से आज सुबह 85 और भारतीयों को काबुल से सुरक्षित निकाला गया है। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कुछ दिन पहले ही अमेरिकी विदेश मंत्री से भारतीयों को निकालने में मदद की अपील की थी। यह जहाज आज दोपहर बाद हिंडन गाजियाबाद या दिल्ली पहुंचेगा।
इस बीच खबर है कि देश छोड़कर भागे राष्ट्रपति अब्दुल गनी के भाई हश्मत गनी अहमदजई तालिबान में शामिल हो गए हैं। उनका तालिबान की तरफ से स्वागत किए जाने की तस्वीरें मीडिया में आ रही हैं जिसमें तालिबान के नेता खलील उर रहमान और इस्लामिक विद्वान मुफ्ती महमूद जाकिर गनी के साथ दिख रहे हैं। अशरफ गनी यूएई में शरण लिए हुए हैं। उनपर अफगानिस्तान से बड़े पैमाने पर संपत्ति लेकर भागने का आरोप है, हालांकि गनी ने इन आरोपों को गलत बताया है।
इस बीच 85 भारतीयों को लेकर भारतीय वायु सेना का सी-130जे विमान आज सुबह काबुल से दिल्ली के लिए रवाना हो गया है। विमान ताजिकिस्तान में ईंधन भरने के लिए रुका था। अफगानिस्तान में अभी भी 900 से ज्यादा भारतीय फंसे हैं, जिनमें से कई ने काबुल के गुरुद्वारे में शरण ली हुई है। भारत सरकार भारतीयों की सुरक्षित वापसी के लिए कई मोर्चों पर संपर्क जुटा रही है।
उधर काबुल में अभी तक आतंक का माहौल है और वहां नागरिक देश छोड़ कर बाहर निकलने के लिए जुटे हैं। एक घटना में एक अफगान परिवार को अपने छोटे बच्चे को अमेरिकी सैनिकों को देते हुए देखा गया ताकि उसकी जान बच सके।
इस बीच अफगान झंडे के साथ एक किलोमीटर का मार्च निकालने के अलावा कई जगह अफगान नागरिक तालिबान का विरोध करते हुए देखे जा रहे हैं। पंजशीर घाटी कुछ मजबूत नेता भी तालिबान को चुनौती देने की तैयारी में लगते हैं। पंजशीर में अभी तक तालिबान का कब्ज़ा नहीं हो पाया है।