सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या पर फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने हिन्दू पक्ष (मंदिर) के हक़ विवादित जमीन देने के अलावा अयोध्या में ही मुस्लिम पक्ष को ५ एकड़ ज़मीन मस्जिद बनाने के लिए देने का फैसला सुनाया है। कोर्ट के फैसले से वहां राम मंदिर बनाने का रास्ता साफ़ हो गया। सर्वोच्च अदालत ने आदेश में केंद्र सरकार को तीन महीने के भीतर ट्रस्ट बनाने को कहा है जो सारा काम देखेगा। निर्मोही अखाड़े का दावा सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संबैधानिक बेंच ने यह फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि सबूतों को देखते हुए २.७७ एकड़ विवादित जमीन मंदिर को दी जाती है। फैसले में सर्वोच्च अदालत ने अयोध्या की विवादित जमीन का अधिकार हिंदू पक्ष को दे दिया है। साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि तीन महीने में एक ट्रस्ट बनाया जाए, जो मंदिर निर्माण का काम देखे। यानी कोर्ट का फैसला राम मंदिर के पक्ष में गया है और अब केंद्र सरकार को आगे की रूपरेखा तय करनी है।
फैसले में मुस्लिम पक्ष को अलग स्थान पर जगह देने के लिए कहा गया है। अर्थात सुन्नी वफ्फ बोर्ड को अलग अयोध्या में ही ५ एकड़ जमीन देने का आदेश कोर्ट ने दिया है। फैसले में कहा गया है कि मुस्लिम पक्ष जमीन पर दावा साबित करने में नाकाम रहा।
सर्वोच्च अदालत ने कहा कि आस्था के आधार पर मालिकाना नहीं दिया जा सकता। साथ ही कोर्ट ने साफ कहा कि फैसला कानून के आधार पर ही दिया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने की पुख्ता जानकारी नहीं है। कोर्ट ने एएसआई रिपोर्ट के आधार पर अपने फैसले में कहा कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने की भी पुख्ता जानकारी नहीं है। निर्मोही अखाड़े का दावा सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि अखाड़े का दावा लिमिटेशन से बाहर है। हालांकि, अनुच्छेद १४२ का इस्तेमाल करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा को मंदिर बनाने वाले ट्रस्ट में शामिल करने का आदेश सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा है कि केंद्र सरकार तीन महीने में योजना लाए और ट्रस्ट बनाए। यह ट्रस्ट राम मंदिर का निर्माण करेगा।