विरोध के अधिकार की रक्षा हो : अमेरिका

नागरिकता संशोधन कानून भी अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा बनता जा रहा है। इसके विरोध प्रदर्शन और हिंसक रुख के साथ ही सरकार की सख्ती और पुलिसिया कार्रवाई पर अंतर्राष्ट्रीय सुर्खियां मिलने के बाद अमेरिका की ओर से आधिकारिक प्रतिक्रिया आई है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि प्रदर्शनकारियों को किसी भी तरह की हिंसा से बचना चाहिए। इसके अलावा इससे निपटने वाले अफसरों और सुरक्षाकर्मियों को भी लोगों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकार की रक्षा और सम्मान करना चाहिए। कानून के तहत धार्मिक आजादी और समान व्यवहार का सम्मान अमेरिका और भारत दोनों के ही मौलिक सिद्धांत रहे हैं। उन्होंने अपील की है कि भारत संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करे।

इससे पहले भारत में विरोध प्रदर्शन को देखते हुए अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, इजराइल समेत कई देशों ने अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है। बांज्लादेश के विदेश मंत्री ने अपनी यात्रा रद़्द कर दी है। इसके अलावा जापान के प्रधानमत्री शिंजो आबे भी गुवाहाटी में शिखर वार्ता करने वाले थे, उसे भी अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया गया है।

विदेशों में ही नहीं, अपने देश में भी इसके खिलाफ में कई राज्य पश्चिम बंगाल, पंजाब, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़  के साथ ही केरल जैसे राज्यों ने इस कथित विवादित कानून को लागू करने से इनकार कर दिया है। वहीं, हाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अभी नागरिकता कानून पर तस्वीर साफ नहीं की है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कानून से जुड़ी हमारी चिंताओं को अभी स्पष्ट नहीं किया है। इससे पहले, संजय राउत से इस कानून से जुड़े सवाल पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि मामले में सीएम उद्धव ठाकरे ही फैसला करेंगे।

वहीं, यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती ने केंद्र सरकार से नागरिकता संशोधन कानून वापस लेने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह एक असंवैधानिक कानून है। इसे वापस नहीं लिया गया, तो इसके नकारात्मक नतीजे हो सकते हैं। इससे इमरजेंसी जैसी हालात पैदा नहीं करने चाहिए जैसा कि कांग्रेस कर चुकी है। उनकी पार्टी विधानसभा के साथ ही पूरे यूपी में इसके खिलाफ आवाज बुलंद करेगी।