विपक्ष के आगे झुकी सरकार, अब आधे घंटे का प्रश्न काल करने का फैसला किया

संसद के 14 अप्रैल से शुरू हो रहे मानसून सत्र में सबसे महत्वपूर्ण माने जाने वाले प्रश्न काल को नहीं करने के अपने पहले के फैसले से सरकार विपक्ष के गुस्से को देखते हुए पलट गयी है। विपक्ष के आगे झुकते हुए अब उसने प्रश्न काल आधा घंटा तक करने का फैसला किया गया है और इसमें सिर्फ लिखित प्रश्न होंगे।

इसे पहले सरकार के प्रश्न काल नहीं करने के फैसले से विपक्ष सख्त नाराज हो गया था। विपक्ष ने इसे लोकतंत्र ही हत्या करार दिया था। इसके अलावा शून्य काल का समय भी आधा किये जाने की संभावना है। कांग्रेस और टीएमसी ने इस मसले पर सरकार पर जबरदस्त प्रहार किया था।

प्रश्न काल को लेकर कांग्रेस सदस्य शशि थरूर ने ट्वीट में कहा था – ”मैंने चार महीने पहले कहा था कि मजबूत नेता महामारी को लोकतंत्र को खत्म करने के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। संसद सत्र का नोटिफिकेशन ये बता रहा है कि इस बार प्रश्नकाल नहीं होगा। हमें सुरक्षित रखने के नाम पर ये कितना सही है ?”

एक और ट्वीट में थरूर ने कहा – ”संसदीय लोकतंत्र में सरकार से सवाल पूछना एक ऑक्सीजन की तरह है। लेकिन ये सरकार संसद को एक नोटिस बोर्ड की तरह बनाना चाहती है और अपने बहुमत को रबर स्टांप के तौर पर इस्तेमाल कर रही है। जिस एक तरीके से जबावदेही तय हो रही थी, उसे भी किनारे किया जा रहा है।”

प्रश्न काल लोकसभा और राज्य सभा की कार्यवाही का सबसे जरूरी हिस्सा माना जाता है जिसमें विपक्ष सरकार को विभिन्न मुद्दों पर घेर सकता है। लोकतंत्रिक प्रणाली में प्रश्नकाल को हमेशा से बहुत जरूरी माना जाता है, लेकिन सरकार ने इस बार इसे रद्द कर दिया है। सरकार ने अपने फैसले के लिए कोरोना का हवाला दिया है।

बता दें मानसून सत्र 14 सितंबर से शुरू होकर पहली अक्टूबर तक चलेगा। इसमें कोई अवकाश नहीं होगा। सरकार ने इसके लिए जो शेड्यूल है उसके मुताबिक इसमें  प्रश्नकाल को रद्द कर दिया गया है। इसके बाद नाराज विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला है। टीएमसी के सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि मोदी सरकार महामारी की आड़ में लोकतंत्र की हत्या कर रही है।

शेड्यूल में प्राइवेट मेंबर बिल को लेकर किसी भी खास दिन का चयन नहीं किया गया है। सत्र के दौरान कुछ दिन प्राइवेट मेंबर बिल के लिए पहले से तय किए जाते हैं। शून्य काल को लेकर कहा जा रहा है कि इसका समय आधा किया जा सकता है। विपक्ष संसद के भीतर अपने मजबूत हथियार प्रश्न काल को रद्द करने से बहुत नाराज है। जिस तरह से विपक्ष इस मुद्दे पर आंदोलित हुआ है, उससे 14 सितंबर से शुरू होने वाले सत्र को लेकर विपक्ष की भूमिका पर अभी से कयास लगने शुरू हो गए हैं।

इस मसले पर ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने कहा – ”सांसदों को 15 दिन पहले ही प्रश्न काल के लिए अपने प्रश्न सब्मिट करना आवश्यक है। सत्र की शुरुआत 14 सितंबर से हो रही है, तो क्या प्रश्न काल कैंसिल हो गया? 1950 से पहली बार विपक्ष के सांसद क्या सरकार से सवाल पूछने का अधिकार खो बैठे। जब संसद के समग्र कामकाजी घंटे समान हैं तो फिर प्रश्न काल को क्यों रद्द किया गया? लोकतंत्र की हत्या के लिए महामारी का बहाना बनाया जा रहा है।”