प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अद्र्धकुंभ पर प्रयागराज में संगम में डुबकी लगाई। पूजा-अर्चना की। स्वच्छता अभियान में जुटे सफाई कर्मचारियों के चरण धोए। एक प्रधानमंत्री ने खुद को चक्रवर्ती प्रधानमंत्री साबित किया। उन्होंने देश के एक करोड़ किसानों के खाते में रु पए 2,021 करोड़ मात्र की धनराशि भी डाली। विपक्ष शायद देश में है ही नहीं।
देश में एक ओर जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में विस्फोटकों से भरी गाड़ी सीआरपीएफ जवानों की बस से एक आत्मघाती आतंकवादी ने टकरा दी। इसमें 40 जवान मारे गए। पाकिस्तान में पनाह लिए हुए आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने जिम्मेदारी ली। भारतीय खुफिया एजंसियों की चूक का खुलासा हुआ। भारत भर में शोक और पाकिस्तान से आरपार की लड़ाई लडऩे का जोश छाया रहा हैैं। प्रधानमंत्री ने घोषित किया कि इस शहादत का बदला लिया जाएगा। सेनाओं को ‘फ्री’ कर दिया गया है। फिर वे चुनाव प्रचार में भी जुटे रहे।
पुलवामा कांड के बाद भारत सरकार ने ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ की पाकिस्तान को दी गई अपनी मान्यता वापस ले ली। सेनाओं को आतंकवादियों से निपटने की खुली छूट दे दी। भारत-पाक के बीच सिंधु नदी जल बंटवारे का अतिरिक्त जल जो पाकिस्तान जाता था उसे रोकने के भी संकेत दे दिए गए। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पुलवामा हमले की निंदा की। उधर देश की भाजपा चुनाव प्रचार करती रही। जनता के लिए चुनावी सौगातों की घोषणा भी होती रही। पूरे देश में भाजपा के प्रति मतदाताओं मे भरोसा बढ़ा है।
उत्तरप्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है। यहां लोकसभा की सबसे ज्य़ादा सीटें हैं। यहां के मतदाताओं का हर तरह से साधने के प्रयास में अर्से से यही पार्टी जुटी है। यह अद्र्धकुंभ पूरे प्रदेश और देश से आए लोगों को तरकीबन तीन महीने तक रोशनी, स्वच्छता और हिंदुत्व की भावनाओं से ओत-प्रोत किया गया। प्रदेश में जहां कांग्रेस की नई सचिव प्रियंका के आने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अद्र्धकुंभ पर प्रयागराज में संगम में डुबकी लगाई। पूजा-अर्चना की। स्वच्छता अभियान में जुटे सफाई कर्मचारियों के चरण धोए। एक प्रधानमंत्री ने खुद को चक्रवर्ती प्रधानमंत्री साबित किया। उन्होंने देश के एक करोड़ किसानों के खाते में रु पए 2,021 करोड़ मात्र की धनराशि भी डाली। विपक्ष शायद देश में है ही नहीं।
देश में एक ओर जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में विस्फोटकों से भरी गाड़ी सीआरपीएफ जवानों की बस से एक आत्मघाती आतंकवादी ने टकरा दी। इसमें 40 जवान मारे गए। पाकिस्तान में पनाह लिए हुए आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने जिम्मेदारी ली। भारतीय खुफिया एजंसियों की चूक का खुलासा हुआ। भारत भर में शोक और पाकिस्तान से आरपार की लड़ाई लडऩे का जोश छाया रहा हैैं। प्रधानमंत्री ने घोषित किया कि इस शहादत का बदला लिया जाएगा। सेनाओं को ‘फ्री’ कर दिया गया है। फिर वे चुनाव प्रचार में भी जुटे रहे।
पुलवामा कांड के बाद भारत सरकार ने ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ की पाकिस्तान को दी गई अपनी मान्यता वापस ले ली। सेनाओं को आतंकवादियों से निपटने की खुली छूट दे दी। भारत-पाक के बीच सिंधु नदी जल बंटवारे का अतिरिक्त जल जो पाकिस्तान जाता था उसे रोकने के भी संकेत दे दिए गए। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पुलवामा हमले की निंदा की। उधर देश की भाजपा चुनाव प्रचार करती रही। जनता के लिए चुनावी सौगातों की घोषणा भी होती रही। पूरे देश में भाजपा के प्रति मतदाताओं मे भरोसा बढ़ा है।
उत्तरप्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है। यहां लोकसभा की सबसे ज्य़ादा सीटें हैं। यहां के मतदाताओं का हर तरह से साधने के प्रयास में अर्से से यही पार्टी जुटी है। यह अद्र्धकुंभ पूरे प्रदेश और देश से आए लोगों को तरकीबन तीन महीने तक रोशनी, स्वच्छता और हिंदुत्व की भावनाओं से ओत-प्रोत किया गया। प्रदेश में जहां कांग्रेस की नई सचिव प्रियंका के आने के बाद मतदाताओं में बदलाव की बयार उठी थी वह अब वह देशभक्ति की आंधी में कहीं दब गई है। चुनावी पंडित भी अब यह मानते हैं कि यदि जल्दी चुनाव की तारीखें घोषित हो जाएं तो चुनाव रण में विजयी रहेगी। पहले जहां यह अनुमान था कि भाजपा का सवा सौ से डेढ़ सौ सीटें मिलें वहीं अब ढाई सौ से तीन सौ सीटों की बात भाजपा मुख्यालयों में सुनाई देती है।
महागठबंधन यदि विपक्षी दल बनाएं तो वह महा मिलावटी है यह प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने बताया। लेकिन भाजपा के अपने एनडीए के गठबंधन से निकल भागने की जुगत में लगी शिवसेना को पार्टी अध्यक्ष ने आखिर साध ही लिया। भाजपा अध्यक्ष अमितशाह के कब्जे में आज मतदाता की नब्ज है। अब देश की जनता-जनार्दन का ध्यान अयोध्या में राममंदिर निर्माण की ओर नहीं है। अब तो देशभक्ति सभी मुद्दों में सबसे तगड़ा ‘बियरर चेक’ है।
केंद्र की भाजपा सराकर ने अभी हाल सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्ता, ईपीएफ पर ब्याज, देश के दो करोड़ किसानों के खाते में नकदी जमा कराने में जो तेजी दिखाई है उसका लाभ भाजपा और उसके गठबंधन को मिलेगा ही।
चुनावी जानकार मानते हैं कि बिहार में भी नीतीश अपने गठबंधन को घाट देने में अब कामयाब हो जाएंगे।
भाजपा ने पुलवामा और सर्जिकल स्ट्राइक से यह अब जान लिया है कि देश में मतदाताओं के जोश को किस तरह उकसाते रहना है। कोई भी विपक्षी नेता यदि कभी, कहीं सवाल पूछे तो उसे डपट दो। उसकी देशभक्ति को चुनौती दो और देश की जनता को जता दो कि भाजपा की मोदी सरकार ने ही देश को सुरक्षित और एकजुट रखा है।
कम से कम अगले कुछ महीने देशभक्ति की यह भावना काम करेगी। इसके साथ ही धार्मिक भावनाएं जैसे सिख, हिंदू, मुसलमान को उकसाना है। नए खतरों फिर सीमा पर चौकस सिपाही की जायकारे में जनता जुटी ही रहेगी। वह नोटबंदी, बेरोज़गारी, जीएसटी, महंगाई सब भूल जाएगी।
पिछले 70 साल में विपक्ष की ढेरों सरकारें केंद्र में बनीं और गिरीं। पर पांच साल में देश ने ‘सबका साथ लेकर सबका विकास’ हर क्षेत्र में किया। चाहे वह ग्रामीण या झुग्गी झोपडिय़ों में गैस व गैस सिलिंडर पहुंचाने की योजना हों या पूरे देश में बिजली पहुंचाने का काम या फिर आयुष्मान सेहत कार्ड हो, किसान कजऱ् हो या फिर ऊँचे तबकों के गरीब लोगों के लिए दस फीसद आरक्षण। सभी पार्टियों ने भी इसका पक्ष लिया।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हमेशा यह कहते रहे हैं कि उत्तरप्रदेश में पार्टी को कम से कम 75 सीटें मिलेगी। देश में भाजपा की बढ़ी लोकप्रियता से ऐसा लगता है कि यह संख्या बढ़ भी सकती है।
निश्चय की भाजपा नेतृत्व की केंद्र सरकार को बधाई दी जानी चाहिए। उन्होंने कितनी सफाई से पुलगामा में सुरक्षा सैनिकों की शहादत में सुरक्षा एजंसियों की सतर्कता में हुई लापरवाही के मामले को दबा दिया। पूरे देश में देश प्रेम और सेनाओं के प्रति देशवासियों के लगाव की भावना को न केवल तेज किया बल्कि अपना चुनाव प्रचार भी साथ-साथ जारी रखा। अपने गठबंधन को और भी संगठित करते हुए दूसरे गठबंधनों को मिलावटी करार दिया।
भारत एक अर्से से आतंकवादियों के निशाने पर है। चूंकि भारतीय प्रशासन में पार्टीवाद अब हावी है इसलिए उसका असर सरकारी कामकाज पर दिखाई देता है। याद करें तो संसद पर हमला करने में मसूद अज़हर ही आगे था और पुलवामा के धमाके की जिम्मेदारी भी उसके ही आतंकवादी संगठन ने ली। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और उनके अधीन सक्रिय एजंसियों यदि पहले से सुरक्षा दस्तों को सतर्क कर पातीं तो शायद इतने बड़े पैमाने पर जनबल की शहादत न होती। लेकिन यह सूझ बूझ प्रधानमंत्री की ही थी कि उन्होंने देश में देशभक्ति और सुरक्षा सेनाओं के मनोबल को ऊँचा रखने के लिए सेना को आतंकवादियों के सफाए के लिए ‘फ्री’ कर दिया। इससे पूरे देश में यह जोश जगा कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी अड्डे नष्ट करने के लिए आर-पार की लड़ाई हो। भारतीय मीडिया और विपक्षी दल सब ने प्रधानमंत्री का सम्मान रखा।
उधर फ्रांस और ब्रिटेन के नेतृत्व में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बात उठी और पाकिस्तान के आतंकवाद को समर्थन देने के खिलाफ माहौल संयुक्त राष्ट्र संघ में बना। इसका असर भारतीय जनमानस पर पड़ा। जिसका बखूबी उपयोग भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रधानमंत्री ने भावी 17वीं लोकसभा के लिए आम चुनाव के लिए पार्टी और अपने गठबंधन जीत के लिए उन्होंने जमीन काफी हद तक पुख्ता कर ली।
पुलवामा कांड के पहले तक देश की राजनीति में खासा उतार-चढ़ाव दिख रहा था। विपक्षी दल आपस में गठबंधन के प्रयास में जुटे थे। जनता के बीच जो मुद्दे उठ रहे थे उसमें बेरोजगारी, नोटबंदी, जीएसटी और राफेल जेट विमान की खरीद में घोटाले के आरोप उभर रहे थे। लेकिन पुलवामा में हुई 40 जवानों की शहादत बड़ा मुद्दा बना। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान मे बसे आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली। पाकिस्तान ने इंकार किया। लेकिन संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद ने बैठक के बाद जारी प्रस्ताव में इस हमले की निंदा की और पाकिस्तान को निर्देश दिया कि वह इस मामले में कार्रवाई करे। पाकिस्तान ने इस संगठन पर पाबंदी (22 फरवरी) लगाई और सेना भी सक्रिय हुई।
लेकिन असल मुद्दा यह है कि आखिर कश्मीर का मसला भारत सरकार ठीक से क्यों नहीं हल कर पाई। आखिर भाजपा नेतृत्व की एनडीए सरकार भी इसका हल पांच साल में क्यों नहीं कर सकी। पुलवामा कांड के बाद पाकिस्तान और भारत के बीच आर-पार की लड़ाई की बातें अब जोर पकड़ रही हैं। शहरतें से गांवों तक देशभक्ति और सेनाओं के मनोबल को ऊँचा रखने की बात जोर पकड़ रही है। जबकि आम चुनाव के लिहाज से दूसरे मुद्दे शायद काफी पीछे छूट गए हैं।