मोदी सरकार ने भले देश के विपक्षी दलों के नेताओं के कश्मीर जाने पर पावंदी लगा रखी हो, विदेशी राजनयिकों के जम्मू-कश्मीर के दो दिन के दौरे का आज दूसरा दिन है और वे जम्मू पहुंच गए हैं। बुधवार को वे कश्मीर में थे और उन्होंने वहां चुनिंदा व्यापारियों और उद्यमियों के साथ हालात पर चर्चा की।
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद ३७० हटाए जाने के बाद विदेशी राजनयिकों का यह तीसरा दौरा है। घाटी की स्थिति की वास्तविकता का जायजा लेने के लिए यह विदेशी राजनयिक बुधवार को कश्मीर पहुंचे थे।
दल में यूरोपीय संघ, दक्षिणी अमेरिका के साथ साथ खाड़ी देशों के २५ राजनयिक शामिल हैं। दल में यूरोपीय यूनियन के १२ (जर्मनी, आस्ट्रिया, नीदरलैंड, इटली, हंगरी, चेक रिपब्लिक, बुल्गारिया), अफगानिस्तान, मैक्सिको, कनाडा, डोमनिकन रिपब्लिक, न्यूजीलैंड, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान, तजाकिस्तान, यूगांडा और रवांडा के प्रतिनिधि शामिल हैं।
उन्हें बुधवार को बारामुला भी जाना था लेकिन खराब मौसम के चलते वे नहीं जा सके।
इन विदेशी राजनयिकों ने श्रीनगर में बुधवार को डल झील में शिकारे की सैर की थी। बाद में उन्होंने व्यापारी प्रतिनिधियों और उद्यमियों से हालात पर चर्चा की। शाम को राजनयिकों से घाटी के ३६ प्रतिनिधिमंडलों ने मुलाकात की। इनमें कश्मीर के स्थानीय व्यापारी, ट्रेड यूनियन नेता, ट्रांसपोर्टर, विद्यार्थी, सिविल सोसाइटी के सदस्य और पत्रकार भी थे।
इन राजनयिकों को डल झील किनारे स्थित ग्रैंड ललित होटल में ठहराया गया था। राजनयिकों का दल बुधवार सुबह करीब ग्यारह बजे श्रीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा और पूरे रस्ते में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गयी थी।
आज यह दल जम्मू पहुंचा और सबसे पहले उन्होंने जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल से भेंट की। वे सैन्य अधिकारियों से भी मिले हैं और हालात की जानकारी ली है। वे स्थानीय अधिकारियों के अलावा जान प्रतिनिधिमंडलों से भी मिलेंगे।