भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने जैन समाज के एक कार्यक्रम में लड़कियों के पहनावे को लेकर एक बेतुका बयान दिया था और लड़कियों को सूर्पणखा भी कहा। विजयवर्गीय ने कहा था कि, “लड़कियां इतने गंदे कपड़े पहनकर निकलती है। महिलाओं को हम देवियां कहते हैं, लेकिन उनमें देवी का स्वरूप ही नहीं दिखता।”
इंदौर के एयरपोर्ट रोड स्थित महावीर बाग में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, “मैं आज भी जब निकलता हूं, पढ़े-लिखे नौजवानों, बच्चों को झूमते हुए देखता हूं तो सच में ऐसी इच्छा होती है कि पांच-सात ऐसे दूं कि उनका नशा उतर जाए। सच कह रहा हूं, भगवान की कसम। हनुमान जयंती पर झूठ नहीं बोलूंगा। लड़कियां भी इतने गंदे कपड़े पहनकर निकलती है कि… अपन महिलाओं को देवी बोलते हैं उनमें देवी का स्वरूप ही नहीं दिखता। बिल्कुल शूर्पणखा लगती है। सच में अच्छा सुंदर भगवान ने शरीर दिया है, जरा अच्छा कपड़ा पहनो यार। बच्चों में आप संस्कार डालिए। मैं बहुत चिंतित हूं।”
कैलाश विजयवर्गीय के इस बयान पर महिला कांग्रेस अध्यक्ष नेटा डिसूजा ने कहा कि, “कैलाश विजयवर्गीय जी का बयान इस देश की हर महिला का अपमान है। लेकिन महिला एवं बाल कल्याण मंत्री स्मृति ईरानी जी इस पर मौन रहेंगी, क्या वे इस घटिया बयान पर अपनी चुप्पी तोड़ेंगी? ”
नेटा ने आगे कहा कि, “कैलाश जी बेटियां देवी का रूप होती है लेकिन आपकी घटिया और विकृत मानसिकता ही आपको कुछ और दिखाती है। लड़कियां क्या पहनेंगी क्या अब ये भी बीजेपी तय करेगी? मध्य प्रदेश में वोटों के लिए लाडली बहना योजना चलाने वाले शिवराज जी क्यों चुप हैं? इन सब से एक ही बात साफ है कि महिलाओं का हर रोज अपमान करना बीजेपी की आदत है। महिलाओं का सम्मान इनकी डिक्शनरी में हैं ही नहीं।“
कांग्रेस नेत्रा ने आगे कहा कि, “महिला आयोग में बैठी बहन खुशबू सुंदर जी आप इस पर अब अपनी चुप्पी तोड़ेंगी क्या? क्या महिला का अपमान ही भाजपा का असली चाल, चरित्र और चेहरा है। देश इस समय महंगाई और बेरोजगारी से परेशान है वहीं बीजेपी के नेता बेटियों के कपड़ो के ताक-झाक में बिजी है। इससे उनकी सोच और प्रायोरिटी साफ नजर आती है। क्या हम तालिबानी राज में रह रहे है? कि लड़कियों को सरकार बताएगी कि क्या पहनना है? कब घर से निकलना है? क्या खाना है? किससे मिलना है? शर्मनाक है बीजेपी का आचरण। इससे पहले भी कैलाश जी कर्इ ऐसे बयान दे चुके है जिसका ज़िक्र भी करने में मुझे शर्म आती है। कैलाश साब का ये बयान उनकी मानसिकता और उनकी सोच दिखाती है। बात साफ है देश में लड़कियां, माताएं, बहने क्या पहनेंगी इसका फैसला आप नहीं करोगे। दिक्कत लड़कियों के पहनावे में नहीं है आपकी सोच में है। देश की आधी आबादी को अपमानित करने का हक आपको किसने दिया है? आप कौन हैं प्रचार करने वाले? महिलाओं का सम्मान करना सीखिये और फिर बोलिए।“