भारत विश्व डेमोक्रेसी इंडेक्स में १० पायदान नीचे खिसक गया है। साल २०१९ की इकोनॉमिस्ट इंटेलीजेन्स यूनिट की रिपोर्ट में भारत का नंबर ४१ था जो अब कमजोर होकर ५१ हो गया है। देश और दुनिया भर में भारत में हाल में लागू किये गए कुछ कानूनों के विरोध को इसका जिम्मेवार माना जा रहा है। कुल १६७ देशों में उत्तर कोरिया सबसे निचली पायदान पर है।
रिपोर्ट का अध्ययन करने से जाहिर होता है कि २०१९ की तरह नार्वे इस बार भी डेमोक्रेसी इंडेक्स २०२० में टॉप पर बना हुआ है। अमेरिका इस रिपोर्ट में २५वें जबकि ब्रिटेन १४वें पायदान पर है। यदि भारत के पड़ौसी मुल्कों की बात की जाए तो पाकिस्तान कमजोर १०८वें, श्रीलंका ६९वें और बांग्लादेश ८०वें नंबर पर है।
यह माना जा रहा है कि भारत में पिछले कुछ समय से जारी आंदोलन इस पायदान के नीचे जाने का एक बड़ा कारण हैं। पहले जम्मू कश्मीर में धारा ३७० ख़त्म करने को लेकर भारत में ही नहीं, कई अन्य देशों में भी विरोध प्रदर्शन हुए। बहुत से जानकारों का मानना है कि इससे भारत की एक स्वस्थ लोकतंत्र वाली छवि को धक्का लगा है। भारत के विपक्षी दलों ने मोदी सरकार के इस फैसले का कड़ा विरोध किया है।
अब इसके बाद नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं जो अब तक जारी हैं। विदेशों में भी विरोध प्रदर्शन होने से यहाँ भी भारत की सभी धर्मों को लेकर साथ चलने वाली छवि को चोट पहुँची है।
अब यह रिपोर्ट सामने आने के बाद निश्चित ही नागरिकता क़ानून अदि का विरोध करने वाले इसे मोदी सरकार के खिलाफ एक हथियार बनाने की कोशिश करेंगे। छात्रों का आंदोलन अभी भी जारी है। वे और विपक्षी राजनीतिक दल पहले ही देश में लोकतंत्र को ”ख़त्म” करने का आरोप मोदी सरकार लगा रहे हैं।
डेमोक्रेसी इंडेक्स २०२० में पहले पांच स्थानों पर नार्वे, आयरलैंड, स्वीडन, न्यूजीलैंड और फिनलैंड हैं, जो भारत जैसे देशों के मुकाबले बहुत छोटे देश हैं। इस रिपोर्ट में ब्रिटेन का १४वां नंबर है जबकि भारत से एक पप्पायदान पहले ५० पर जमैका है।
अन्य देशों में अमेरिका २५वें नंबर पर है। हमारे एक पड़ोसी चीन का इस इंडेक्स में बहुत कमजोर १५३वाँ नंबर है। पाकिस्तान को इसमें १०८वें और श्रीलंका को ६९वें पायदान पर रखा गया है। नार्वे इस सूची में २०१९ में भी सबसे ऊपर था। उत्तर कोरिया इसमें १६७वें पायदान पर है जो सबसे निचली पायदान है।